फ्रोग, एंडी वारहोल Frog, Andy Warhol |
अगर वह यही है,
तो मैं सब छोड़, बनना चाहती हूँ एक पंछी, एक तितली,
गर्मियों की छाया, फड़फड़ाता पत्ता,
पानी में इधर-उधर तैरता पंडुक.
आज एक मेंढक ने प्रतीक्षा की, बेला के पौधे के तले,
भोर से पहले की ठंडी गीली बूंदों की.
कितनी शान से वह उठा था
जब पानी ने छुआ था उसकी खाल को --
एक और सुबह के सामने उसका सहज-सा आनंद --
तुलना करो इसकी बमबारी,
गोलीबारी, तोड़-फोड़ और आतंकवाद से
जो लोग करते आ रहे हैं
जितने हम गिन भी ना पायें उस से अधिक देशों में
और पूछो स्वयं से -- मानव या मेंढक?
-- नाओमी शिहाब नाए
नाओमी शिहाब नाए ( Naomi Shihab Nye )एक फिलिस्तीनी-अमरीकी कवयित्री, गीतकार व उपन्यासकार हैं. वे बचपन से ही कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. फिलिस्तीनी पिता और अमरीकी माँ की बेटी, वे अपनी कविताओं में अलग-अलग संस्कृतियों की समानता-असमानता खोजती हैं. वे आम जीवन व सड़क पर चलते लोगों में कविता खोजती हैं. उनके 7 कविता संकलन और एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक अवार्ड व सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्होंने अनेक कविता संग्रहों का सम्पादन भी किया है. यह कविता उनके संकलन " यू एंड युअर्ज़ " से है.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़