शुक्रवार, जुलाई 12, 2013

कविता उजाले की खोज में है

द नाईट वाचमैन हैज़ फालन अस्लीप,
कार्ल शपिटज़विग
The night watchman has fallen asleep,
Carl Spitzweg
कविता उजाले को खोजती है, 
वह राज-मार्ग है कविता 
जो हमें सबसे दूर तक ले जाता है. 
निराशा के क्षणों में हम उस उजाले को ढूंढते हैं 
दोपहर में, भोर के धुआंरों में, 
यहाँ तक कि बस में भी, किसी नवम्बर में, 
जब एक बूढा साधू हमारी बगल में बैठा ऊंघता है.

चाइनीज़ रेस्तरां का वेटर अचानक सुबकने लगता है 
और कोई समझ नहीं पाता ऐसा क्यों हुआ.
क्या पता यह भी कोई खोज हो, 
जैसे कि समुद्र तट पर वह पल,
जब क्षितिज पर प्रकट हुआ था एक अपहरक जहाज़
और अचानक रुक गया था, रुका रहा था बहुत देर तक. 
और गहन आनंद के पल भी 

और व्यग्रता के असंख्य पल भी.
मुझे देखने दो, मैं पूछता हूँ.
मुझे दृढ़ रहने दो, मैं कहता हूँ.
रात में एक ठंडी बारिश झरती है.
मेरे शहर की सडकों और गलियों में 
अन्धकार चुपचाप कड़ी मेहनत कर रहा है.
कविता उजाले की खोज में है.


-- आदम ज़गायेव्स्की




 आदम ज़गायेव्स्की पोलैंड के कवि, लेखक, उपन्यासकार व अनुवादक हैं. वे क्रैको में रहते हैं मगर इन दिनों वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो में पढ़ाते हैं. वहां एक विषय जो वे पढ़ाते हैं वह है उनके साथी पोलिश कवि चेस्वाफ़ मीवोश की कविताएँ. उनके अनेक कविता व निबंध संकलन छ्प चुके हैं, व अंग्रेजी में उनकी कविताओं व निबंधों का अनुवाद भी खूब हुआ है.
इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रजी में अनुवाद क्लेर कवन्नाह ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़