आलमंड ट्री इन ब्लॉसम, विन्सेंट वान गोग Almond Tree in Blossom, Vincent Van Gogh |
सड़क से गीली घास की खुशबू आ रही थी.
और, एक बार फिर, गर्मी ने
रख दिया था हमारे काँधे पर अपना हाथ
मानो कह रही हो कि समय
हमसे अभी कुछ छीनने नहीं जा रहा है.
मगर वहाँ
मैदान जहाँ जाकर टकराता है बादाम के पेड़ से,
देखो, एक मृग-छौना पत्तों पर से
कल से लेकर आज तक
कुलाँचे भरता निकला था.
और हम रुक गए थे, अलौकिक था वह सब,
और मैं तुम्हारे निकट आया था,
खींच के दूर किया था मैंने तुम्हें पेड़ के काले तने से,
उस टहनी से जिस पर बिजली गिरी थी,
जिस में से कल का रस, अब तक दैवी, बह रहा था.
-- ईव बोन्नफ़ोआ
ईव बोन्नफ़ोआ एक फ़्रांसिसी कवि एवं निबंधकार हैं. युद्धोपरांत के फ्रांसीसी साहित्य में उनकी रचनाओं का महत्वपूर्ण स्थान है .थोड़े समय के लिए वे स्यूरेयालीस्त आन्दोलन से भी जुड़े थे, मगर जल्द ही उन्होंने ने अपना एक निजी मुहावरा विकसित किया.उनकी कविताओं में एक सादगी है जो अक्सर हमें छल जाती है. इनकी कविताओं का अनुवाद अंग्रेजी व अन्य भाषाओं में खूब हुआ है. ये स्वयं शेक्सपियर के अपने अनुवाद के लिए जाने जाते हैं. फ्रांस व अन्य देशों के अनेक पुरूस्कार इन्हें प्राप्त हुए हैं और नोबेल की सूची में इनका नाम बार-बार प्रकट होता है. इनकी कविताओं व निबंधों के अनेक संकलन प्रकाशित हुए हैं.
इस कविता का फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़