मंगलवार, अप्रैल 03, 2012

फूलों की दुकान में

फलार मार्केट एट ला मादेलेन, एदुआर कोर्त
Flower Market at La Madeleine, Edouard Cortes
एक आदमी फूलों की दुकान में जाता है
और फूल चुनता है 
फूलवाली फूलों को बाँध देती है 
आदमी जेब में हाथ डालता है
पैसे निकलने के लिए
फूलों की कीमत चुकाने के लिए
अचानक
दिल पर हाथ रखता है
और गिर जाता है

जिस पल वो गिरता है
पैसे ज़मीन पर लुढ़कते हैं
और फिर फूल भी गिरते हैं
उसी समय जब आदमी गिरता है
उसी समय जब पैसे गिरते हैं
और फूलवाली ठगी-सी देखती जाती है
पैसों को जो गिर रहें हैं
फूलों को जो ख़राब हो रहे हैं
आदमी को जो मर रहा है
बेशक ये सब बहुत दुखद है
और कुछ करना चाहिए
फूलवाली को
मगर उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा
वह नहीं जानती
कहाँ से शुरू करे

कितना कुछ करना है
आदमी मर रहा है
फूल ख़राब हो रहे हैं
और ये सिक्के 
ये सिक्के लुढ़क रहे हैं
लुढ़कते जा रहे हैं

-- याक प्रेवेर


 याक प्रेवेर  ( Jacques Prévert )फ़्रांसिसी कवि व पटकथा लेखक थे. अत्यंत सरल भाषा में लिखी उनकी कविताओं ने उन्हें फ्रांस का, विक्टर ह्यूगो के बाद का, सबसे लोकप्रिय कवि बना दिया. उनकी कविताएँ अक्सर पेरिस के जीवन या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जीवन के बारे में हैं. उनकी अनेक कविताएँ  स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं व प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गयी  हैं. उनकी लिखी पटकथाओं व नाटकों को भी खूब सराहा गया है. उनकी यह कविता उनके सबसे प्रसिद्द कविता संग्रह 'पारोल' से है.
इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़