शनिवार, जनवरी 28, 2012

उन्मादी कविता

सेल्फ-पोर्ट्रेट विद बोनितो, फरीदा कहलो
Self-Portrait With Bonito, Frida Kahlo

आज फिर मैं अपने आप में नहीं हूँ.
ऐसा बार-बार होता है.
लगता है जैसे कुछ दैवी है.

नीली लहर-सा 
वह बहता है मुझ में.
हरे पत्ते -- तुम शायद मानोगे नहीं --
एक-आध बार 
फूट आये हैं मेरी उँगलियों के पोरों से

कहीं
घने जंगल में 
वसंत के उन्मादी दौरे में.

हालाँकि, बेशक, जानती हूँ मैं वह दूसरा गीत,
एक-ता का वह मधुर आवेश.

अभी कल ही मैंने एक चींटी को रास्ता पार करते देखा, 
नीचे गिरे चीड़ के पत्तों में से राह बनाते.
और मैंने सोचा: 
वह इस जीवन के सिवा कोई दूसरा जीवन कभी नहीं जियेगी.
और मैंने सोचा: 
अगर पूरे जी-जान से वह अपना जीवन जीती है
तो क्या वह अद्भुत रूप से बुद्धिमान नहीं है?
और इस चमत्कारी पहाड़ पर मैं तब तक चढ़ती रही,
गुज़रती रही होकर सब चीज़ों से 
जब तक मैं स्वयं तक न पहुँच गई.

और फिर भी, इन उत्तरीय वनों में भी,
और इन रेत के टीलों पर,
मैं स्वयं की दूसरी खिड़की में से उड़ निकली हूँ 
सफ़ेद बगुला बनने, या फिर नीली व्हेल मछली,
लाल लोमड़ी, या साही.
आह, कितनी बार मेरे तन को पहले ही था 
किसी फूल का तन होने का एहसास!
कितनी बार मेरा मन पहले ही है एक लाल तोता,
घने विचित्र-से पेड़ों के बीच बैठा,
अपने पंख फड़फड़ाता और चिल्लाता हुआ.



-- मेरी ओलिवर 



Mary Oliver  मेरी ओलिवर ( Mary Oliver )एक अमरीकी कव्यित्री हैं, जो 60 के दशक से कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. उनके 25 से अधिक कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं और बहुत सराहे गए हैं. उन्हें अमरीका के श्रेष्ठ सम्मान 'नेशनल बुक अवार्ड' व 'पुलित्ज़र प्राइज़' भी प्राप्त हो चुके हैं. उनकी कविताएँ प्रकृति की गुप-चुप गतिविधियों के बारे में हैं, जैसे वो धरती और आकाश के बीच खड़ीं सब देख रहीं हैं. और  उनकी कविताओं में उनका अकेलेपन  से प्यार, एक निरंतर आंतरिक एकालाप व स्त्री का प्रकृति से गहरा सम्बन्ध भी दिखाई देता है.

इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़