मंगलवार, जुलाई 26, 2011

हवा में ऐसे डोलता है

फील्ड ऑफ़ स्टब्बल विद थंडरक्लाउड ओवरहेड, विन्सेंट वान गोग  
Field Of Stubble With Thunderclouds Overhead,Vincent Van Gogh


हवा में ऐसे डोलता है मेरा जीवन 
जैसे जाली-से लिपटा पत्ता झूलता है 
पतझड़ की तेज़ तूफानी हवा में.
और जैसे एक लहर टकराती है किनारे से
तूफ़ान में एक पियानो सुनाई देता है.
काले-घने बादल
जल्दी-जल्दी चलते हुए हवा के संग.
एक मलिन आईना है मेरे मन में.
जब भी मैं उसे देखता हूँ
मेरा चेहरा काला हो जाता है,
जलने लगता है, दुखने लगता है,
जैसा कि केवल मैं ही 
अपने एकांत में जान पाता हूँ.
मेरा जीवन हवा में डोलता है 
इस तूफानी पतझड़ में 
जब हवा तेज़ी से बहती है खेत के पार.


-- स्रेच्को कोसोवेल 




  स्रेच्को कोसोवेल ( Srečko Kosovel ) स्लोवीनिया के कवि थे जिन्हें स्लोवीनिया का 'रिम्बो' भी कहा जाता है. 22 साल की अल्पायु में ही उनका देहांत हो गया था, मगर अपने पीछे वे लगभग एक हज़ार सुन्दर कविताएँ छोड़ गए. अब वे मध्य-यूरोपीय माडर्नस्ट कविता के प्रमुख कवियों में गिने जाते हैं. उनकी कविताएँ प्रथम विश्व युद्ध के बाद की हताशा व खलबली दर्शाती हैं.हैरानी की बात है की मध्य-यूरोप के छोटे कसबे में रहते कोसोवेल ने, टैगोर की लेखन में, वह शान्ति व दर्शन पाया जो वे खोज रहे थे. उनकी कविताओं में पचास से भी अधिक बार टैगोर का उल्लेख होता है.
इस कविता का मूल स्लोवीनियन से अंग्रेजी में अनुवाद नीके कोफिजान्सिच पोकोर्न ने किया है.

इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़