रविवार, अक्तूबर 30, 2011

झुटपुटे में झील किनारे

लेकसाइड विद बर्च ट्रीज़, गुस्ताव क्लिम्ट
Lakeside With Birch Trees, Gustav Klimt 

मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ
और मुझे वह याद नहीं है
मैं कोशिश करता हूँ
जानता हूँ कि वह वही प्रश्न है 
जो हमेशा था 
असल में 
लगता है उसके बारे में  
करीब-करीब सब कुछ जानता हूँ 
जो सब उस की याद दिलाता है 
खींच ले जाता है मुझे 
भोर में या सांझ में 
झील के किनारे और उसके पास 
वह जो कुछ भी खड़ा है 
प्रश्न के साथ 
जैसे देह खड़ी होती है 
छाया के साथ 
मगर यह प्रश्न कोई छाया नहीं है 
अगर मैं जानता 
कि किसने की है शून्य की खोज 
तो शायद पूछ लेता 
कि उस से पहले क्या था 


-- डब्ल्यू एस मर्विन



W.S. Merwinडब्ल्यू एस मर्विन ( W S Merwin )अमरीकी कवि हैं व इन दिनों अमरीका के पोएट लॉरीअट भी हैं.उनकी कविताओं, अनुवादों व लेखों के 30 से अधिक संकलन प्रकाशित हो चुके हैं .उन्होंने दूसरी भाषाओँ के प्रमुख कवियों के संकलन, अंग्रेजी में खूब अनूदित किये हैं, व अपनी कविताओं का भी स्वयं ही दूसरी भाषाओँ में अनुवाद किया है.अपनी कविताओं के लिए उन्हें अन्य सम्मानों सहित पुलित्ज़र प्राइज़ भी मिल चुका है.वे अधिकतर बिना विराम आदि चिन्हों के मुक्त छंद में कविता लिखते हैं.यह कविता उनके संकलन 'द शैडो ऑफ़ सिरिअस ' से है.

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

शुक्रवार, अक्तूबर 28, 2011

अनुपस्थिति

नाईट, मिकोलाय ज़ुर्लानिस
Night, Mikalojus Čiurlionis
अपने हाथों में पकड़ते हैं हम अपने हाथों की छाया.
रात भली है --अपनी छाया पकड़े हमें दूसरे नहीं देख पाते.
हम रात का समर्थन करते हैं. हम स्वयं को देखते हैं.
ऐसे हम दूसरों के बारे में बेहतर सोच पाते हैं.
समुद्र अभी भी खोजता है हमारी आँखें और हम वहां नहीं हैं.
एक युवती अपनी छाती में छुपा लेती है अपना प्यार 
और हम मुस्कुराते हुए आँखें फेर कर कहीं दूर देखते हैं.
शायद ऊपर कहीं, तारों की रोशनी में, एक झरोखा खुल जाता है 
जो देखता है समुद्र की ओर, जैतून के पेड़ों और जले हुए घरों की ओर -- 
पितृ-पक्ष के कांच में हम तितली को चक्कर काटते हुए सुनते हैं,
और मछुआरे की बेटी अपनी चक्की में पीसती है शांति.





--- ज्यानिस रीत्ज़ोज़ 



 ज्यानिस रीत्ज़ोज़ ( Yannis Ritsos ) एक युनानी कवि और वामपंथी ऐक्टिविस्ट थे. टी बी और दुखद पारिवारिक समस्याओं से त्रस्त, अपने वामपंथी विचारों के लिए उत्पीड़ित, उन्होंने ने कई वर्ष सैनटोरीअमों, जेलों व निर्वासन में बिताये मगर पूरा समय वे लिखते रहे और अनेक कविताएँ, गीत, नाटक लिख डाले, कई अनुवाद भी कर डाले. अपने दुखों के बावजूद, समय के साथ उनके अन्दर ऐसा बदलाव आया कि वे अत्यंत मानवीय हो गए और उनके लेखन में उम्मीद, करुणा और जीवन के प्रति प्रेम झलकने लगा. उनकी 117किताबे प्रकाशित हुई जिनमे कविताओं के साथ-साथ नाटक व निबंध-संकलन भी थे.

इस कविता का मूल ग्रीक से अंग्रेजी में अनुवाद रे डेलविन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

बुधवार, अक्तूबर 26, 2011

सम्मोहित रोशनी का गीत

ओलिव ट्री वुड इन द मोरेनो गार्डन, क्लौद मोने
Olive Tree Wood In The Moreno Garden, Claude Monet

पेड़ों के तले रोशनी 
आकाश के शिखर से गिर चुकी है,
शाखाओं की 
एक हरी जाली-सी
रोशनी, 
हर पत्ते पर 
चमकती हुई, 
स्वच्छ श्वेत रेत-सी 
नीचे की ओर बहती हुई.

एक झींगुर का गीत
खाली हवा को 
ऊपर तक चीर आता है.

दुनिया एक 
पानी से भरा पात्र है
जो छलकता जाता है.



-- पाब्लो नेरुदा 




पाब्लो नेरुदा ( Pablo Neruda ) को कौन नहीं जानता. वे चिली के कवि थे.कोलंबिया के महान उपन्यासकार गेब्रिअल गार्सिया मार्केज़ ने उन्हें ' 20 वीं सदी का, दुनिया की सभी भाषाओँ में से सबसे बेहतरीन कवि ' कहा है. 10वर्ष की आयु में उन्होंने कविताएँ लिखनी शुरू की. 19वर्ष की आयु में उनका पहला संकलन 'क्रेपेस्क्युलारियो ' प्रकाशित हुआ और उसके बाद उनकी प्रसिद्द प्रेम कविताएँ ' ट्वेंटी पोएम्ज़ ऑफ़ लव एंड अ सोंग ऑफ़ डेसपैर '. दोनों संकलन खूब सराहे गए और दूसरी भाषाओँ में अनूदित लिए गए. उनकी प्रेम कविताओं की तो सहस्रों प्रतियाँ आज तक बिक चुकी है. उनके पूरे लेखन काल में उनकी 50से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई और अनेक भाषाओँ में असंख्य अनुवाद हुए. 1971में उन्हें नोबेल प्राइज़ भी प्राप्त हुआ.
इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद मार्क स्ट्रैंड ने 'फोर्टीन अदर वेज़ ऑफ़ लुकिंग एट पाब्लो नेरुदा' में किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

सोमवार, अक्तूबर 24, 2011

पानी के बुलबुले

दी ओल्ड टावर इन द फील्ड्ज़, विन्सेंट वान गोग
The Old Tower In The Fields, Vincent Van Gogh

आग के एक बड़े अध-मिटे धब्बे-सा 
डूबता सूरज 
ठहरे बादलों में कुछ देर ठहर जाता है.
सांझ के मौन में दूर कहीं 
सुनता हूँ सीटी कि धीमी आवाज़. 
कोई रेलगाड़ी जा रही होगी.

इस पल में 
एक अस्पष्ट-सा विरह मुझे घेर लेता है 
साथ ही एक अज्ञात और शांत-सी चाह 
जो आती है जाती है.

ऐसे ही, कभी, नदियों की सतह पर,
होते हैं पानी के बुलबुले 
जो बनते हैं फिर फूट जाते हैं.
और उनका कोई अर्थ नहीं होता 
सिवाय पानी के बुलबुले होना 
जो बनते हैं फिर फूट जाते हैं.




--  फेर्नान्दो पेस्सोआ ( अल्बेर्तो काइरो )



 फेर्नान्दो पेस्सोआ ( Fernando Pessoa )20 वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. यह कविता उन्होंने अल्बेर्तो काइरो ( Alberto Caeiro )के झूठे नाम से लिखी थी. अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने 72 झूठे नाम या हेट्रोनिम् की आड़ से सृजन किया, जिन में से तीन प्रमुख थे. और हैरानी की बात तो ये है की इन सभी हेट्रोनिम् या झूठे नामों की अपनी अलग जीवनी, स्वभाव, दर्शन, रूप-रंग व लेखन शैली थी. पेस्सोआ के जीतेजी उनकी एक ही किताब प्रकाशित हुई. मगर उनकी मृत्यु के बाद, एक पुराने ट्रंक से उनके द्वारा लिखे 25000 से भी अधिक पन्ने मिले, जो उन्होंने अपने अलग-अलग नामों से लिखे थे. पुर्तगाल की नैशनल लाइब्ररी में उन पन्नों की एडिटिंग का काम आज तक जारी है. यह कविता उनके संकलन 'द कीपर ऑफ़ शीप ' से है.
इस कविता का मूल पुर्तगाली से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़     

शनिवार, अक्तूबर 22, 2011

प्यार में एक स्त्री

द गर्ल एंड द रोज़ेज़, मार्क शगाल
The Girl And The Roses, Marc Chagall

वो रही मेरी खिड़की.
अभी-अभी मेरी नींद इतने हलके-से खुली,
मुझे लगा मैं बहती जा रही हूँ.
कहाँ तक फैला है मेरा जीवन
और रात कहाँ से शुरू हो जाती है?

मैं मान सकती थी कि

जो कुछ भी मेरे आस-पास है
सब मैं ही हूँ,
स्फटिक की तरह पारदर्शी,
स्फटिक की गहराईयों की तरह 

अँधेरा और शांत.

मैं अपने अन्दर समा सकती थी

सारे के सारे तारे; इतना विशाल
है मेरा मन, इतनी ख़ुशी-ख़ुशी
फिर-से जाने दिया उसने, उसे

जिसे मैं शायद चाहने लगी हूँ,

शायद थामने.
अपरिचित और अकल्पित ,
मेरा भाग्य मेरी ओर पलटता है.

मैं क्या हूँ? इस विशालता में

इस तरह रखी हुई ,
जो आती-जाती हवा से हिलता है,
उस घास भरे मैदान-सी महकी हुई.

पुकारती हुई, मगर इस डर के साथ

कि मेरी पुकार सुन ली जाएगी,
और होगी निर्धारित
डूब जाने के लिए
किसी दूसरे के जीवन में.





 -- रायनर मरीया रिल्के 




रायनर मरीया रिल्के ( Rainer Maria Rilke ) जर्मन भाषा के सब से महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं. वे ऑस्ट्रिया के बोहीमिया से थे. उनका बचपन बेहद दुखद था, मगर यूनिवर्सिटी तक आते-आते उन्हें साफ़ हो गया था की वे साहित्य से ही जुड़ेंगे. तब तक उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित भी हो चुका था. यूनिवर्सिटी की पढाई बीच में ही छोड़, उन्होंने रूस की एक लम्बी यात्रा का कार्यक्रम बनाया. यह यात्रा उनके साहित्यिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुई. रूस में उनकी मुलाक़ात तोल्स्तॉय से हुई व उनके प्रभाव से रिल्के का लेखन और गहन होता गुया. फिर उन्होंने पेरिस में रहने का फैसला किया जहाँ वे मूर्तिकार रोदें के बहुत प्रभावित रहे.यूरोप के देशों में उनकी यात्रायें जारी रहीं मगर पेरिस उनके जीवन का भौगोलिक केंद्र बन गया. पहले विश्व युद्ध के समय उन्हें पेरिस छोड़ना पड़ा, और वे स्विटज़रलैंड में जा कर बस गए, जहाँ कुछ वर्षों बाद ल्यूकीमिया से उनका देहांत हो गया. कविताओं की जो धरोहर वे छोड़ गए हैं, वह अद्भुत है. यह कविता उनके संकलन 'न्यू पोएम्ज़ ' से है.
इस कविता का जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद जोआना मेसी व अनीता बैरोज़ ने किया है. 
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़