द स्ट्रौलर, क्लौद मोने The Stroller, Claude Monet |
ऐसा कब हो गया कि तुम्हारा नाम
एक व्यक्तिवाचक संज्ञा से बदल कर
बन गया एक मन्त्र?
उसके तीन स्वर
मोतियों की तरह
मेरी साँसों के धागे में पिरोए हुए.
उसके व्यंजन
एक चुम्बन की तरह
हौले से मेरे होंठों को छूते हुए.
मुझे प्यार है तुम्हारे नाम से.
उसे बार बार बोलती हूँ मैं
इस गर्मियों की बारिश में.
उसे छुपे हुए देखती हूँ मैं
वर्णमाला में,
एक चाह की तरह.
प्रार्थना की तरह
रात में उसे करती हूँ मैं
जब तक हल्के न हो जाएँ उसके अक्षर.
मैं सुनती हूँ तुम्हारे नाम की लय को
मिलते हुए, मिलते हुए
मिलते हुए हर चीज़ की लय से.
-- कैरल एन डफ्फी
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़