शनिवार, अप्रैल 30, 2011

प्यार एक साथ है

सनफ्लावर --टू, विन्सेंट वान गोग
Sunflower --2, Vincent Van Gogh
प्यार एक साथ है.
मैं भूल गया हूँ रास्तों पर अकेले चलना 
क्योंकि अब अकेले चल ही नहीं पाता मैं. 
एक सोच है जो सामने आ 
तेज़ चलने को कहती है मुझे, 
कम देखने को, और आनंद उठाने को.
कैसे उसका ना होना भी साथ रहता है मेरे!
और इतना प्यार करता हूँ मैं उसे 
कि समझ नहीं पाता आखिर उसको चाहूँ कैसे.
जब वो मुझे दिखाई नहीं देती  
तो मन-ही-मन मान लेता हूँ कि देती है दिखाई 
और इन पेड़ों कि ऊँचाई से भी ऊंची 
होती है वह शक्ति जो भर जाती है मुझ में.
मगर जब मैं उसे देख लेता हूँ, 
घबरा जाता हूँ 
और उसके ना रहने पर जो लगता है मुझे
पता नहीं उस पल वो कहाँ चला जाता है 
और मैं हो जाता हूँ केवल 
स्वयं को छोड़ता हुआ बल.
सारा यथार्थ एक सूरजमुखी-सा निहारता है मुझे 
और उसका चेहरा ठीक बीच में होता है.

-- फेर्नान्दो पेस्सोआ ( अल्बेर्तो काइरो )

  
 फेर्नान्दो पेस्सोआ ( Fernando Pessoa )20 वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. ये कविता उन्होंने अल्बेर्तो काइरो ( Alberto Caeiro )के झूठे नाम से लिखी थी. अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने 72 झूठे नाम या हेट्रोनिम् की आड़ से सृजन किया, जिन में से तीन प्रमुख थे. और हैरानी की बात तो ये है की इन सभी हेट्रोनिम् या झूठे नामों की अपनी अलग जीवनी, स्वभाव, दर्शन, रूप-रंग व लेखन शैली थी. पेस्सोआ के जीतेजी उनकी एक ही किताब प्रकाशित हुई. मगर उनकी मृत्यु के बाद, एक पुराने ट्रंक से उनके द्वारा लिखे 25000 से भी अधिक पन्ने मिले, जो उन्होंने अपने अलग-अलग नामों से लिखे थे. पुर्तगाल की नैशनल लाइब्ररी में उन पन्नों की एडिटिंग का काम आज तक जारी है.

इस कविता का मूल पुर्तगाली से अंग्रेजी में अनुवाद एडविन होनिग व सूज़न एम् ब्राउन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

शुक्रवार, अप्रैल 29, 2011

लाल घोड़ा

पोर्ट्रेट ऑफ़ चैम सूतीन, अमेदेओ मोद्ग्लियानी
Portrait Of Chaim Soutine, Amadeo Modigliani





झूठ के मेरी-गो-राउण्ड में
तुम्हारी मुस्कान का लाल घोड़ा
घूमता है
और वहां खड़ा रहता हूँ मैं पथराया 
सच का उदास चाबुक लिए
और मेरे पास कहने को कुछ भी नहीं है
तुम्हारी मुस्कान भी उतनी ही असली है
जितनी मेरी मजबूरियाँ



-- याक प्रेवेर 







याक प्रेवेर  ( Jacques Prévert )फ़्रांसिसी कवि व पटकथा लेखक थे. अत्यंत सरल भाषा में लिखी उनकी कविताओं ने उन्हें फ्रांस का विक्टर ह्यूगो के बाद का सबसे लोकप्रिय कवि बना दिया. उनकी कविताएँ अक्सर पेरिस के जीवन या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जीवन के बारे में हैं. उनकी अनेक कविताएँ  स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं व प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गयी  हैं. उनकी लिखी पटकथाओं व नाटकों को भी खूब सराहा गया है. उनकी यह कविता उनके सबसे प्रसिद्द कविता संग्रह 'पारोल' से है.

इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़

गुरुवार, अप्रैल 28, 2011

समुद्र का एकांत

थ्री सीस्केप्स, जे एम् विलियम टर्नर
Three Seascapes, JM William Turner
जब कोई उसे देख नहीं रहा होता 
तो समुद्र समुद्र नहीं होता 
वह वही होता है
जो हम होते हैं
जब कोई हमें देख नहीं रहा होता

और ही मछलियाँ
अलग ही लहरें
बस अपने ही लिए होता है
वह समुद्र
या मुझ जैसों के लिए जिन्होंने
उसका स्वप्न देखा होता है

-- यूल सुपरवीएल 


 यूल सुपरवीएल ( Jules Supervielle )20 वीं सदी के आरम्भ के फ़्रांसिसी कवि थे. उन्होंने अपने को स्यूरेअलीज्म से दूर ही रखा जो उस समय के साहित्य को आंदोलित कर रहा था. उनकी कविता मानवीय है व जगत के रहस्यों को टटोलती है. उन्होंने  कई कविता संग्रह, कहानियों वे लेखों के संकलन व नाटक भी लिखे हैं.

इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

बुधवार, अप्रैल 27, 2011

तुम



द इन्नर वोएस, औग्यूस्त रोदें
The Inner Voice, Auguste Rodin   



जानता हूँ तुम्हें : 
तुम जो इतने झुके हुए हो.
तुम ने थामा है मुझे -- 
मैं...जो छलनी हूँ...बंधन में हूँ.
ऐसा कौन सा शब्द है, 
जो हम दोनों का साक्षी बनेगा? 
एक साथ हमें रोशन करेगा?
तुम मेरे यथार्थ हो. 
मैं तुम्हारी मरीचिका. 




-- पाउल चेलान












पाउल चेलान ( Paul Celan) कवि व अनुवादक थे. हालाँकि वे रोमानिया के एक यहूदी परिवार से थे, जर्मन उन्होंने बचपन से ही पढ़ी थी और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वे जर्मन भाषा के प्रमुख कवियों में गिने जाने लगे. नाजियों के हाथों उन्होंने, उनके परिवार ने व देशवासियों ने बहुत अत्याचार सहे, मगर विडंबना थी कि उनके पास अपने आततायियों की जर्मन भाषा ही थी जिस में वे खुद को व्यक्त कर सकते थे. यहूदियों के विध्वंस का उन पर बहुत गहरा असर पड़ा और उनकी कविताओं की भाषा मैं ही बदलाव आ गया.उनकी कविताओं का अंग्रेजी में बहुत बार अनुवाद हुआ है.
ये कविता उनके संकलन 'ग्लोट्टल स्टॉप' से है जिसका जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद निकोलई पोपोव व हेदर मकह्युग्ज़ ने किया है.
इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

मंगलवार, अप्रैल 26, 2011

बस एक ही सपना...

फिशिंग बोट्स ऑन द बीच एट सैंत मारी, विन्सेंट वान गोग
Fishing Boats On The Beach At Sainte Maries, Vincent Van Gogh

बस एक ही सपना 
साथ लेकर चलते हैं हम 
कि एक दिन
कुछ बहुत अच्छा हो जाएगा, 
कि उसको होना ही होगा, 
कि वह समय भी आएगा जब
दिल खिल जाएँगे, 
दरवाज़े खुल जाएँगे, 
पहाड़ बना देंगे जादुई रास्ते 
अपने बीच से,
लहरें हमें मिलने छलक-छलक आएँगी,
और हौले-से एक सुबह 
सपना खोल देगा अपनी आँखें 
और जिस को पहले नहीं जाना कभी 
हम खुद को उस किनारे पर पाएंगे.

-- ओलाव एच हाउग्ये 

   ओलाव एच हाउग्ये ( Olav H Hauge )नॉर्वे के कवि थे. वे अधिकतर स्वशिक्षित थे, और अपने सेब के बगीचों में स्वयं काम करते और उसी आय से उनका एकाकी जीवन चलता था. उन्होंने अनेक अंग्रजी, फ़्रांसिसी व जर्मन कवियों व लेखकों की कृतियों का नार्वेजियन में अनुवाद किया. वे क्लासीकी चीनी कविता से भी बहुत प्रभावित थे. उनकी कविताओं का 25 भाषाओँ में अनुवाद हो चुका है. उनके ग्यारह कविता संग्रह व पांच अनुवाद संकलन छ्प चुके हैं.
इस कविता का मूल नार्वेजियन से अंग्रेजी में अनुवाद रोबेर्ट ब्ली ने किया है.
इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

सोमवार, अप्रैल 25, 2011

तुम्हारा ना होना

सीम्स्ट्रेस एट द विंडो, औग्यूस्त रनोआ
Seamstress At The Window, Auguste Renoir




तुम्हारा ना होना
धागे-सा गुज़र गया है 
मेरे खालीपन में से 
अब सब कुछ इसी रंग से सिलती हूँ 


-- डब्ल्यू एस मर्विन








W.S. Merwin  डब्लू.एस मर्विन ( W S Merwin )अमरीकी कवि हैं और इन दिनों अमरीका के 'पोएट लौरेएट' भी हैं. उनकी कविताओं, अनुवादों व लेखों के 30 से अधिक संकलन छप चुके हैं. अपनी कविताओं के लिए उन्हें अन्य सम्मानों सहित पुलित्ज़र प्राइज़ भी मिल चुका है. वे अधिकतर बिना विराम आदि चिह्नों के मुक्त छंद में कविताएँ लिखते हैं.
इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

रविवार, अप्रैल 24, 2011

यात्रा

अ गर्ल इन अ वुड, विन्सेंट वान गोग
A Girl In A Wood, Vincent Van Gogh
एक दिन तुम जान गयी 
कि आखिर तुम्हें करना क्या है
और निकल पड़ी बस. 
आस-पास की आवाज़ें
चिल्ला-चिल्ला कर 
देती रहीं बिन मांगी सलाहें, 
पूरा घर थरथरा उठा, 
पैरों की बेड़ियों ने फिर 
खींचा एक बार,
हर आवाज़ चीख उठी--
मेरे जीवन का क्या?
पर तुम नहीं रुकी. 
तुम जानती थी कि तुम्हें क्या करना है.
तेज़ हवा अपनी सख्त उँगलियों से 
खोदती रही
गहरी उदासी में डूबी तुम्हारी जड़ें.
पहले ही बहुत देर हो चुकी थी 
और तूफानी रात में रास्ता 
पत्थरों और टूटी टहनियों से भरा था.
फिर धीरे-धीरे 
सब आवाज़ें पीछे छूट गयीं. 
बादलों की चादर के पीछे 
तारे फिर जलने लगे 
और चलने लगी तुम्हारे साथ 
एक नयी आवाज़ 
जो तुम्हारी अपनी ही थी. 
और तुम लम्बे डग भरती
दूर तक चलती गयी 
बहुत दूर तक 
ठाने हुए मन से
वह एक चीज़ करने 
जिस पर तुम्हारा बस था   
बस एक जीवन का उद्धार 

-- मेरी ओलिवर 




Mary Oliver  मेरी ओलिवर ( Mary Oliver )एक अमरीकी कव्यित्री हैं, जो 60 के दशक से कविताये    कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. उनके 25 से अधिक कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं और बहुत सराहे गए हैं. उन्हें अमरीका के श्रेष्ठ सम्मान 'नेशनल बुक अवार्ड' व 'पुलित्ज़र प्राइज़' भी प्राप्त हो चुके हैं. उनकी कविताएँ प्रकृति की गुप-चुप गतिविधियों के बारे में हैं, जैसे वो धरती और आकाश के बीच खड़ीं सब देख रहीं हैं. और  उनकी कविताओं में उनका अकेलेपन  से प्यार, एक निरंतर आंतरिक एकालाप व स्त्री का प्रकृति से गहरा सम्बन्ध भी दिखाई देता है.

इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

गुरुवार, अप्रैल 21, 2011

लहर

सीस्केप एट सैंत मारी, विन्सेंट वान गोग
Seascape At Saintes Maries, Vincent Van Gogh




खालिदा 
एक दुःख 
जिसके आस-पास 
पत्तों भरी टहनियाँ उग आती हैं 
खालिदा
एक सफ़र 
जो आँखों के पानी में 
डुबो देता है दिन को 
एक लहर 
जिसने सिखाया है मुझे 
कि सितारों की रोशनी
बादलों के चेहरे 
धूल की आहें 
सब एक ही फूल के नाम हैं 

-- अदुनिस 


Adonis, Griffin Poetry Prize 2011 International Shortlist  अली अहमद सईद अस्बार ( Ali Ahmed Said Asbar ), जो 'अदुनिस' ( Adonis )के नाम से लिखते हैं, सिरिया के प्रसिद्ध कवि व लेखक हैं. वे आधुनिक अरबी कविता के पथप्रदर्शक हैं, जिन्होंने पुरानी मान्यताओं से विद्रोह कर कविता के अपने ही नियम बनाये हैं. अब तक वे अरबी में उनकी 20से अधिक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. उनके अनेक कविता संग्रह अंग्रेजी में अनूदित किये जा चुके हैं. उन्हें जल्द ही नोबेल प्राइज़ भी मिलेगा , साहित्य जगत में इसकी उम्मीद व अटकलें खूब हैं, वे कई बार नामित भी किये गए हैं.

'लहर' कविता का अनुवाद मूल अरबी से अंग्रेजी में कमाल अबु दीब ने किया है.
इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़

एक कविता


टू वाईट बटरफ्लाइज, विन्सेंट वान गोग
Two White butterflies, Vincent Van Gogh
आधा साल बीत चुका है.
नीचे के कमरे में रेडियो बज रहा है, 
संगीत गूँज रहा है.
छुट्टियाँ शुरू हो गयी हैं.
आधे साल तक मैं सोचता रहा :
गर्मियों में लिखूंगा कविताएँ.
अब मैं यहाँ बैठा हूँ, और फिर 
वह सफ़ेद पतंगा याद आ गया.
कल रात वह पतंगा 
बीच के पेड़ के आस-पास उड़ रहा था 
और मुझे लगा था
उसके बारे में कविता लिखूं;
मुझे लगा था कि उस शाम,
उस पेड़, उस पतंगे के बारे में 
मैं जो भी लिखूंगा 
वह कविता होगी. 
शायद वह पतंगा सिर्फ एक संकेत था,
किसी ऊंची या गहरी बात का संकेत. 
जैसे कि एक-आध बार पहले भी मिला है.
एक इशारा : कि कोई भाग गया है 
पकड़ से छूट गया है 
बच के निकल गया है.
रात के अँधेरे में 
टहनियाँ हवा में झूलती हैं.
एक कविता.
आती है. चली जाती है 

-- यान काप्लिन्स्की

Author: Estonian Literary Magazine





यान काप्लिन्स्की (Jaan Kaplinski )एस्टोनिया के कवि, भाषाविद व दार्शनिक हैं. वे अपने स्वतंत्र विचारों व वैश्विक सरोकारों के लिए जाने जाते हैं. उनके कई कविता संग्रह व निबंध छप चुके हैं. उन्होंने कई भाषाओँ से अनुवाद किये हैं व उनके स्वयं के लेखन का भी अनेक भाषाओँ में अनुवाद हुआ है. यह कविता उनके संकलन ' ईवनिंग ब्रिंग्ज़ एवरीथिंग बैक ' से है.
इस कविता का मूल एस्टोनियन से अंग्रेजी में अनुवाद फियोना सैम्प्सन ने किया है.
इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़

नाश्ता

ब्रेकफास्ट, ओंरी मातीस
Breakfast, Henri Matisse



उस ने प्याली में 
कॉफ़ी उड़ेली 
कॉफ़ी की प्याली में 
दूध मिलाया 
चीनी मिलायी 
दूध वाली कॉफ़ी में 
और छोटी चम्मच से हिलाया 
कॉफ़ी पीकर 
उस ने प्याली रख दी 
बिना कुछ कहे मुझ से 
उस ने सिगरेट सुलगाई 
और छल्ले बनाये धुंए के 
और राखदान में सिगरेट झटकी 
बिना कुछ कहे मुझसे 
बिना देखे मुझे 
वह उठा 
उस ने अपना हैट पहना 
फिर रेनकोट पहना 
क्योंकि बारिश हो रही थी  
और चला गया वह 
बारिश में 
बिना कुछ कहे 
बिना देखे मुझे 
और मैं 
हाथों में मुंह छुपाकर
फफक पड़ी 

-- याक प्रेवेर




याक प्रेवेर  ( Jacques Prévert )फ़्रांसिसी कवि व पटकथा लेखक थे. अत्यंत सरल भाषा में लिखी उनकी कविताओं ने उन्हें फ्रांस का विक्टर ह्यूगो के बाद का सबसे लोकप्रिय कवि बना दिया. उनकी कविताएँ अक्सर पेरिस के जीवन या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जीवन के बारे में हैं. उनकी अनेक कविताएँ  स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं व प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गयी  हैं. उनकी लिखी पटकथाओं व नाटकों को भी खूब सराहा गया है. उनकी यह कविता उनके सबसे प्रसिद्द कविता संग्रह 'पारोल' से है.

इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़

प्रेम के बाद प्रेम

सेल्फ पोर्ट्रेट, फ्रीदा काहलो




वो समय भी आएगा 
जब, उल्लासित हो 
तुम अपने ही द्वार पे पधार
अपने ही आईने में 
स्वयं ही को देखोगे   
और एक-दूसरे के स्वागत में 
दोनों मुस्कुराओगे 
और कहोगे, बैठो यहाँ. लो खाओ.

तुम फिर उस अजनबी से प्रेम करोगे, 
वो जो तुम ही थे. 
मय दोगे. निवाला दोगे.
अपना दिल वापिस दोगे 
अपने दिल को, 
उस अजनबी को 
जिसने प्रेम किया है तुम से सारी उम्र, 
जो तुम्हे भीतर तक जानता है,
जिसे तुमने अनदेखा किया
किसी और के लिए.

पुराने संदूक से प्रेमपत्र निकाल फेंको 
वो तस्वीरें, वो निराशाभरी पातियाँ  
आईने से अपना प्रतिबिम्ब हटाओ.
बैठो. अपने जीवन का उत्सव मनाओ.

-- डेरेक वालकॉट 


 डेरेक वालकॉट वेस्ट इंडीज़ के कवि, नाटककार व लेखक हैं. 1992 में वे नोबेल  पुरुस्कार से  सम्मानित किये गए थे. उनके अनेक कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिन में उनका महाकाव्य 'ओमेरोस' भी है.  उन्होंने बीस नाटक भी लिखे हैं जिनका विश्व भर में प्रदर्शन हुआ है. उनका नवीनतम कविता संग्रह ' वाईट एग्रेट्स' 2010 में प्रकाशित हुआ जिसे टी.एस एलीयट पोएट्री प्राइज प्राप्त हुआ.
हिन्दी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़

बुधवार, अप्रैल 20, 2011

गीत


पेंटर ऑन हिज़ वे टू वर्क, विन्सेंट वान गोग 

सब आगे बढ़ जाता है, 
सब पीछे छूट जाता है.
पर हमें आगे बढ़ना है,
समुद्र में से भी राह 
बनाते जाना है. 

मेरे गीतों ने
कीर्ति नहीं चाही कभी
मेरे लिए ये दुनिया बुलबुला ही थी 
हल्का, जादुई, संवेदी  
और मुझे देखना पसंद था 
नीले आकाश में इन बुलबुलों को
कभी धूप से सुनहरे 
कभी पुते-हुए लाल 
हिलते कांपते फूटते 

मैंने कभी कीर्ति नहीं चाही 

राही, और कुछ नहीं, तुम्हारे
पैरों के निशान ही राह हैं
राही, कोई राह नहीं 
चलना ही राह है 

चलना ही राह बन जाता है 
और पीछे मुड़ कर देखने पर 
जो पथ दिखता है तुम्हें , फिर से  
उस पर कोई नहीं चल पाता है  

राही, हर राह छोड़ जाती है 
समुद्र पे अपने निशान...

उस जगह जहाँ कांटे हैं 
कवि का गीत गूंजा था कभी:
राही, कोई राह नहीं  
चलना ही राह है 
धीरे-धीरे  कदम-कदम  

घर से बहुत दूर दम निकला 
कवि का, किसी अनजान देश 
कि धरती पर, 
और जाते-जाते यही थी पुकार:
राही, कोई राह नहीं 
चलना ही राह है 

जब कोयल गा नहीं पाती
जब कवि भटक जाता है, 
प्रार्थना के पंख टूटे होते हैं 
राही, कोई राह नहीं  
चलना ही राह है 
धीरे-धीरे  कदम-कदम  

-- अंतोनियो मचादो


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अंतोनियो मचादो 20वीं सदी के आरम्भ के स्पेनी कवि थे. उनकी कविताओं मैं जहाँ एक तरफ अंतर्दृष्टि व अन्तरावलोकन दिखाई देता है, वहीँ दूसरी तरफ स्पेन के लोगों का जीवन व मानसिकता झलकती है.

इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद ए. एस कलाईन द्वारा किया गया है. 
हिंदी में अनुवाद  -- रीनू तलवाड़