बर्च फोरेस्ट, कोंसटेनटिन युओन Birch Forest, Konstantin Yuon |
I
देह है कार्तिक की पूर्णिमा में नहाते भोज वृक्ष जैसी
ठन्डे आकाश को छूती.
इन वृक्षों में कोई लालसा नहीं है,
न भीगी काया, न पत्ते,
न भीगी काया, न पत्ते,
केवल हैं ठंडी आग की लपटों-से उठते ये नग्न तने.
II
पेड़ों में मेरी अंतिम सैर का समय हो गया है.
भोर होते ही
भोर होते ही
मुझे लौटना होगा जकड़े हुए खेतों की ओर,
एक आज्ञाकारी धरती के पास.
पेड़ हाथ बढ़ाते रहेंगे पूरी सर्दियाँ यूँ ही.
III
कितना आनंद है घूमने में इन नग्न वनों में.
चांदनी पत्तों-भरी टहनियों में अटक कर टूटती नहीं है .
पत्ते सब गिरे हुए हैं नीचे, छू रहे हैं भीगी धरती को,
फैला रहे हैं वह खुशबू जो तीतरों को पसंद है.
--- रोबर्ट ब्लाए
रोबर्ट ब्लाए ( Robert Bly ) अमरीकी कवि,लेखक व अनुवादक हैं. 36 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित हुआ, मगर उस से पहले साहित्य पढ़ते समय उन्हें फुलब्राईट स्कॉलरशिप मिला और वे नोर्वे जाकर वहां के कवियों की कविताओं का अनुवाद अंग्रेजी में करने लगे. वहीं पर वे दूसरी भाषाओँ के अच्छे कवियों से दो-चार हुए - नेरुदा, अंतोनियो मचादो, रूमी, हाफिज़, कबीर, मीराबाई इत्यादि. अमरीका में लोग इन कवियों को नहीं जानते थे. उनके अनेक कविता संग्रह प्रकाशित हुए और उन्होंने खूब अनुवाद भी किया है. अमरीका के वे लोकप्रिय कवि हैं और यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिनेसोटा में उनके लिखे 80,000 पन्नों की आर्काइव है, जो उनका लगभग पचास वर्षों का काम है. यह कविता उनके संकलन 'ईटिंग द हनी ऑफ़ वर्डज़ ' से है.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़