वुमन बाए अ लैम्प, पॉल सीन्याक Woman By A Lamp, Paul Signac |
इतनी देर से भी ऐसा होता है :
प्यार का आना, रोशनी का आना.
तुम जाग जाते हो
और जैसे दिये अपनेआप ही जल जाते हैं,
तारे इकट्ठे हो जाते हैं,
सपने उड़ेल देते हैं अपनेआप को तुम्हारे तकियों में,
ऊपर की ओर छोड़ते हैं गुनगुनी हवा के गुलदस्ते.
इतनी देर से भी
देह की अस्थियाँ चमकने लगती हैं
और साँसें धधक उठती हैं
कल की होनेवाली मिट्टी में.
-- मार्क स्ट्रैन्ड
मार्क स्ट्रैन्ड ( Mark Strand )एक अमरीकी कवि, लेखक व अनुवादक हैं. 1990 में वे अमरीका के 'पोएट लौरेएट ' थे. वे कई जाने-माने विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी पढ़ा चुके हैं और आजकल कोलम्बिया युनिवेर्सिटी में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं. उन्हें 'पुलित्ज़र प्राइज़ ' सहित कई सम्मान प्राप्त हुए हैं. अब तक उनकी कविताओं, लेखों व अनुवादों के 30 से भी अधिक संकलन प्रकाशित हो चुके हैं.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से अनुवाद -- रीनू तलवाड़