गुरुवार, जनवरी 26, 2012

कि मैं जो भी करूँ वह बहे

द सेन विद अ रोइंग बोट, विन्सेंट वान गोग
The Seine With A Rowing Boat, Vincent Van Gogh

ऐसा हो कि मैं जो भी करूँ 
वह नदी की तरह बहे मुझ से,
जैसा होता है बच्चों के साथ,
न कोई आगे बढ़ाने के लिए बल, 
न रोकने का प्रयास.

फिर इस चढ़ते-उतरते बहाव में, 
इन गहराती लहरों में,
जो जाती है, फिर लौट-लौट आती हैं,
गाया ना होगा जैसे किसी ने कभी,
मैं तुम्हें ऐसे गाता जाऊँगा, 
विस्तृत होती जल-धाराओं से होकर 
मैं सागर में मिल जाऊँगा.


 -- रायनर मरीया रिल्के 


 रायनर मरीया रिल्के ( Rainer Maria Rilke ) जर्मन भाषा के सब से महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं. वे ऑस्ट्रिया के बोहीमिया से थे. उनका बचपन बेहद दुखद था, मगर यूनिवर्सिटी तक आते-आते उन्हें साफ़ हो गया था की वे साहित्य से ही जुड़ेंगे. तब तक उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित भी हो चुका था. यूनिवर्सिटी की पढाई बीच में ही छोड़, उन्होंने रूस की एक लम्बी यात्रा का कार्यक्रम बनाया. यह यात्रा उनके साहित्यिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुई. रूस में उनकी मुलाक़ात तोल्स्तॉय से हुई व उनके प्रभाव से रिल्के का लेखन और गहन होता गुया. फिर उन्होंने पेरिस में रहने का फैसला किया जहाँ वे मूर्तिकार रोदें के बहुत प्रभावित रहे.यूरोप के देशों में उनकी यात्रायें जारी रहीं मगर पेरिस उनके जीवन का भौगोलिक केंद्र बन गया. पहले विश्व युद्ध के समय उन्हें पेरिस छोड़ना पड़ा, और वे स्विटज़रलैंड में जा कर बस गए, जहाँ कुछ वर्षों बाद ल्यूकीमिया से उनका देहांत हो गया. कविताओं की जो धरोहर वे छोड़ गए हैं, वह अद्भुत है. यह कविता उनके संकलन 'बुक ऑफ़ इमेजिज़ ' से है.
इस कविता का जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद जोआना मेसी व अनीता बैरोज़ ने किया है. 
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़