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लाइंग काओ, विन्सेंट वान गोग Lying Cow, Vincent Van Gogh |
कितनी बड़ी है यह उदासी और
यह कड़वाहट जो झोंक देती है
हमारी नन्ही ज़िंदगियों को
एक कोलाहल में !
ऐसा कितनी बार होता है
कि दुर्भाग्य
क्रूरता से हमें कुचल डालता है!
सुखी है वह जानवर, स्वयं से अनामित,
जो हरे-हरे खेतों में चरता है,
और ऐसे प्रवेश करता है मृत्यु में
जैसे कि वह उसका घर हो;
या वह विद्वान जो, अध्ययन में डूबा,
अपने निरर्थक सन्यासी जीवन को
उठा लेता है हमारे जीवन से बहुत ऊपर,
धुंए की तरह,
जो अपने विघटित होते हाथों को
उठा देता है एक ऐसे स्वर्ग की ओर
जिसका अस्तित्व ही नहीं है.
-- फेर्नान्दो पेस्सोआ ( रिकार्दो रेइस)
इस कविता का मूल पोर्त्युगीज़ से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़