शनिवार, फ़रवरी 25, 2012

वह वायलिन जो मैं सुनता रहता हूँ

इंटीरियर विद अ वायलिन, ओंरी मातीस
Interior With a Violin, Henri Matisse

अनोखे वायलिन, क्या तुम मेरा पीछा कर रहे हो?
कितने दूरस्थ शहरों में मेरी रात से 
तुम्हारी अकेली रात ने कुछ कहा है?
क्या तुम्हें सैंकड़ों बजा रहे हैं, 
या केवल कोई एक?

क्या सभी महान नगरों में, 
हैं वे लोग, जो तुम्हारे बिना,
नदियों में डूब गए होते?
और हमेशा मैं ही क्यों होता हूँ तुम्हें सुनने वाला?

हमेशा मैं ही क्यों होता हूँ 
उन व्याकुल लोगों का पड़ोसी 
जो तुम्हें गाने के लिए विवश करते हैं?
और कहने के लिए 
कि जो सबसे कठिन है  
उस से कहीं कठिन है जीवन?


 -- रायनर मरीया रिल्के 



 रायनर मरीया रिल्के ( Rainer Maria Rilke ) जर्मन भाषा के सब से महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं. वे ऑस्ट्रिया के बोहीमिया से थे. उनका बचपन बेहद दुखद था, मगर यूनिवर्सिटी तक आते-आते उन्हें साफ़ हो गया था की वे साहित्य से ही जुड़ेंगे. तब तक उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित भी हो चुका था. यूनिवर्सिटी की पढाई बीच में ही छोड़, उन्होंने रूस की एक लम्बी यात्रा का कार्यक्रम बनाया. यह यात्रा उनके साहित्यिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुई. रूस में उनकी मुलाक़ात तोल्स्तॉय से हुई व उनके प्रभाव से रिल्के का लेखन और गहन होता गुया. फिर उन्होंने पेरिस में रहने का फैसला किया जहाँ वे मूर्तिकार रोदें के बहुत प्रभावित रहे.यूरोप के देशों में उनकी यात्रायें जारी रहीं मगर पेरिस उनके जीवन का भौगोलिक केंद्र बन गया. पहले विश्व युद्ध के समय उन्हें पेरिस छोड़ना पड़ा, और वे स्विटज़रलैंड में जा कर बस गए, जहाँ कुछ वर्षों बाद ल्यूकीमिया से उनका देहांत हो गया. कविताओं की जो धरोहर वे छोड़ गए हैं, वह अद्भुत है. यह कविता उनके संकलन 'बुक ऑफ़ इमेजिज़ ' से है.
इस कविता का जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद जोआना मेसी व अनीता बैरोज़ ने किया है. 
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़