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फायर पेंटिंग, ईव क्लाईन Fire Painting, Yves Klein |
बिना उन्हें अपना माने तुम उन्हें ध्यान से देख सकते हो.
द्वन्द और अव्यवस्था यात्रा पर जाना चाहते थे.
उन से बच के निकलने की हमेशा एक राह थी.
प्रायः एक कठिन राह.
तुम उन्हें कोशिश करने पर भी ठीक नहीं कर सकते थे.
और कोशिश तुमने ज़रूर की.
यह सोचना धृष्टता थी कि तुम उन्हें ठीक कर सकते हो.
विलियम गोयेन कहते थे
कि उनका लेखन 'मुसीबत' से शुरू होता था.
कुछ जो उसका तुम कर सकते थे,
जो तुम्हें उस से निकाल देता था,
या तुम्हें उसे देखने देता था.
कुछ ना कहते लोगों का बल.
तुम मेरी समस्याएँ नहीं जानते, मैं तुम्हारी नहीं जानता.
मेरी कोई समस्याएँ नहीं हैं.
जब मेरे पास सिलाई का कुछ काम होता है, मैं खुश होती हूँ.
मातीस ने कहा था, " जिस पल मेरे हाथों में वह रंगों का डिब्बा था
मुझे लगा था जैसे मेरा जीवन वहीं है..."
बिना समस्याओं के उस पर झुकाव के तुम्हारा जीवन कहाँ है?
तुम्हारे बिना क्या कहीं जाएगा वो?
वह कुछ नापसंद करने को ढूंढ ही लेगा, यहाँ भी.
मगर उसे अच्छा करना तुम्हारे हाथ में नहीं है.
अग्नि को कोई अच्छा नहीं कर पाया.
उसके निकल जाने के पश्चात सुशुप्त बीज चटखने लगे.
-- नाओमी शिहाब नाए

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़