कप एंड ओरंजिज़, पियेर-ओगयूस्त रनोआ Cup and Oranges, Pierre-Auguste Renoir |
शुरू में
कुछ भी कहने की. एक
संतरे की फांकें ट्यूलिप के फूल-सी
खिली हुई हैं चीनी मिटटी की तश्तरी में.
कुछ भी हो सकता है.
बाहर सूरज बाँध चुका है
बोरिया-बिस्तर
और रात पूरे आकाश पर
नमक बिखेर चुकी है. मेरा मन
गुनगुना रहा है वह धुन
जो मैंने बरसों से नहीं सुनी!
निःशब्दता की ठंडी देह --
आओ गंध लें इसकी, खा लें इसे.
कई तरीके हैं
बना लेने के इस पल को
एक सुन्दर बाग़
ताकि आनंद हो केवल
यहाँ घूम आने में.
-- रीटा डव
रीटा डव अमरीकी कवयित्री व लेखिका हैं जो एम ऍफ़ ए करने के बाद एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी में क्रिएटिव राइटिंग पढ़ाती रहीं.1993 से 1995 तक वे लाइब्रेरी ऑफ़ कांग्रेस में पोएट लॉरिएट कंसलटेंट इन पोएट्री के पद पर रहीं. इस पद को ग्रहण करने वाली वे पहली अश्वेत अमरीकी नागरिक थीं. 1987 में उन्हें कविता के लिए पुलिट्ज़र प्राइज प्रदान किया गया. इस सम्मान को प्राप्त करने वाली वे दूसरी अश्वेत अमरीकी लेखिका एवं कवयित्री थीं. 2004 से 2006 तक वे वर्जिनिया प्रांत कि पोएट लॉरिएट भी रहीं. उनके कई काव्य संकलन, एक निबंध संकलन,एक नाटक, एक उपन्यास व लघु कथाएं भी प्रकाशित हुई हैं. उन्होंने अमरीकी कवियों की कविताओं के दो संकलनों का सम्पादन भी किया है.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़