गुरुवार, अगस्त 16, 2012

विलाप

रोड विद साईप्रेसिज़, विन्सेंट वान गोग
Road with Cypresses, Vincent van Gogh
कितना दूर है सब हम से,
और कब का बीत चुका.
मैं सोचता हूँ कि वह तारा जिसकी रोशनी
मुझ तक अब पहुँच रही है,
हज़ारों साल पहले मर चुका है.

मुझे लगता है
कि पास से निकली नाव में
मैंने सुनी है कोई व्याकुल करने वाली बात.

एक घर में, एक घड़ी
घंटा बजा रही है...
कौन-से घर में?
मैं निकल जाना चाहता हूँ अपने मन से
और खड़े होना चाहता हूँ आकाश के विस्तार तले.
मैं प्रार्थना करना चाहता हूँ.
इन सब में से एक तारा
तो अवश्य ही जीवित होगा.

मुझे लगता था कि मैं जानता हूँ
कौन-सा तारा चमकता रहा होगा --
कौन-सा, एक श्वेत शहर की तरह,
अपनी रोशनी के दूरस्थ छोर पर अभी भी उगता है.


-- रायनर मरीया रिल्के



 रायनर मरीया रिल्के ( Rainer Maria Rilke ) जर्मन भाषा के सब से महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं. वे ऑस्ट्रिया के बोहीमिया से थे. उनका बचपन बेहद दुखद था, मगर यूनिवर्सिटी तक आते-आते उन्हें साफ़ हो गया था की वे साहित्य से ही जुड़ेंगे. तब तक उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित भी हो चुका था. यूनिवर्सिटी की पढाई बीच में ही छोड़, उन्होंने रूस की एक लम्बी यात्रा का कार्यक्रम बनाया. यह यात्रा उनके साहित्यिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुई. रूस में उनकी मुलाक़ात तोल्स्तॉय से हुई व उनके प्रभाव से रिल्के का लेखन और गहन होता गुया. फिर उन्होंने पेरिस में रहने का फैसला किया जहाँ वे मूर्तिकार रोदें के बहुत प्रभावित रहे.यूरोप के देशों में उनकी यात्रायें जारी रहीं मगर पेरिस उनके जीवन का भौगोलिक केंद्र बन गया. पहले विश्व युद्ध के समय उन्हें पेरिस छोड़ना पड़ा, और वे स्विटज़रलैंड में जा कर बस गए, जहाँ कुछ वर्षों बाद ल्यूकीमिया से उनका देहांत हो गया. कविताओं की जो धरोहर वे छोड़ गए हैं, वह अद्भुत है. यह कविता उनके संकलन 'बुक ऑफ़ इमेजिज़ ' से है.
इस कविता का जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद जोआना मेसी व अनीता बैरोज़ ने किया है. 
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़