डेर स्पाज़ीअरगैंग. मार्क शगाल |
जो भी आनंद उठाया उन दोनों ने,
वह अलग-अलग ही था:
हल्की बूंदों की फुहार,
गर्म सड़क पर, छतों पर गिरती
तेज़ बारिश की तिरछी बौछार,
उन्हें उल्लासित करती थी,
मगर वह ख़ुशी अलगाव से निर्धारित थी --
चमकती हुई दोपहर का आलस,
समुद्र का कटोरा जब
चमचमाते सिक्कों से भरा होता है ,
या पूर्णिमा की चांदनी-बिछी सफ़ेद सड़क,
वही आनंद जो उन्हें अलग करता है,
बिना बदलाव, उन्हें जोड़ता भी है,
आकस्मिक झोंकों में ले भी जाता है
सुख के बहुत पास ,
जैसे पत्तों को एक साथ हिलाता है
एक हरी-सी 'हाँ' में,
मगर पहले से ही उनके जीवन का
गहरा बंटवारा कर चुका होता है.
चांदनी रातों में बादल
मंदिर के संगमरमर-से चमकते रहे;
वह हठी था,
अपनी ही आशाओं की बलि चढ़ गया,
जुगनुओं की तरह जिनकी झूठी रोशनी,
उजाला होते ही धुंधली हो जाती है.
-- डेरेक वालकॉट
यह कविता ' वाईट एग्रेट्स' के 'सिसिलियन सुईट ' में से ली गयी है.
इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़