लैंडस्केप, रवीन्द्रनाथ टैगोर Landscape, Rabindranath Tagore |
जहाँ शांत पेड़
नीले पानी पर झुके रहते हैं,
टैगोर रहते हैं.
समय खड़ा रहता है वहां
मंत्रमुग्ध-सा ,
गहरा नीला एक वृत्त.
घडी,
न महीना बताती है न साल,
न महीना बताती है न साल,
बस मंदिरों के शिखरों पर से,
पेड़ों के पर्वतों पर से,
किन्हीं अदृश्य कलों से
संचालित,
एक मौन में तरंगित होती है.
वहां कोई मर नहीं रहा,
कोई विदा नहीं ले रहा --
एक पेड़ पर अटका
जीवन अनंत है ...
-- स्रेच्को कोसोवेल
स्रेच्को कोसोवेल ( Srečko Kosovel ) स्लोवीनिया के कवि थे जिन्हें स्लोवीनिया का 'रिम्बो' भी कहा जाता है. 22 साल की अल्पायु में ही उनका देहांत हो गया था, मगर अपने पीछे वे लगभग एक हज़ार सुन्दर कविताएँ छोड़ गए. अब वे मध्य-यूरोपीय माडर्नस्ट कविता के प्रमुख कवियों में गिने जाते हैं. उनकी कविताएँ प्रथम विश्व युद्ध के बाद की हताशा व खलबली दर्शाती हैं.हैरानी की बात है की मध्य-यूरोप के छोटे कसबे में रहते कोसोवेल ने, टैगोर की लेखन में, वह शान्ति व दर्शन पाया जो वे खोज रहे थे. उनकी कविताओं में पचास से भी अधिक बार टैगोर का उल्लेख होता है.
इस कविता का मूल स्लोवीनियन से अंग्रेजी में अनुवाद आना जेल्निकर व बारबरा सीगल कार्लसन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
trees and foreverness...life in green.
जवाब देंहटाएंachchhi kavita kaa behatreen anuwaad!
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