डेथ्स हेड मोथ, विन्सेंट वान गोग Death's Head Moth, Vincent Van Gogh |
लंगड़े चौकीदार के बैठने के लिए कोई जगह नहीं है.
कुर्सियाँ दो सप्ताह पहले ही बेच दी गई थीं. वहाँ आगे,
कुछ बड़े पीपों को धोया जा रहा है. बजरे
बंदरगाह के किनारे पर चढ़े हुए हैं. सड़क पार से
आ रहा है समाचार-वाचक का स्वर.
मैं नहीं सुनना चाहता.
मैं मेज़ से झाड़ता हूँ पतंगे के झुलसे-हुए पंख
जो पिछली रात से यहाँ पड़े हैं, बस इतना जानता हूँ
कि उनका सारा भार उनकी भारहीनता में है.
-- ज्यानिस रीत्ज़ोज़
ज्यानिस रीत्ज़ोज़ ( Yannis Ritsos ) एक युनानी कवि और वामपंथी ऐक्टिविस्ट थे. टी बी और दुखद पारिवारिक समस्याओं से त्रस्त, अपने वामपंथी विचारों के लिए उत्पीड़ित, उन्होंने ने कई वर्ष सैनटोरीअमों, जेलों व निर्वासन में बिताये मगर पूरा समय वे लिखते रहे और अनेक कविताएँ, गीत, नाटक लिख डाले, कई अनुवाद भी कर डाले. अपने दुखों के बावजूद, समय के साथ उनके अन्दर ऐसा बदलाव आया कि वे अत्यंत मानवीय हो गए और उनके लेखन में उम्मीद, करुणा और जीवन के प्रति प्रेम झलकने लगा. उनकी 117किताबे प्रकाशित हुई जिनमे कविताओं के साथ-साथ नाटक व निबंध-संकलन भी थे. यह कविता उनके संकलन 'लेट इन्टू द नाईट -- द लास्ट पोएम्ज़ ऑफ़ ज्यानिस रीत्ज़ोज़' से है.
इस कविता का मूल ग्रीक से अंग्रेजी में अनुवाद मार्टिन मकिंसी ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़