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टू सेल्फ पोर्ट्रेट्स एंड सेवेरल डीटेल्ज़, विन्सेंट वान गोग Two Self Portraits and Several Details, Vincent Van Gogh |
असंख्य जीवन बसते हैं हम में.
मैं नहीं जानता,
जब मैं सोचता हूँ या महसूस करता हूँ,
वह कौन है जो सोचता या महसूस करता है.
मैं केवल वह स्थान हूँ
जहाँ पर चीज़ें सोची या महसूस की जाती हैं.
एक से अधिक प्राण है मुझ में.
मुझ से भी अधिक मैं.
मैं विद्यमान हूँ, फिर भी,
हूँ उन सब से उदासीन.
उन्हें मौन कर देता हूँ : मैं बोलता हूँ.
मैं क्या महसूस करता हूँ क्या नहीं
इसकी विरोधी प्रेरणाएं जूझती हैं
जो मैं हूँ उस में, मगर
मैं उन्हें अनदेखा कर देता हूँ.
वे निर्धारित नहीं कर पाती उस मैं को
जिसे मैं जानता हूँ: मैं लिखता हूँ.
-- फेर्नान्दो पेस्सोआ ( रिकार्दो रेइस)
इस कविता का मूल पोर्त्युगीज़ से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़