फलार मार्केट एट ला मादेलेन, एदुआर कोर्त Flower Market at La Madeleine, Edouard Cortes |
और फूल चुनता है
फूलवाली फूलों को बाँध देती है
आदमी जेब में हाथ डालता है
पैसे निकलने के लिए
फूलों की कीमत चुकाने के लिए
अचानक
दिल पर हाथ रखता है
और गिर जाता है
जिस पल वो गिरता है
पैसे ज़मीन पर लुढ़कते हैं
और फिर फूल भी गिरते हैं
उसी समय जब आदमी गिरता है
उसी समय जब पैसे गिरते हैं
और फूलवाली ठगी-सी देखती जाती है
पैसों को जो गिर रहें हैं
फूलों को जो ख़राब हो रहे हैं
आदमी को जो मर रहा है
बेशक ये सब बहुत दुखद है
और कुछ करना चाहिए
फूलवाली को
मगर उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा
वह नहीं जानती
कहाँ से शुरू करे
और गिर जाता है
जिस पल वो गिरता है
पैसे ज़मीन पर लुढ़कते हैं
और फिर फूल भी गिरते हैं
उसी समय जब आदमी गिरता है
उसी समय जब पैसे गिरते हैं
और फूलवाली ठगी-सी देखती जाती है
पैसों को जो गिर रहें हैं
फूलों को जो ख़राब हो रहे हैं
आदमी को जो मर रहा है
बेशक ये सब बहुत दुखद है
और कुछ करना चाहिए
फूलवाली को
मगर उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा
वह नहीं जानती
कहाँ से शुरू करे
कितना कुछ करना है
आदमी मर रहा है
फूल ख़राब हो रहे हैं
और ये सिक्के
आदमी मर रहा है
फूल ख़राब हो रहे हैं
और ये सिक्के
ये सिक्के लुढ़क रहे हैं
लुढ़कते जा रहे हैं
लुढ़कते जा रहे हैं
-- याक प्रेवेर
याक प्रेवेर ( Jacques Prévert )फ़्रांसिसी कवि व पटकथा लेखक थे. अत्यंत सरल भाषा में लिखी उनकी कविताओं ने उन्हें फ्रांस का, विक्टर ह्यूगो के बाद का, सबसे लोकप्रिय कवि बना दिया. उनकी कविताएँ अक्सर पेरिस के जीवन या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जीवन के बारे में हैं. उनकी अनेक कविताएँ स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं व प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गयी हैं. उनकी लिखी पटकथाओं व नाटकों को भी खूब सराहा गया है. उनकी यह कविता उनके सबसे प्रसिद्द कविता संग्रह 'पारोल' से है.
इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
very nice poem and translation reenu ji ....thanks and congrats....!
जवाब देंहटाएंfir se ek umda nazm.... behad khubsoorat
जवाब देंहटाएंfir se ek umda nazm...behad khubsurat kavita...
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