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शेड विद सनफ्लावरज़, विन्सेंट वान गोग Shed with Sunflowers, Vincent Van Gogh |
तुम ने देखा है
दुनिया के सब फूलों में से
सब से उदास और नीरस फूल
और दूसरे फूलों की तरह ही
तुम ने इसे भी एक नाम दिया है
इसे सोच कहते हो तुम
सोच
ठीक देखा-समझा तुमने
सही सोचा
और यह घृणित फूल
जो न जीता हैं न मुरझाता है कभी
तुमने इसे अमर कहा
सही शब्द है इसके लिए
मगर लाईलक को तुमने लाईलक कहा
लाईलक...बस लाईलक है
लाईलक... लाईलक...
और डेज़ी को तुमने औरत का नाम दिया
या कहें कि औरत को तुमने फूल का नाम दिया
एक ही बात है
ज़रूरी है कि उसमें सुन्दरता हो
कि उस से सुख मिले
आखिर तुम ने सीधे-सादे फूलों को सादे-सादे नाम दे डाले
और जो सबसे बड़ा और सुन्दर होता है
जो दुःख की खाद से सीधा फूट पड़ता है
जो उग आता है ज़ंग-लगे पुर्ज़ों के बगल में
खुजली वाले कुत्तों
पुराने फटे गद्दों
गरीबों कि झुग्गियों के पास
यह जीवन से भरा फूल
पीला खिला-खिला
जिसको ज्ञानी हेलीआंथस कहते हैं
तुम ने उसे सूरजमुखी कहा
.....सूरज....
आह! आह! आह!
लाखों बार आह!
देखता कौन है सूरज को ?
कौन देखता है ?
सूरज को अब कोई नहीं देखता
मनुष्य जो हो गए हैं वह हो गए हैं
बुद्धिमान...
वे ज़मीन को देखते चलते हैं
और आकाश की सोचते हैं
वे सोचते हैं...सोचते हैं...और सोचते जाते हैं
वे अब सच-मुच के जीते-जागते फूलों से प्यार नहीं कर पाते
उन्हें सूखे मुरझाये फूल पसंद हैं
सोच के अमर फूल
और वे चलते हैं
यादों की दल-दल में
पछतावे के कीचड़ में
बड़ी मुश्किल से स्वयं को घसीटते हैं
धंसते हैं
घसीटते हैं...स्वयं को...
अपनी बेड़ियों को
बहुत दम लगा कर बढ़ाते हैं एक-एक कदम
अपनी सुखों में स्वयं ही फंसे
अपना मातम स्वयं ही करते
पूरे जोर से
ऊंची आवाज़ में मगर
जो मर गया है
जो सड़ रहा है उनके दिमाग में
दुनिया में किसी के वास्ते
उसे नहीं उखाड़ फेंकेंगे
क्योंकि
वहाँ उग रहा है
वह पवित्र फूल
वह मरियल-सा मटमैला फूल
वह भद्दा फूल
वह कड़वा फूल
वह सदा मुरझाया-हुआ फूल
वह निजी फूल
सोच
-- याक प्रेवेर
इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़