मंगलवार, मई 31, 2011

छिपा हुआ

ईस्टर्न वुमंज़ हेड, जोर्जिओ द किरीको
Eastern Woman' Head, Giorgio De Chirico
अगर तुम एक फ़र्न को 
एक पत्थर के नीचे रख दोगे
तो अगले ही दिन
वह मुरझा, 
अदृश्य-सा हो जायेगा,
मानो पत्थर उसे निगल गया हो.

जिसे तुम प्यार करते हो,
अगर तुम उसका नाम 
बिन बोले बहुत समय 
दबा के रख लेते हो 
ज़ुबान के नीचे 
तो वह खून बन जाता है,
आह बन जाता है.
वह हौले-से अन्दर खींची हवा
तुम्हारे हर शब्द के पीछे 
छिपी होती है. 

जिस से तुम्हारी लौ जलती है 
उसे कोई देख नहीं सकता.


-- नाओमी शिहाब नाए



                                                                                                                                                                                                                     
    

नाओमी शिहाब नाए एक फिलिस्तीनी-अमरीकी कवयित्री, गीतकार व उपन्यासकार हैं. वे बचपन से ही कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. फिलिस्तीनी पिता और अमरीकी माँ की बेटी, वे अपनी कविताओं में अलग-अलग संस्कृतियों की समानता-असमानता खोजती हैं. वे आम जीवन व सड़क पर चलते लोगों में कविता खोजती हैं. उनके 7 कविता संकलन और एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक अवार्ड व सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्होंने अनेक कविता संग्रहों का सम्पादन भी किया है.

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

शनिवार, मई 28, 2011

देव देव हैं क्योंकि...

रोज़िज़ एंड बीटल, विन्सेंट वान गोग
Roses And Beetle, Vincent Van Gogh
नियति को निभाओ,
अपने पौधों को पानी दो, 
अपने फूलों से प्यार करो. 
बाकी सब 
अनजाने पेड़ों की छाया है. 

यथार्थ हमेशा, 
जो हम चाहते हैं,
उस से कम या 
उस से अधिक ही होता है. 
केवल हम ही 
स्वयं के तुल्य होते हैं. 

अकेले रहना अच्छा है, 
और सादगी से रहना 
बहुत ही अच्छा.
दुःख को देवों के चरणों में 
भेंट-सा चढ़ा दो. 

जीवन को दूर से देखो.
कभी सवाल मत करो. 
तुम्हें बताने के लिए
उसके पास कुछ भी नहीं है.
उत्तर देवों से भी आगे है कहीं.

मगर चुपचाप अपने मन में 
देवों का अनुसरण करो.
देव देव हैं
क्योंकि वे कभी नहीं सोचते
कि वे क्या हैं.

-- फेर्नान्दो पेस्सोआ ( रिकार्दो रेइस)

 फेर्नान्दो पेस्सोआ ( Fernando Pessoa )20 वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. यह कविता उन्होंने रिकार्दो रेइस ( Ricardo Reis )के झूठे नाम से लिखी थी. अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने 72 झूठे नामों या हेट्रोनिम् की आड़ से सृजन किया, जिन में से तीन प्रमुख थे. और हैरानी की बात तो यह है की इन सभी हेट्रोनिम् या झूठे नामों की अपनी अलग  जीवनी, दर्शन, स्वभाव, रूप-रंग व लेखन शैली थी. पेस्सोआ  के जीतेजी उनकी एक ही किताब प्रकाशित हुई. मगर उनकी मृत्यु के बाद, एक पुराने ट्रंक से उनके द्वारा लिखे 25000 से भी अधिक पन्ने  मिले, जो उन्होंने अपने अलग-अलग नामों से लिखे थे. पुर्तगाल की नैशनल लाइब्रेरी में इनके सम्पादन का काम आज भी जारी है. यह कविता उनके संकलन 'ओड्ज़' से है.
इस कविता का मूल पोर्त्युगीज़ से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.

इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

गुरुवार, मई 26, 2011

उन में से एक तितली

पोप्पीज़ एंड बटरफ्लाइज, विन्सेंट वान गोग 
Poppies and butterflies, Vincent Van Gogh
सुख की मुश्किल ही यही है
कि उसे वक़्त का कुछ अंदाज़ा नहीं होता
बिन बताए सामने आ खड़ा हो जाता है
और इस से पहले कि मैं समझूँ
कि वह यहाँ था
वह जा चुका होता है
वह अपहचाना-सा
खड़ा रह सकता है मेरे सामने
जबकि मैं कहीं और ही हो सकता हूँ
कुछ और याद करता हुआ
किसी दूसरे युग में
किसी ऐसे को ढूँढता हुआ
जो सालों से नहीं दिखा
और फिर दिखेगा भी नहीं इस दुनिया में
और ऐसा लगता है
कि वह जिस से मैं अनभिज्ञ था
जब वह यहाँ था
उस सुख को
अब संजो पा रहा हूँ मैं
हालाँकि अभी भी वह पहुँच से बाहर है
और उसे पकड़ा नहीं जा सकता
ना ही उसका नाम रखा जा सकता है
ना ही उसे वापिस बुलाया जा सकता है
और अगर मैं उसको रोक पाता
जैसा कि मैं चाहता हूँ
वह सिर्फ और सिर्फ
दुःख ही बन कर रह जाता

-- डब्ल्यू एस मर्विन 

W.S. Merwinडब्ल्यू एस मर्विन ( W S Merwin )अमरीकी कवि हैं व इन दिनों अमरीका के पोएट लॉरीअट भी हैं.उनकी कविताओं, अनुवादों व लेखों के 30 से अधिक संकलन प्रकाशित हो चुके हैं .उन्होंने दूसरी भाषाओँ से अंग्रेजी में बहुत अनुवाद किया है व अपनी कविताओं का भी स्वयं ही दूसरी भाषाओँ में अनुवाद किया है.अपनी कविताओं के लिए उन्हें अन्य सम्मानों सहित पुलित्ज़र प्राइज़ भी मिल चुका है.वे अधिकतर बिना विराम आदि चिन्हों के मुक्त छंद में कविता लिखते हैं.यह कविता उनके संकलन 'द शैडो ऑफ़ सिरिअस ' से है.

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

मंगलवार, मई 24, 2011

तूफ़ान की आशंका

समर स्टॉर्म, रोबेर्ट हेनरी 
जब घने बादल
शाम से पहले ही 
ले आते हैं रात को 
जब धुंध का एक दायरा 
क्षितिज से पहले ही 
रोक लेता है रास्ते को 
जब सहमे-से विलो के पेड़ 
हवा के आने से पहले ही
कांपते हैं अपनी चुप्पी में 
जब बिखरी-सी नमी 
बारिश के आने से पहले ही 
चुभती है आँखों के कोरों में 
जब एक गूढ़ रहस्यमय धुंआ 
भर जाता है बहुत गहरे  
इस बिल जैसे जीवन में

-- मिशेल दगी  
       
     
 Michel Deguy मिशेल दगी फ़्रांस के कवि व दार्शनिक हैं और फ़्रांसिसी बौद्धिक दुनिया में उनका खूब नाम है. वे युनिवेर्सिते द पारी (सें दनी )में फ़्रांसिसी साहित्य पढ़ाते हैं .वे अपनी साहित्यिक पत्रिका Po&sie,जो 1972 में शुरू हुई थी, के संस्थापक-संपादक हैं. साथ ही वे जाँ पॉल सार्त्र  द्वारा संस्थापित पत्रिका 'ले तौं मोदेर्न ' के सम्पादक भी हैं. फ़्रांस में उनकी 30 से अधिक किताबे छप चुकी हैं व उनके लेखन व कविताओं का कई भाषाओँ में अनुवाद भी हुआ है. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक सम्मान मिल चुके हैं जिनमें 1998 का 'ग्रों प्री नासिओनाल द ला पोएज़ी ' और 2004 का 'ग्रों प्री द पोएज़ी द लाकादमी फ्रोंसेज़ 'शामिल हैं.
इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

रविवार, मई 22, 2011

तुम्हारा हाथ

लवर्स हैंड्स, ओग्यूस्त रोदें
Lovers Hands, Auguste Rodin
तुम से दूर हूँ,
हवा का हाथ थामती हूँ मैं,
या तुम्हारा कल्पित, 
ना छुआ जा सकने वाला हाथ.
यहाँ नहीं हो तुम, 
मगर चलते-चलते 
तुम्हारी उँगलियाँ जैसे 
मेरी उँगलियों में गुंथ जाती हैं.
और मेरे मन के किसी कोने में 
बोलने लगते हो तुम.


हवा को हौले-से दबाती हूँ मैं,
झड़े हुए पत्तों को पैरों से बिखेर देती हूँ,   
अचानक सब सुनहरा हो जाता है.
आधा विश्वास तो हो ही जाता है मुझे, 
कि मेरा हाथ तुम्हारे हाथ में ही है, 
वैसे ही जैसे, 
अगर तुम यहाँ होते, तो होता.


मेरे मन में क्या कहते जा रहे हो तुम? 
सर झुका कर सुनती हूँ,
और लगता है जैसे तुम्हारा हाथ, ऊपर उठ,
सचमुच मेरे बालों को हलके-से सहला रहा है, 
वैसे ही जैसे, 
ऊपर इन बेचैन पेड़ों को हवा 
सचमुच हौले-से छू रही है. 
अब प्यार के बारे में बोलते हुए 
तुम्हें साफ़-साफ़ सुन पा रही हूँ.




-- कैरल एन डफ्फी 


  कैरल एन डफ्फी ( Carol Ann Duffy )स्कॉट्लैंड की कवयित्री व नाटककार हैं. वे मैनचेस्टर मेट्रोपोलिटन युनिवेर्सिटी में समकालीन कविता की प्रोफ़ेसर हैं. 2009 में वे ब्रिटेन की पोएट लॉरीअट नियुक्त की गईं. वे पहली महिला व पहली स्कॉटिश पोएट लॉरीअट हैं. उनके स्वयं के कई कविता संकलन छ्प चुके हैं. उन्होंने कई कविता संकलनों को सम्पादित भी किया है. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक सम्मान व अवार्ड मिल चुके हैं. सरल भाषा में लिखी उनकी कविताएँ अत्यंत लोकप्रिय हैं व स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा भी हैं. यह कविता उनके 2005 में छपे संकलन ' रैप्चर ' से है, जिसे टी एस एलीअट प्राइज़ मिला था.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़                                                                                                                                                        

शनिवार, मई 21, 2011

तुम्हारी ईमेल

कम्बोडियन डांसर, ओग्यूस्त रोदें 
जब तुम मेरी ईमेल का जवाब देते हो, 
सारे के सारे ग्रह-नक्षत्र 
मेरे आस-पास घूम जाते हैं,
जो दूरस्थ हैं, वे भी पास आ जाते हैं.
तितली पूर्व बंधन छोड़ पंख फैलाती है. 
अंगूर पक जाते हैं मेरे लिए 
और अपने हरे-हरे प्रतान 
फैला देते हैं पड़ोस के बगीचे तक. 
प्यार की देवी 'इश्तार' 
फिर जीवित हो जाती है
और उजड़े शहरों के लिए 
अपना गीत गाती है,
अपने मुंह से धूल झाड़
कुशल नर्तकी-सा नृत्य करती है,
सारे सैनिकों को वापिस घर 
अपने अपनों के पास भेज देती है,
और मरहम लगाती हैं
इस टूटी टांग वाली नन्ही चिड़िया को,
दो नदियों के बीच वाले देश में 
यह भी तो घायल हुई थी.
वह अपने फटे आँचल 
के तार गिनती है 
और सो जाती है.
मगर मैं अभी भी तुम्हारी ईमेल का इंतज़ार कर रही हूँ.
स्क्रीन में मेरी थकी-थकी आँखें प्रतिबिंबित हो रहीं हैं 
और मेरी घड़ी की दोनों सुईयां 
तुम्हारी चुप्पी के बीचोंबीच 
गले मिल रहीं हैं. 

-- दून्या मिखाइल 

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 दून्यामिखाइल ( Dunya Mikhail )एक इराकी-अमरीकी कवयित्री हैं. वे अरबी में लिखतीं हैं व उनकी कविताएँ इराक के हालात , युद्ध, युद्ध से प्रभावित जीवन व विस्थापन के बारे में हैं. अरबी में उनकी कविताओं के पांच संकलन प्रकाशित हुए हैं. उनकी अंग्रेजी में अनूदित कविताओं के दो संकलन प्रकाशित हुए हैं, जिन में 'द वार वर्क्स हार्ड' को PEN ट्रांसलेशन अवार्ड मिला व 'डायरी ऑफ़ अ वेव आउटसाइड द सी' को अरब अमेरिकेन बुक अवार्ड मिला है. 2001 में उन्हें यू एन ह्यूमन राइट्स अवार्ड फॉर फ्रीडम ऑफ़ राइटिंग प्राप्त हुआ.
वे 1996 से अमरीका में रहती हैं व अरबी पढ़ाती हैं.
इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद डैन वीच ने किया है.    
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

गुरुवार, मई 19, 2011

जब मैंने कहा था कि मैं तुम्हें चाहता हूँ -- कुछ प्रेम कविताएँ

पीच ट्रीज़ इन ब्लोस्सम, विन्सेंट वान गोग
Peach Trees In Blossom, Vincent Van Gogh

तुम्हारे लिए मैं अलग-ही शब्द लिखना चाहता हूँ 
एक नई भाषा गढ़ना चाहता हूँ सिर्फ तुम्हारे लिए
जो तुम्हारे बदन को समा ले
और मेरे प्यार को.

                          ---

बहुत दूर चला जाना चाहता हूँ मैं शब्दकोष से 
और अपने होंठ पीछे छोड़ जाना चाहता हूँ. 
इस मुंह से तंग आ गया हूँ मैं, 
अब कोई दूसरा मुंह चाहता हूँ. 
ऐसा जो कभी चेरी का पेड़ बन जाए, 
कभी माचिस की डिबिया. 
जिस में से शब्द ऐसे निकलें 
जैसे पानी में से जलपरियाँ,
जैसे जादूगर की पिटारी में से सफ़ेद कबूतर. 

                         ---

तुम्हारे लिए 
एक अनूठा किताबघर बनाना चाहता हूँ. 
जिस में मैं रखूँगा 
बारिश की रिम-झिम,
चाँद की मिट्टी,
घने काले बादलों की उदासी,
पतझड़ के पहियों के नीचे
दबे पत्तों का दर्द.

-- निज़ार क़ब्बानी 

  निज़ार क़ब्बानी ( Nizar Kabaani )सिरिया से हैं व अरबी भाषा के कवियों में उनका विशिष्ट स्थान है. उनकी सीधी सहज कविताएँ अधिकतर प्यार के बारे में हैं. अरबी दुनिया में नारी का स्थान क्या है और क्या होना चाहिए, इस विषय पर भी लिखा है उन्होंने. साथ ही अरबी राष्ट्रवाद भी उनकी कविताओं में खूब झलकता है. जब उनसे पूछा गया कि क्या वे क्रांतिकारी हैं, उन्होंने ने कहा था -- अरबी दुनिया में प्यार नज़रबंद है, मैं उसे आज़ाद करना चाहता हूँ. उन्होंने 16 कि उम्र से कविताएँ लिखनी शुरू कर दी थी, व उनके 34 कविता संग्रह छप चुके हैं. उनकी कविताओं को कई प्रसिद्द अरबी गायकों ने गया है, जिन में मिस्र की बेहतरीन गायिका उम्म कुल्थुम भी हैं, जिनके गीत सुनने के लिए लोग उमड़ पड़ते थे.
इन कविताओं का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद लेना जायुसी ने किया है.
इन कविताओं का हिंदी में अनुवाद  -- रीनू तलवाड़ 

मंगलवार, मई 17, 2011

और जब मेरी स्मृति

अं कूप्ल दामुरअ, विन्सेंट वान गोग 
और जब मेरी धुंधलाती स्मृति,
देर रात चलती रेलगाड़ियों की तरह, 
बड़े बड़े स्टेशनों पर ही रुकेगी,
तब भी नहीं भूलूंगा तुम्हें.


मैं याद करूँगा 
तुम्हारे आँखों में फैली अनंत
यह उदास शाम,
मेरे कंधे पर तुम्हारी दबी-सी सिसकी, 
जो धूल की तरह  
कभी झाड़ी नहीं जा सकेगी. 

वियोग का क्षण आया 
और मैं चला गया,
तुमसे बहुत दूर कहीं. 
कुछ ख़ास नहीं,
पर किसी-किसी रात,
किसी की उँगलियाँ 
तुम्हारे बालों में गुंथ जाएँगी, 
मेरी दूरस्थ उँगलियाँ 
मीलों का सफ़र तय करेंगी.

-- इस्माइल कदारे  






इस्माइल कदारे अल्बेनिया के कवि व लेखक हैं. अब वे अपने उपन्यासों के लिए अधिक जाने जाते हैं मगर पहले अपनी कविताओं से ही पहचाने जाने लगे थे. 2005 में मैन-बुकर  का इंटरनैशनल लिटरेचर प्राइज़ सर्वप्रथम उन्हें ही प्राप्त हुआ था. वे अल्बेनिया के इलावा फ़्रांस में काफी समय व्यतीत करते हैं, और उनकी कविताएँ व उपन्यास फ्रेंच में खूब अनूदित हुए हैं. यहाँ तक कि अंग्रेजी में उनके लेखन का अनुवाद अधिकतर फ्रेंच से किया गया है न की अल्बेनियन से. 40 देशों में उनके किताबें प्रकाशित हुई हैं व 30 भाषाओँ में उनके लेखन का अनुवाद हुआ है. बुकर प्राइज़ सहित उन्हें कई पुरुस्कार मिल चुके हैं व नोबेल प्राइज़ के लिए वे कई बार नामित किये जा चुके हैं.
इस कविता का मूल अल्बेनियन से अंग्रेजी में अनुवाद राबर्ट एलसी ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़  

रविवार, मई 15, 2011

कहाँ किसके बिना

ट्रीज़ एंड अंडरग्रोथ 2, विन्सेंट वान गोग
Trees And Undergrowth 2, Vincent Van Gogh





नहीं है 
पेड़ों के बीच कोई भी
और मैं 
न जाने मैं कहाँ चला गया हूँ 



-- ओक्तावियो पास 



  ओक्तावियो पास ( Octavio Paz )मेक्सिको के लेखक व कवि थे. वे कुछ साल भारत में मेक्सिको के राजदूत भी रहे. उनके लेखन पर मार्क्सवाद, स्यूरेयालीज्म, एग्ज़िस्टेन्शलिज़म के साथ हिन्दू व बौध धर्मों का भी बहुत प्रभाव रहा. उनकी कविताओं व निबंधों के असंख्य संकलन छपे हैं व अनेक भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है. सैम्युएल बेकेट, एलीजाबेथ बिशप, मार्क स्ट्रैंड जैसे जाने-माने कवियों-लेखकों ने उनके लेखन का अंग्रेजी में अनुवाद किया है. सर्वंतेस प्राइज़ व 1990 के नोबेल पुरस्कार सहित उन्हें अनेक सम्मान मिले थे.
इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद एलियट वाइनबर्गर ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

शनिवार, मई 14, 2011

रोशन

रेनबो, औग्यूस्त रोदें
Rainbow, Auguste Rodin


हवा से अधिक 
पानी से अधिक 
होंठों से अधिक 
रोशन रोशन 
तुम्हारा बदन 
संकेत भर है
तुम्हारे बदन का 


-- ओक्तावियो पास 




  ओक्तावियो पास ( Octavio Paz )मेक्सिको के लेखक व कवि थे. वे कुछ साल भारत में मेक्सिको के राजदूत भी रहे. उनके लेखन पर मार्क्सवाद, स्यूरेयालीज्म, एग्ज़िस्टेन्शलिज़म के साथ हिन्दू व बौध धर्मों का भी बहुत प्रभाव रहा. उनकी कविताओं व निबंधों के असंख्य संकलन छपे हैं व अनेक भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है. सैम्युएल बेकेट, एलीजाबेथ बिशप, मार्क स्ट्रैंड जैसे जाने-माने कवियों-लेखकों ने उनके लेखन का अंग्रेजी में अनुवाद किया है. सर्वंतेस प्राइज़ व 1990 के नोबेल पुरस्कार सहित उन्हें अनेक सम्मान मिले थे.
इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद योहानन बैल्हार्ज़ ने किया.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

गुरुवार, मई 12, 2011

मैंने तुम्हें चाहा, नहीं चाहा

स्टडी ऑफ़ पाइन ट्रीज़, विन्सेंट वान गोग
Study Of Pine Trees, Vincent Van Gogh
मैंने चाहा तुम्हें, 
नहीं तुम्हें नहीं चाहा.
मैंने वह चाहा 
जो पीछे से चलता आ रहा था.
हमारे लिए
रास्ते खुल जायेंगे.
जीवन ले जायेगा हमें
अपनी प्रकृति के पास.
पुरातन चीड़ के पेड़ तले
हम अपनी परछाइयाँ भूल जायेंगे,
वहीँ छाँव में बैठा छोड़ आयेंगे. 
हमारे रास्तों पर  
एक नया दिन निकलेगा.
अलग-अलग हैं हमारी परछाइयाँ --
वो गले नहीं मिलती,
ना ही पंछियों की बातों का
जवाब देती हैं.
मैंने कहा था -- याद करना हो 
तो परछाई को करना. 

-- महमूद दरविश 

 महमूद दरविश ( Mahmoud Darwish )एक फिलिस्तीनी कवि व लेखक थे जो फिलिस्तीन के राष्टीय कवि भी माने जाते थे. उनकी कविताओं में अक्सर अपने देश से बेदखली का दुःख प्रतिबिंबित होता है. उनके तीस कविता संकलन व आठ किताबें छप चुकी हैं. अपने लेखन के लिए, जिसका बीस भाषाओँ में अनुवाद भी हो चुका है, उन्हें असंख्य अवार्ड मिले हैं. फिलिस्तीनी लोगों के 'वतन' के लिए संघर्ष के साथ उनकी कविताओं का गहरा नाता है. जबकि उनकी बाद की कविताएँ मुक्त छंद में  लिखी हुईं और कुछ हद तक व्यक्तिगत हैं, वे राजनीती से कभी दूर नहीं रह पाए.
इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद फादी जूदह ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

मंगलवार, मई 10, 2011

हरे-हरे से भारत में

लैंडस्केप, रवीन्द्रनाथ टैगोर
Landscape, Rabindranath Tagore
हरे-हरे से भारत में 
जहाँ शांत पेड़ 
नीले पानी पर झुके रहते हैं,
टैगोर रहते हैं.

समय खड़ा रहता है वहां 
मंत्रमुग्ध-सा ,
गहरा नीला एक वृत्त.
घडी,
न महीना बताती है न साल,
बस मंदिरों के शिखरों पर से,
पेड़ों के पर्वतों पर से, 
किन्हीं अदृश्य कलों से 
संचालित,
एक मौन में तरंगित होती है.

वहां कोई मर नहीं रहा, 
कोई विदा नहीं ले रहा --
एक पेड़ पर अटका
जीवन अनंत है ...

-- स्रेच्को कोसोवेल 

   स्रेच्को कोसोवेल ( Srečko Kosovel ) स्लोवीनिया के कवि थे जिन्हें स्लोवीनिया का 'रिम्बो' भी कहा जाता है. 22 साल की अल्पायु में ही उनका देहांत हो गया था, मगर अपने पीछे वे लगभग एक हज़ार सुन्दर कविताएँ छोड़ गए. अब वे मध्य-यूरोपीय माडर्नस्ट कविता के प्रमुख कवियों में गिने जाते हैं. उनकी कविताएँ प्रथम विश्व युद्ध के बाद की हताशा व खलबली दर्शाती हैं.हैरानी की बात है की मध्य-यूरोप के छोटे कसबे में रहते कोसोवेल ने, टैगोर की लेखन में, वह शान्ति व दर्शन पाया जो वे खोज रहे थे. उनकी कविताओं में पचास से भी अधिक बार टैगोर का उल्लेख होता है.
 इस कविता का मूल स्लोवीनियन से अंग्रेजी में अनुवाद आना जेल्निकर व बारबरा सीगल कार्लसन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 





शनिवार, मई 07, 2011

प्यार

द सोअर  (स्टडी ), विन्सेंट वान गोग
The Sower (Study), Vincent Van Gogh
कितनी दूर है मेरी रात
तुम्हारी रात से!
और कितनी और रातें,
ऊंचे पर्वतों-सी, 
उठी हुई हैं इन दोनों के बीच.

मैंने तुम्हारे लिए रास्ता भेजा था,
पर तुम नहीं मिले. 
थक के लौट आया वो मेरे पास.
अपना गीत-हिरन भेजा था. 
पर शिकारियों के निशानों से घायल, 
लौट आया वो मेरे पास.
जाने कौन सी दिशा ली हवा ने,
जंगल में, दर्द की कंदराओं में भटक, 
अंधी होकर
लौट आई वो मेरे पास.

एक निराश बारिश झर रही है.

कल सुबह-सुबह, 
एक इन्द्रधनुष भेजूं क्या?
तुम्हे ढूँढने. 
लेकिन वो, ख़ुशीयों-सा नादान,
एक ही पहाड़ पार कर पायेगा.

मैं स्वयं ही निकलूंगा रात में 
ढूंढूंगा, ढूंढूंगा, ढूंढूंगा, 
जैसे अँधेरे कमरे में हाथ टटोलता है,
ढूंढता है बुझे हुए दिए को.

-- विसार ज्हीटी

  विसार ज्हीटी ( Visar Zhiti )अल्बेनिया के कवि व लेखक हैं. वे कॉलेज में पढ़ाते थे जब उनका पहला कविता संकलन छपने लगा था, और सियासी हालातों की वजह से उनके लेखन को भड़काने वाला साबित कर, उन्हें जेल में बंद कर दिया गया. कागज़-कलम की मनाही थी, और उन्होने 100 से अधिक कवितायेँ रची व याद रखी.13 साल उन्होंने कांसनट्रेशन कैम्प  में यातनाएं सह कर बिताये. उनके कुल 6 कविता-संकलन छपे हैं व उनकी कविताओं का अंग्रेजी में अनुवाद भी हुआ है.
इस कविता का अल्बेनियन से अंग्रेजी में अनुवाद राबर्ट एलसी ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

गुरुवार, मई 05, 2011

बस यही

द गोल्डन ऑटम, लिओनिद पास्तरनाक 
एक घाटी और ऊपर पतझड़-रंगे जंगल. 
एक यात्री आता है, 
एक नक्शा उसे वहां लाता है. 
या शायद स्मृति. 
बहुत समय पहले एक दिन, 
जब पहली बर्फ गिर रही थी,
इस तरफ आते हुए उसे ख़ुशी महसूस हुई थी, 
इतनी ख़ुशी, अकारण, आँखों से छलकती.
सब कुछ हिलते पेड़ों की लय में था,
उड़ते पंछी की लय में 
पुल पार करती रेलगाड़ी की लय में... 
एक गतिशील उत्सव.
फिर वो बहुत सालों बाद लौटता है,
अब उसे कुछ नहीं चाहिए.
बस केवल एक चीज़, कुछ अनमोल:
एक दृष्टि -- सीधी, साफ़, नाम बिना,
अपेक्षा, उम्मीद, डर बिना,
एक दृष्टि...उस कगार पर 
जहाँ कोई मैं नहीं, जहाँ मैं नहीं.


-- चेस्वाफ़ मीवोश 


चेस्वाफ़ मीवोश (Czeslaw Milosz) पोलैंड के प्रसिद्द कवि, लेखक व अनुवादक थे. उनका जन्म लिथुएनिया में हुआ था और वे पांच भाषाएँ जानते थे -- पोलिश, लिथुएनिअन,रशियन, अंग्रेजी व फ्रेंच. द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात,1951 में उन्होंने पोलैंड छोड़ फ्रांस में आश्रय लिया, और 1970 में अमरीका चले गए. वहां वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया में पोलिश साहित्य के प्रोफ़ेसर रहे. उनके 40 से भी अधिक कविताओं व लेखों के संकलन प्रकाशित हुए हैं व कई भाषाओँ में अनूदित किये गए हैं. अन्य कई सम्मानों सहित उन्हें 1980 में नोबेल प्राइज़ भी मिल चुका है.
इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रेजी में अनुवाद रोबेर्ट हास ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

मंगलवार, मई 03, 2011

उजाले

गोल्डफिश, ओंरी मातीस

साफ़ खुला आकाश, 
हवा चुप है, एकदम स्थिर, 
मैं आँगन के छोटे तालाब के पास बैठा हूँ. 
पानी में हौले-से हिलती सोन मछलियाँ,
उनकी झिलमिलाती चमक और मैं --
ऐसे साथ हैं हम 
जैसे मिट्टी और पानी.

ताज़े धुले गुच्छों में जीवन जैसे सघन हो जाता है. 
माँ मीठी बेज़िल की पत्तियां धो रही है. 
नान और पनीर, साफ़ खुला आकाश,
पेट्यूनिया की पंखुड़ियों का भीगा मखमल.
इस आँगन के फूल-पत्तों के बीच कहीं,
बहुत पास ही है मुक्ति.

पीतल के कटोरे को 
कैसे दुलार रही है रोशनी.
ऊंची दीवारों से लगी सीढ़ी से 
पग-पग नीचे उतरती है सुबह 
और बिछ जाती है ज़मीन पर.
हर चीज़ की रहस्यमय मुस्कान के पीछे 
समय के घेरे में एक छोटी-सी खिड़की है, 
जिस से मेरा चेहरा बाहर झांकता है.

कितना कुछ है जो मैं नहीं जानता मगर, 
अगर मैं वो टहनी तोड़ लूँगा, 
जानता हूँ , मर जाऊँगा.
मैं बहुत ऊपर उठ जाऊँगा 
और मेरे पंख निकल आयेंगे. 
मैं अँधेरे में एक राह देख रहा हूँ. 
मैं एक दीपक हूँ. 
रेत, रोशनी, पेड़ों भरे जंगल 
और मैं...एक हैं हम सब.
मैं रास्ता हूँ, पुल हूँ,
नदी हूँ, लहरें हूँ,
पानी पे तिरती एक पत्ते की छाया 
मेरे अनंत एकांत को भर देती है. 

--सोहराब सेपेहरी 


सोहराब सेपेहरी फारसी नयी कविता के प्रख्यात कवि व ईरान के सर्वश्रेष्ठ माडर्नस्ट पेंटर थे. उनकी कविताएँ मानवतावादी हैं व प्रकृति के प्रति उनके प्रेम को झलकाती हैं. उन्होंने ने फ़ारसी कविता को नया मुहावरा दिया क्योंकि वे बौद्ध धर्मं, रहस्यवाद व पश्चिमी परम्पराओं से प्रभावित थे. साथ ही मुक्त छंद में लिख कर उन्होंने एक नयी शैली को भी स्थापित किया. उनकी कविताओं का अनेक भाषाओँ में अनुवाद किया गया है.

इस कविता का मूल फारसी से अंग्रेजी में अनुवाद जेरोम डब्ल्यू क्लिंटन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

रविवार, मई 01, 2011

तुम कहते हो


Landscape With Couple Walking And Crescent Moon - Vincent Van Gogh - www.vincent-van-gogh-gallery.org
लैंडस्केप विद कपल वाकिंग एंड क्रेस्सेंट मून, विन्सेंट वान गोग
Landscape With Couple Walking And Crescent Moon, Vincent Van Gogh



ये सब मन के भ्रम हैं, तुम कहते हो, 
इनका ख़ुशी से कोई लेना-देना नहीं.
ठण्ड का आना, गर्मी का आना 
मन के पास समय ही समय है.
तुम मेरा हाथ थाम के कहते हो 
कि कुछ होने वाला है, कुछ अनोखा, 
जिस के लिए हम हमेशा-से तैयार थे, 
जैसे पूरब में पूरा दिन बिता कर 
सूरज आता है 
जैसे हमारे साथ रात बिता कर 
चाँद चला जाता है.

-- मार्क स्ट्रैन्ड







 मार्क स्ट्रैन्ड ( Mark Strand )एक अमरीकी कवि, लेखक व अनुवादक हैं. 1990 में वे अमरीका के 'पोएट लौरेएट ' थे. वे कई जाने-माने विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी पढ़ा चुके हैं और आजकल  कोलम्बिया  युनिवेर्सिटी में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं. उन्हें 'पुलित्ज़र प्राइज़ ' सहित कई सम्मान मिल चुके हैं. अब तक उनकी कविताओं, लेखों व अनुवादों के 30 से भी अधिक संकलन छ्प चुके हैं.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से अनुवाद -- रीनू  तलवाड़