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हॉर्स ऑन द शोर ऑफ़ अ लेक, जोर्जियो द किरीको Horse on the Shore of a Lake, Giorgio de Chirico |
आखिर निकलता हूँ मैं सैर के लिए
चाँद पैरों तले कहीं हल चलाने गया है
तारे नहीं हैं, रोशनी का सुराग तक नहीं !
अगर इस खुले खेत में
कोई घोड़ा सरपट दौड़ता मेरी ओर आ रहा हो तो?
जो नहीं बिताया मैंने एकांत में
हर वो दिन निरर्थक था.
-- रोबर्ट ब्लाए
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़