रोज़िज़ एंड बीटल, विन्सेंट वान गोग Roses And Beetle, Vincent Van Gogh |
जिस दिन दुनिया का अंत होता है
एक मधुमक्खी तिपतिया घास के चक्कर लगाती है,
एक मछुआरा चमकते जाल को ठीक करता है.
समुद्री जीव ख़ुशी से उछलते हैं समुद्र में,
जहाँ से बारिश का पानी निकलता है
नन्ही चिड़ियाँ खेलती हैं वहां
और सांप की छाल सुनहरी है जैसी होनी चाहिए हमेशा.
जिस दिन दुनिया का अंत होता है
औरतें चलती हैं खेतों में अपनी छतरियों तले,
एक पियक्कड़ घास के किनारे निंदासा होता है,
सब्ज़ीवाले चिल्लाते हैं गली में
और एक पीले पाल वाली नाव आ जाती है द्वीप के और पास,
एक वायलिन की आवाज़ ठहर-सी जाती है हवा में
और ले जाती है तारों भरी रात की ओर.
और जिन्होंने सोचा था की बिजली चमकेगी,
बादल गरजेंगे, वे निराश हो जाते हैं.
और जिन्हें उम्मीद थी संकेतों की, महादूतों की तुरही की
उन्हें नहीं लगता कि अंत अब हो रहा है.
जब तक सूरज और चाँद ऊपर हैं,
जब तक भौंरा गुलाब के पास जाता है
जब तक गुलाबी-से बच्चे पैदा हो रहे हैं
किसी को नहीं लगता की अंत अब हो रहा है.
केवल एक पके बालों वाला बूढ़ा,
जो पैगम्बर हो सकता था, मगर पैगम्बर नहीं है,
क्योंकि वह कुछ अधिक ही व्यस्त है,
अपने टमाटर के पौधे बांधते हुए दोहराता है:
दुनिया का और कोई अंत नहीं होगा,
और कोई अंत नहीं होगा दुनिया का.
--चेस्वाफ़ मीवोश
चेस्वाफ़ मीवोश (Czeslaw Milosz) पोलैंड के प्रसिद्द कवि, लेखक व अनुवादक थे. उनका जन्म लिथुएनिया में हुआ था और वे पांच भाषाएँ जानते थे -- पोलिश, लिथुएनिअन,रशियन, अंग्रेजी व फ्रेंच. द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात,1951 में उन्होंने पोलैंड छोड़ फ्रांस में आश्रय लिया, और 1970 में अमरीका चले गए. वहां वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया में पोलिश साहित्य के प्रोफ़ेसर रहे. उनके 40 से भी अधिक कविताओं व लेखों के संकलन प्रकाशित हुए हैं व कई भाषाओँ में अनूदित किये गए हैं. अन्य कई सम्मानों सहित उन्हें 1980 में नोबेल प्राइज़ भी मिल चुका है.
इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रेजी में अनुवाद एंथनी मीवोश ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़