![]() |
वुमंज़ हेड, अमादेओ मोदिग्लियानी Woman's Head, Amadeo Modigliani |
मेरी चाह के बाहर
तुम्हारा कोई जीवन नहीं है
मैं तुम्हारा समय हूँ
मेरी बाहों के घेरे के बाहर
तुम्हारा कोई अर्थ नहीं है.
तुम्हारे सभी आयाम मैं ही हूँ,
तुम्हारे कोने और तुम्हारे वृत्त,
तुम्हारे वक्र और रेखाएँ.
जिस दिन तुमने प्रवेश किया था
मेरी छाती के जंगलों में,
तुम ने अबद्धता में प्रवेश किया था.
जिस दिन तुम चली गईं,
तुम कबीले के सरदार द्वारा खरीदी हुई
दासी बन गई.
-- निज़ार क़ब्बानी
इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद बस्सम के फ्रंगिया ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
mere priy kavi ki bb..bahut hi sundar kavita. umda va laypoorn avuvaad !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता …
जवाब देंहटाएं