शनिवार, मई 05, 2012

आनंद में बुद्ध

बुद्ध - द विनर, निकोलाई ररीह
Buddha - The Winner, Nicholas Roerich

मध्यबिन्दुओं के मध्यबिंदु, 
अंतरतम तत्व,
अपने ही आलिंगन में 
मीठे होते बादाम --
यहाँ से सितारों तक, 
यह सब, 
तुम्हारी देह का फल है. 
तुम्हें नमन करते हैं हम.

तुम महसूस करते हो 
कि अब कुछ भी ऐसा नहीं है
जो तुम्हें व्यापता हो.
अनंतता तुम्हारा आवरण है
और है तुम्हारी शक्ति भी.
उसे बुलाया है 

उन पूर्ण व दीप्त सूर्यों के तेज ने
जो तुम्हारी परिक्रमाएँ  करते हैं.
फिर भी उन सितारों से
कहीं बाद तक बना रहेगा 
वह जो तुमने किया है आरम्भ.


-- रायनर मरीया रिल्के 


 रायनर मरीया रिल्के ( Rainer Maria Rilke ) जर्मन भाषा के सब से महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं. वे ऑस्ट्रिया के बोहीमिया से थे. उनका बचपन बेहद दुखद था, मगर यूनिवर्सिटी तक आते-आते उन्हें साफ़ हो गया था की वे साहित्य से ही जुड़ेंगे. तब तक उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित भी हो चुका था. यूनिवर्सिटी की पढाई बीच में ही छोड़, उन्होंने रूस की एक लम्बी यात्रा का कार्यक्रम बनाया. यह यात्रा उनके साहित्यिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुई. रूस में उनकी मुलाक़ात तोल्स्तॉय से हुई व उनके प्रभाव से रिल्के का लेखन और गहन होता गुया. फिर उन्होंने पेरिस में रहने का फैसला किया जहाँ वे मूर्तिकार रोदें के बहुत प्रभावित रहे.यूरोप के देशों में उनकी यात्रायें जारी रहीं मगर पेरिस उनके जीवन का भौगोलिक केंद्र बन गया. पहले विश्व युद्ध के समय उन्हें पेरिस छोड़ना पड़ा, और वे स्विटज़रलैंड में जा कर बस गए, जहाँ कुछ वर्षों बाद ल्यूकीमिया से उनका देहांत हो गया. कविताओं की जो धरोहर वे छोड़ गए हैं, वह अद्भुत है. यह कविता उनके संकलन 'न्यू पोएम्ज़' से है. 
इस कविता का जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद जोआना मेसी व अनीता बैरोज़ ने किया है. 
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़