पोर्ट्रेट ऑफ़ अ यंग पेजेंट, विन्सेंट वान गोग Portrait Of A Young Peasant, Vincent Van Gogh |
तुम अभी भी जीवित हो, और अभी तक अकेले नहीं हुए --
अपने खाली हाथ लिए, वह अभी भी तुम्हारे पास है,
और एक आनंद पहुंचा देता है तुम दोनों को
धुंध और भूख और तेज़ गिरती बर्फ के बीच से
अपरिमित मैदानों के पार.
भव्य निर्धनता, राजसी गरीबी!
चैन से रहो उसमें, शांत रहो.
धन्य हैं ये दिन, ये रातें,
और मासूम है यह मेहनत का मीठा संगीत.
दयनीय है वह आदमी
जो अपनी छाया के कुत्ते से डर कर भागता है,
जिसे एक हवा घुटनों से काट लेती है,
और गरीब है वह जो अपने जीवन का चिथड़ा
फैलाता है एक छाया से क्षमा की भीख मांगने के लिए.
-- ओसिप मंदेलश्ताम
इस कविता का मूल रशियन से अंग्रेजी में अनुवाद क्लेरन्स ब्राउन व डब्ल्यू एस मर्विन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़