शुक्रवार, जनवरी 11, 2013

स्मृति ही काफी नहीं है

मूनलाइट इंटीरियर, एडवर्ड हॉपर
Moonlight Interior, Edward Hopper
स्मृति ही काफी नहीं है...
मैं याद नहीं करता. मैं जो हूँ
वह मुझमें जीवित है तुम्हारे कारण.
जो तुम पीछे छोड़ गए हो,
उन उदास शांत जगहों में
मैं तुम्हें फिर-से नहीं गढ़ता.
तुम्हारी अनुपस्थिति भी
तुम्हारी ऊष्मा से पूर्ण है
और है तुम्हारे ना होने से
अधिक असली.
चाह अक्सर घुमावदार रास्तों से
अनिश्चितता  तक जाती है.
क्यों जाने दूँ मैं स्वयं को
जब तुम्हारे भीतर का कुछ
शायद मुझे अब भी छू रहा हो,
हलके से ,
जैसे खिड़की वाली सीट को
छूती है चांदनी.



-- रायनर मरीया रिल्के




 रायनर मरीया रिल्के ( Rainer Maria Rilke ) जर्मन भाषा के सब से महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं. वे ऑस्ट्रिया के बोहीमिया से थे. उनका बचपन बेहद दुखद था, मगर यूनिवर्सिटी तक आते-आते उन्हें साफ़ हो गया था की वे साहित्य से ही जुड़ेंगे. तब तक उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित भी हो चुका था. यूनिवर्सिटी की पढाई बीच में ही छोड़, उन्होंने रूस की एक लम्बी यात्रा का कार्यक्रम बनाया. यह यात्रा उनके साहित्यिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुई. रूस में उनकी मुलाक़ात तोल्स्तॉय से हुई व उनके प्रभाव से रिल्के का लेखन और गहन होता गुया. फिर उन्होंने पेरिस में रहने का फैसला किया जहाँ वे मूर्तिकार रोदें के बहुत प्रभावित रहे.यूरोप के देशों में उनकी यात्रायें जारी रहीं मगर पेरिस उनके जीवन का भौगोलिक केंद्र बन गया. पहले विश्व युद्ध के समय उन्हें पेरिस छोड़ना पड़ा, और वे स्विटज़रलैंड में जा कर बस गए, जहाँ कुछ वर्षों बाद ल्यूकीमिया से उनका देहांत हो गया. कविताओं की जो धरोहर वे छोड़ गए हैं, वह अद्भुत है. यह कविता उनके संकलन 'अनकलेकटिड पोएम्ज़' से है.

इस कविता का जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद जोआना मेसी व अनीता बैरोज़ ने किया है. 
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़