मंगलवार, जून 28, 2011

समय का भिखारी

लवर्स ऑन द ग्रास, अलोइस कैलवोदा
  Lovers on the Grass, Alois Kalvoda

प्यार समय का भिखारी है, मगर 
चमकते सिक्के-सा गिरा एक घंटा भी,
प्यार को अमीर कर देता है.
हम दोनों को एक साथ एक घंटा मिलता है,
उसे फूलों पर या वाइन पर नहीं खर्चते हम,
बल्कि खर्चते हैं गर्मियों के पूरे आकाश पर
और एक घास-भरे गड्ढे पर.

हज़ारों पलों के लिए चूमते हैं हम एक-दूसरे को,
तुम्हारे बाल किसी खजाने-से बिखरे हुए हैं ज़मीन पर,
रोशनी का पारस तुम्हारे अंगों को सोना कर रहा है.
समय की चाल धीमी हो जाती है,
चूंकि अब बहुत धनी हैं हम, बहुत धनी,
रात को एक हाथ से पीछे धकेलते हैं 
ताकि कोई अँधेरा, 
हमारे घंटे भर के रोशन साथ का अंत न कर दे.

यह जो तुम्हारे कान के पास घास की पत्ती पर 
किसी कीड़े की उगली झाग-सी लटकी है,
कोई गहना इसके आगे क्या लगेगा,
तुम यहाँ-से जैसे दिखते हो,
कोई दीपमाला, कोई उजाला,
तुम्हें उस से और रोशन क्या देखेगा अब.
समय प्यार से नफरत करता है ,
चाहता है कि प्यार निर्धन हो,
मगर प्यार सोना, सोना, सोना 
बुनता है सूखी घास से.


 -- कैरल एन डफ्फी


  कैरल एन डफ्फी ( Carol Ann Duffy )स्कॉट्लैंड की कवयित्री व नाटककार हैं. वे मैनचेस्टर मेट्रोपोलिटन युनिवेर्सिटी में समकालीन कविता की प्रोफ़ेसर हैं. 2009 में वे ब्रिटेन की पोएट लॉरीअट नियुक्त की गईं. वे पहली महिला व पहली स्कॉटिश पोएट लॉरीअट हैं. उनके स्वयं के कई कविता संकलन छ्प चुके हैं. उन्होंने कई कविता संकलनों को सम्पादित भी किया है. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक सम्मान व अवार्ड मिल चुके हैं. सरल भाषा में लिखी उनकी कविताएँ अत्यंत लोकप्रिय हैं व स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा भी हैं. यह कविता उनके 2005 में छपे संकलन ' रैप्चर ' से है, जिसे टी एस एलीअट प्राइज़ मिला था.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़