रविवार, मार्च 18, 2012

तात्कालिक उपाय

द रीडर, ओनोरे दोमिये
The Reader, Honore Daumier
तुम्हें उठाना चाहिए दुनिया का समूचा भार
और उसे ढोना आसान बना देना चाहिए.
झोले की तरह कंधे पर डालो
और निकल पड़ो.
सबसे अच्छा समय शाम का है,
वसंत की शाम का,
जब पेड़ शान्ति में सांस लेते हैं
और रात सुहावनी होने का वायदा करती है,
एल्म की टहनियाँ बागीचे में चिटकती हैं.
समूचा भार? रक्त और भद्दापन? नहीं हो सकता.
ज़रा-सी कड़वाहट
और ट्रेन में मिली बूढी औरत की संक्रामक निराशा
चिपकी रहेगी होंठों से.
झूठ क्या बोलना?
आखिर आनंद का अस्तित्व केवल कल्पना में ही तो है
और वहां से भी वह जल्द ही चला जाता है.
तात्कालिक उपाय -- हमेशा बस तात्कालिक उपाय,
बड़े या छोटे, केवल यही जानते हैं हम,
संगीत में, जैसे एक जैज़ ट्रम्पेट हँसते-हँसते रोता है
या जब आप घूरते हो कोरे कागज़ को
और चकमा देने की कोशिश करते हो
दुःख को अपनी मनपसंद कविताओं की किताब खोल कर;
एकदम तभी फ़ोन अक्सर बजने लगता है,
कोई पूछता है, क्या आप नया मॉडल ट्राई करना
पसंद करेंगे? नहीं, शुक्रिया.
मैं प्रमाणित ब्रांड पसंद करता हूँ.
निराशा और नीरसता बनी रहती हैं, गहरा दुःख
सबसे अच्छा शोक-गीत भी नहीं हर पाता.
मगर शायद कुछ है जो हमसे छिपा है,
जहाँ दुःख और उत्साह एक-दूसरे में मिल जाते हैं,
रोज़-रोज़, बिना रुके, समुद्र-तट पर
भोर के होने जैसा, नहीं, रुको,
सैंट जॉन और मार्क के कोने पर खड़े
श्वेत वस्त्र पहने नन्हे वेदी-सेवक बच्चों की हंसी जैसा,
याद है?



-- आदम ज़गायेव्स्की




 आदम ज़गायेव्स्की पोलैंड के कवि, लेखक, उपन्यासकार व अनुवादक हैं. वे क्रैको में रहते हैं मगर इन दिनों वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो में पढ़ाते हैं. वहां एक विषय जो वे पढ़ाते हैं वह है उनके साथी पोलिश कवि चेस्वाफ़ मीवोश की कविताएँ. उनके अनेक कविता व निबंध संकलन छ्प चुके हैं, व अंग्रेजी में उनकी कविताओं व निबंधों का अनुवाद भी खूब हुआ है.
इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रजी में अनुवाद क्लेर कवन्नाह ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़