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ल पों द कूर्बवोआ, यॉर्ज सरा Le pont de Courbevoie, Georges Seurat |
याद करो बारबरा
बिना रुके बारिश हो रही थी
उस दिन ब्रेस्त में
और तुम चल रही थीं
मुस्कुराती हुई
खिली हुई, ख़ुशी
और बारिश में सराबोर
याद करो बारबरा
बिना रुके बारिश हो रही थी
ब्रेस्त में
और सियाम सड़क पर
मैं तुम्हारे पास से गुज़रा था
तुम मुस्कुरा रही थीं
और मैं ? मैं भी तो मुस्कुरा रहा था
याद करो बारबरा
तुम जिसे मैं नहीं जानता था
तुम जो मुझे नहीं जानती थीं
याद करो
याद करो फिर भी उस दिन को
भूलो नहीं
एक आदमी बारिश से बच कर
एक बरामदे में खड़ा था
और उसने तुम्हारा नाम पुकारा था
बारबरा
और बारिश में
दौड़ पड़ी थीं तुम उसकी ओर
खिली हुई, ख़ुशी
और बारिश में सराबोर
और लिपट गयी थीं तुम उस से
याद करो बारबरा
देखो मुझसे नाराज़ मत होना
अगर तुम्हें 'तुम' कहूं तो
मैं उन सब को 'तुम' कहता हूँ
जिन्हें प्यार करता हूँ
भले एक ही बार मिला हूँ
मैं उन सब को 'तुम' कहता हूँ
जो प्यार करते हैं
भले मैं उन्हें पहले से नहीं जानता
याद करो बारबरा
भूलो नहीं
तुम्हारे खिले हुए चेहरे पर
उस शांत शहर पर
गिरती वो खुशनुमा बारिश
बरसती
सागर पर
हथियारों के भंडार पर
जहाज़ों पर
ओह बारबरा
क्या नासमझी है यह युद्ध भी
क्या हाल हो गया है तुम्हारा अब
इस लोहे की, आग की, खून की बारिश में
और वह जिसने तुम्हे प्यार से
बाहों में कसा था
वह क्या नहीं रहा
लापता है या है जिंदा अभी भी
ओह बारबरा
आज भी ब्रेस्त में बिना रुके बारिश हो रही है
जैसे पहले हुआ करती थी
मगर अब कुछ भी वैसा नहीं रहा
सब उजड़ गया है
अब तो लोहे का खून का
तूफ़ान भी थम चुका
बस बरस रही है
शोक की उदास उजड़ी बारिश
बस छाए हैं घने बादल
जो कुत्तों की मौत मर रहे हैं
ब्रेस्त पर पानी बनकर बरस रहे हैं
और सड़ रहे हैं जा कर कहीं दूर
दूर ब्रेस्त से बहुत दूर
ब्रेस्त जहाँ कुछ नहीं बचा है
-- याक प्रेवेर
इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़