वाज़ विद फिफ्टीन सनफ्लार्ज़, विन्सेंट वान गोग Vase With Fifteen Sunflowers, Vincent Van Gogh |
कोई ईश्वर नहीं है,
नहीं है कोई निर्देशक,
कोई निर्वाहक नहीं है.
यह दुनिया करती है स्वयं ही
स्वयं को घटित,
स्वयं को घटित,
नाटक स्वयं को ही खेलता है,
वाद्य-वृंदा बजाता है स्वयं को.
और अगर किसी के हाथ से
छूट जाता है वायलिन
और धड़कना बंद कर देता है उसका हृदय
वह व्यक्ति
और उसकी मृत्यु कभी नहीं मिलते:
कुछ नहीं है कांच के पीछे;
दूसरी ओर कुछ नहीं है, केवल आईना है
जहाँ से मेरा स्वयं का डर
बड़ी-बड़ी आँखों से देखता है मुझे.
और इस डर के पीछे,
केवल बहुत ध्यान से देखो तो,
दिखती है घास और सूरजमुखी
स्वयं ही धीरे-धीरे मुड़ते हुए सूरज की ओर
बिना किसी ईश्वर के, निर्देशक के, निर्वाहक के.
-- यान काप्लिन्स्की
यान काप्लिन्स्की ( Jaan Kaplinski )एस्टोनिया के कवि, भाषाविद व दार्शनिक हैं व यूरोप के प्रमुख कवियों में गिने जाते हैं. वे अपने स्वतंत्र विचारों व वैश्विक सरोकारों के लिए जाने जाते हैं. उनके कई कविता-संग्रह, कहानियां, लेख व निबंध प्रकाशित हो चुके हैं. उन्होंने कई भाषाओँ से कई भाषाओँ में अनुवाद किये है व उनके स्वयं के लेखन का भी कई भाषाओँ में अनुवाद हुआ है. यह कविता उनके संकलन 'ईवनिंग ब्रिनग्ज़ एवरीथिंग बैक ' से है.
इस कविता का मूल एस्टोनियन से अंग्रेजी में अनुवाद फियोना सैम्प्सन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़