बुधवार, फ़रवरी 29, 2012

ताज़ी हवा

वुमन इन एन ऑर्चर्ड, स्प्रिंग सनशाइन इन अ फील्ड,
कामिल पिस्सारो
Woman in an Orchard, Sunshine in a Field,
Camille Pissarro
प्रेम की सबसे नई कविताएँ.

मैंने अपने सामने देखा
मैंने भीड़ में तुम्हें देखा
मैंने गेहूँ की फसलों में तुम्हें देखा
मैंने पेड़ के नीचे तुम्हें देखा

अपनी सभी यात्राओं के अंत में
अपनी हर पीड़ा के तल में 
अपनी हंसी के हर मोड़ पर 
पानी में से और आग में से निकलते 

गर्मियों में, सर्दियों में मैंने तुम्हें देखा 
अपने घर में मैंने तुम्हें देखा 
अपनी बाहों में मैंने तुम्हें देखा 
अपने सपनों में मैंने तुम्हें देखा.

अब कभी तुम से दूर नहीं जाऊँगा.


--पॉल एलुआर



















पॉल एलुआर फ़्रांसिसी कवि थे व स्यूरेअलीज्म के संस्थापकों में से एक थे. 16 साल की आयु में जब उन्हें टी.बी होने पर स्विटज़र्लैंड के एक सैनिटोरियम में स्वास्थ्य लाभ के लिए भेजा गया, उस समय उनका कविता में रुझान हुआ. उनका पहला कविता संकलन उनके युद्ध में हुए अनुभवों के बाद लिखा गया. उनकी लगभग 70 किताबे प्रकाशित हुई जिनमे, कविता संग्रह व उनके साहित्यिक और राजनैतिक विचार भी हैं.   
इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़         

सोमवार, फ़रवरी 27, 2012

देव जीवन से अधिक कुछ नहीं देते

ला ल्युनेत द'आप्रोश, रने माग्रीत
La Lunette d'Approche, Rene Magritte
देव जीवन से अधिक कुछ नहीं देते,
तो जो हमें आह्लादित करता है,
अनंत परन्तु अपुष्पित
जो उठा देता है विस्मयकारी ऊंचाइयों तक,
चलो उसे चाहना छोड़ दें.
स्वीकार करना -- बस केवल यही हो हमारा ज्ञान,
और जब तक है हमारी धमनियों में रक्त का प्रवाह,
जब तक प्यार कुम्हला नहीं जाता,
चलो यूँ ही चलते रहें
कांच के टुकड़ों की तरह: रोशनी में पारदर्शी,
टपकती उदास बारिश से टप-टपाते,
धूप में गुनगुने होते,
और करते थोडा-थोडा प्रतिबिंबित.


-- फेर्नान्दो पेस्सोआ ( रिकार्दो रेइस)


 फेर्नान्दो पेस्सोआ ( Fernando Pessoa )20 वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. यह कविता उन्होंने रिकार्दो रेइस ( Ricardo Reis )के झूठे नाम से लिखी थी. अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने 72 झूठे नामों या हेट्रोनिम् की आड़ से सृजन किया, जिन में से तीन प्रमुख थे. और हैरानी की बात तो यह है की इन सभी हेट्रोनिम् या झूठे नामों की अपनी अलग  जीवनी, दर्शन, स्वभाव, रूप-रंग व लेखन शैली थी. पेस्सोआ  के जीतेजी उनकी एक ही किताब प्रकाशित हुई. मगर उनकी मृत्यु के बाद, एक पुराने ट्रंक से उनके द्वारा लिखे 25000 से भी अधिक पन्ने  मिले, जो उन्होंने अपने अलग-अलग नामों से लिखे थे. पुर्तगाल की नैशनल लाइब्रेरी में इनके सम्पादन का काम आज भी जारी है. यह कविता उनके संकलन 'ओड्ज़' से है.
इस कविता का मूल पोर्त्युगीज़ से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

शनिवार, फ़रवरी 25, 2012

वह वायलिन जो मैं सुनता रहता हूँ

इंटीरियर विद अ वायलिन, ओंरी मातीस
Interior With a Violin, Henri Matisse

अनोखे वायलिन, क्या तुम मेरा पीछा कर रहे हो?
कितने दूरस्थ शहरों में मेरी रात से 
तुम्हारी अकेली रात ने कुछ कहा है?
क्या तुम्हें सैंकड़ों बजा रहे हैं, 
या केवल कोई एक?

क्या सभी महान नगरों में, 
हैं वे लोग, जो तुम्हारे बिना,
नदियों में डूब गए होते?
और हमेशा मैं ही क्यों होता हूँ तुम्हें सुनने वाला?

हमेशा मैं ही क्यों होता हूँ 
उन व्याकुल लोगों का पड़ोसी 
जो तुम्हें गाने के लिए विवश करते हैं?
और कहने के लिए 
कि जो सबसे कठिन है  
उस से कहीं कठिन है जीवन?


 -- रायनर मरीया रिल्के 



 रायनर मरीया रिल्के ( Rainer Maria Rilke ) जर्मन भाषा के सब से महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं. वे ऑस्ट्रिया के बोहीमिया से थे. उनका बचपन बेहद दुखद था, मगर यूनिवर्सिटी तक आते-आते उन्हें साफ़ हो गया था की वे साहित्य से ही जुड़ेंगे. तब तक उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित भी हो चुका था. यूनिवर्सिटी की पढाई बीच में ही छोड़, उन्होंने रूस की एक लम्बी यात्रा का कार्यक्रम बनाया. यह यात्रा उनके साहित्यिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुई. रूस में उनकी मुलाक़ात तोल्स्तॉय से हुई व उनके प्रभाव से रिल्के का लेखन और गहन होता गुया. फिर उन्होंने पेरिस में रहने का फैसला किया जहाँ वे मूर्तिकार रोदें के बहुत प्रभावित रहे.यूरोप के देशों में उनकी यात्रायें जारी रहीं मगर पेरिस उनके जीवन का भौगोलिक केंद्र बन गया. पहले विश्व युद्ध के समय उन्हें पेरिस छोड़ना पड़ा, और वे स्विटज़रलैंड में जा कर बस गए, जहाँ कुछ वर्षों बाद ल्यूकीमिया से उनका देहांत हो गया. कविताओं की जो धरोहर वे छोड़ गए हैं, वह अद्भुत है. यह कविता उनके संकलन 'बुक ऑफ़ इमेजिज़ ' से है.
इस कविता का जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद जोआना मेसी व अनीता बैरोज़ ने किया है. 
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़