सोमवार, फ़रवरी 10, 2014

वसंत

विज़न, मिकालोयुस चिरलोनियस
Vision, Mikalojus Ciurlionis
और देखो साँप फिर प्रकट हुआ है,
अंधियारे के अपने नीड़ से, 
काली चट्टानों तले स्थित अपनी गुफा से, 
अपनी शीत-मृत्यु से
स्वयं को बाहर खींच लाया है.
वह चीड़ के नुकीले पत्तों पर फिसलता है.
घास के उगते गुच्छों के आस-पास घुमाव
बनाता, वह सूरज की तलाश में है.

लम्बी सर्दियों के बाद धूप कौन नहीं चाहेगा भला?
मै रास्ते से हट जाती हूँ,
वह अपनी लम्बी जिह्वा से हवा को परखता है,
अपनी हड्डियों के चारों ओर वह तेल-सा तरल है,

और पहाड़ी की ढलान उतर
वह बढ़ता है काले शीशे-सी सतह वाले तालाब की ओर.
कल रात ठण्ड कम नहीं थी.
मेरी नींद टूटी तो मैं उठ कर बाहर आँगन में आई थी,
और चाँद भी नहीं था.

बस, वैसे ही खड़ी रही थी मैं, मानो शून्य के जबड़ों में भिंची हुई.
कहीं दूर एक उल्लू बोला था,
और मैंने सोचा था जीसस के बारे में, कि कैसे वह 
दुबका रहा होगा अँधेरे में दो रात,
और पुनः क्षितिज के ऊपर तैर आया होगा. 

कितनी कथाएँ हैं 
जो हैं उत्तरों से कहीं सुन्दर.
मैं साँप के पीछे-पीछे तालाब की ओर चल पड़ती हूँ,
ठोस, कस्तूरी-सी गंध लिए 
वह उम्मीद-सा गोलाकार है.


-- मेरी ओलिवर




Mary Oliver मेरी ओलिवर ( Mary Oliver )एक अमरीकी कव्यित्री हैं, जो 60 के दशक से कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. उनके 25 से अधिक कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं और बहुत सराहे गए हैं. उन्हें अमरीका के श्रेष्ठ सम्मान 'नेशनल बुक अवार्ड' व 'पुलित्ज़र प्राइज़' भी प्राप्त हो चुके हैं. उनकी कविताएँ प्रकृति की गुप-चुप गतिविधियों के बारे में हैं, जैसे वो धरती और आकाश के बीच खड़ीं सब देख रहीं हैं. और  उनकी कविताओं में उनका अकेलेपन  से प्यार, एक निरंतर आंतरिक एकालाप व स्त्री का प्रकृति से गहरा सम्बन्ध भी दिखाई देता है. 

इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़