रविवार, मार्च 10, 2013

चेहरा और आईना

मारिओं, गाय रोज़
Marion, Guy Rose
हर दिन
मेरे चेहरे और आईने के बीच होती है बात-चीत
नहीं, प्रेम को पढ़ने के लिए नहीं
और न ही पढ़ने के लिए मेरे नाक-नक़्श में आये बदलावों को
न ही  देखने के लिए मेरी निगाह में तैरते मृत्यु के हल्केपन को,
बल्कि सिखाने के लिए मेरे प्रेम को
कि आईने से कैसे पूछे जाते हैं प्रश्न. जीवन के रात्रि-स्वभाव का,
उसके और मेरे स्वयं के अज्ञात के सार का आभास मुझे क्यों नहीं होता?
अपने चेहरे में झाँकने के अलावा और किसी समय
मुझे क्यों नहीं हो पाता अपने जीवन का आभास?


-- अदुनिस



Adonis, Griffin Poetry Prize 2011 International Shortlist अली अहमद सईद अस्बार ( Ali Ahmed Said Asbar ), जो 'अदुनिस' ( Adonis )के नाम से लिखते हैं, सिरिया के प्रसिद्ध कवि व लेखक हैं. वे आधुनिक अरबी कविता के पथप्रदर्शक हैं, जिन्होंने पुरानी मान्यताओं से विद्रोह कर कविता के अपने ही नियम बनाये हैं. अब तक अरबी में उनकी 20से अधिक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. उनके अनेक कविता संग्रह अंग्रेजी में अनूदित किये जा चुके हैं. अभी हाल-फिलहाल में, अगस्त माह के आखिरी सप्ताह में ही उन्हें 2011 के  गेटे ( Goethe) पुरुस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें जल्द ही नोबेल प्राइज़ भी मिलेगा , साहित्य जगत में इसकी उम्मीद व अटकलें खूब हैं, वे कई बार नामित भी किये गए हैं. यह कविता उनके 2003 के संकलन 'बिगनिंगज़ ऑफ़ द बॉडी, एंडज़ ऑफ़ द सी' से है.

इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद खालेद मत्तावा ने किया है.
इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़