बुधवार, अगस्त 31, 2011

श्वेत स्वर

ऑटम, मोर्निंग मिस्ट , कमील पिस्सारो
Autumn, Morning Mist, Camille Pissarro

इस बरस पतझड़ जल्दी आया है 
अगस्त की इस आखिरी सुबह में 
धुंध छा जाती है घाटी पर 
देर-से खिले गुलाबों को धुंधला करती है
और गीले पत्तों की महक तैरती है
पूर्णिमा से एक दिन बाद की रोशनी में
यह जाने का समय है
प्रवासी पंछियों के छोटे-छोटे झुण्ड 
धागों की तरह उलझे हैं 
गाँव के पश्चिमी छोर के पेड़ों में 
और प्रतीक्षा कर रहे हैं 
कि कुछ उन्हें याद दिलाएगा 
यात्रा की
और उनकी अपनी राह की 
और जब धुंध छंटती है 
वे जा चुके होते हैं 
और उनके साथ ही गर्मियों के दिन
भी ओझल हो जाते हैं 
और यहाँ-वहां पत्तों ने
धूप के रंग ओढने शुरू कर दिए हैं 
उन्हें हमेशा हमेशा रखने के लिए 


-- डब्ल्यू एस मर्विन



W.S. Merwinडब्ल्यू एस मर्विन ( W S Merwin )अमरीकी कवि हैं व इन दिनों अमरीका के पोएट लॉरीअट भी हैं.उनकी कविताओं, अनुवादों व लेखों के 30 से अधिक संकलन प्रकाशित हो चुके हैं .उन्होंने दूसरी भाषाओँ के प्रमुख कवियों के संकलन, अंग्रेजी में खूब अनूदित किये हैं, व अपनी कविताओं का भी स्वयं ही दूसरी भाषाओँ में अनुवाद किया है.अपनी कविताओं के लिए उन्हें अन्य सम्मानों सहित पुलित्ज़र प्राइज़ भी मिल चुका है.वे अधिकतर बिना विराम आदि चिन्हों के मुक्त छंद में कविता लिखते हैं.यह कविता उनके संकलन 'द शैडो ऑफ़ सिरिअस ' से है.

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

सोमवार, अगस्त 29, 2011

जाने और ठहरने के बीच

आरयनतयी, लेट आफ्टरनून, क्लौद मोने
Argenteuil, Late Afternoon , Claude Monet

अपनी पारदर्शिता पर मोहित दिन 
झिझकता है जाने और ठहरने के बीच.
यह गोलाकार दोपहर अब एक घाटी है
जहाँ नि:शब्दता में दुनिया झूलती है.
सब प्रत्यक्ष है और सब पकड़ से बाहर,
सब पास है और छुआ नहीं जा सकता.
कागज़, किताब, पेंसिल, गिलास 
अपने-अपने नामों की छाँव में बैठे हैं.
मेरी धमनियों में धड़कता समय 
उसी न बदलने वाले रक्तिम शब्दांश 
को दोहराता है.
रोशनी बना देती है उदासीन दीवार को
प्रतिबिम्बों का एक अलौकिक मंच.
मैं स्वयं को एक आँख की पुतली में 
पाता हूँ, उसकी भावशून्य ताक में 
स्वयं को ही देखता हुआ.
वह पल बिखर जाता है. एकदम स्थिर, 
मैं ठहरता हूँ और जाता हूँ : मैं एक विराम हूँ.



-- ओक्तावियो पास 



  ओक्तावियो पास ( Octavio Paz )मेक्सिको के लेखक व कवि थे. वे कुछ साल भारत में मेक्सिको के राजदूत भी रहे. उनके लेखन पर मार्क्सवाद, स्यूरेयालीज्म, एग्ज़िस्टेन्शलिज़म के साथ हिन्दू व बौध धर्मों का भी बहुत प्रभाव रहा. उनकी कविताओं व निबंधों के असंख्य संकलन छपे हैं व अनेक भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है. सैम्युएल बेकेट, एलीजाबेथ बिशप, मार्क स्ट्रैंड जैसे जाने-माने कवियों-लेखकों ने उनके लेखन का अंग्रेजी में अनुवाद किया है. सर्वंतेस प्राइज़ व 1990 के नोबेल पुरस्कार सहित उन्हें अनेक सम्मान मिले थे.
इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद एलियट वाइनबर्गर ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

शनिवार, अगस्त 27, 2011

काश मैं जानती...

हेड ऑफ़ अ वुमन, आमेदेओ मोदिग्लिआनि
Head Of A Women, Amedeo Modigliani

काश मैं जानती कि यह तुम्हारा 
" मैं तुम से प्यार करता हूँ "
किस भाषा से अनूदित किया गया है,
अगर मैं उसका मौलिक रूप ढूंढ पाती,
और शब्दकोष देख लेती 
तो आश्वस्त हो जाती कि अनुवाद सही है:
कि अनुवादक की कोई गलती नहीं है.

                        --

जाड़ों में जानवर,
वसंत में पौधा,
गर्मियों में पतंगा, 
पतझड़ में पंछी,
शेष समय मैं होती हूँ एक स्त्री.

                        --

यह ' हाँ ' शब्द इतना संक्षिप्त क्यों है?
उसे होना चाहिए 
सबसे लम्बा 
सबसे कठिन 
ताकि एक ही पल में तुम तय न कर पाओ उसे कहना 
ताकि गहरे चिंतन के बाद 
बीच ही में 
तुम उसे कहते-कहते रुक जाओ.


-- वेरा पाव्लोवा


वेरा पाव्लोवा ( Vera Pavlova ) रूस की सबसे प्रसिद्द समकालीन कवयित्री हैं. उनका जन्म मॉस्कोमें हुआ था. उन्होंने संगीत की शिक्षा ग्रहण की व संगीत के इतिहास विषय में विशेषज्ञता प्राप्त की. कुछ समय बाद ही उनकी कविताएँ प्रकाशित हुई और उन्होंने अपने साहित्यिक जीवन का आरम्भ किया. उनके 14 कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं व रूस में उनकी किताबें खूब बिकती हैं. उन्होंने चार ओपेरा लिबेरेतोज़ के लिए संगीत लिखा है व कुछ बोल भी. उनकी कविताएँ 18भाषाओँ में अनूदित की गयी हैं. यह तीन कविताएँ उनके अंग्रेजी में अनूदित संकलन 'देयर इज समथिंग टू डिज़ायर' से हैं.
इन कविताओं का मूल रशियन से अंग्रेजी में अनुवाद स्टीवन सेमूर ने किया है.

इन कविताओं का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

गुरुवार, अगस्त 25, 2011

ताकि सबकुछ पूर्णता को पाए

व्हीट फील्ड विद कॉर्नफ्लार्स, विन्सेंट वान गोग
Wheat field With Cornflowers, Vincent Van Gogh

एक खेत में
मैं खेत की 
अनुपस्थिति हूँ.
हमेशा 
ऐसा ही होता है.
मैं जहाँ भी होता हूँ 
मैं ही होता हूँ जो अनुपस्थित होता है.

जब मैं चलता हूँ
मैं हवा को दो हिस्सों में बाँट देता हूँ
और हवा लौट कर हमेशा
उन जगहों को भर देती है
जहाँ मेरी देह पहले थी.

आगे बढ़ने के 
हम सब के कारण होते हैं.
मैं आगे बढ़ता हूँ
ताकि सब कुछ पूर्णता को पाए.


-- मार्क स्ट्रैन्ड



 मार्क स्ट्रैन्ड ( Mark Strand )एक अमरीकी कवि, लेखक व अनुवादक हैं. 1990 में वे अमरीका के 'पोएट लौरेएट ' थे. वे कई जाने-माने विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी पढ़ा चुके हैं और आजकल  कोलम्बिया  युनिवेर्सिटी में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं. उन्हें 'पुलित्ज़र प्राइज़ ' सहित कई सम्मान प्राप्त हुए हैं. अब तक उनकी कविताओं, लेखों व अनुवादों के 30 से भी अधिक संकलन प्रकाशित हो चुके हैं.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से अनुवाद -- रीनू  तलवाड़

मंगलवार, अगस्त 23, 2011

अगर तुम्हारी आँखें

वुमन विद अ पैरासोल, क्लौद मोने
Woman With A Parasol, Claude Monet

अगर तुम्हारी आँखें चाँद के रंग की ना होती 
एक भरे दिन [ यहाँ, बच्चे के जागने के कारण 
रुकना पड़ा -- करीब २६ घंटे बाद फिर 
लिखना शुरू किया ]
एक गीली मिटटी से भरे दिन के रंग की,
और काम के, और आग के,
अगर जकड़ी हुई भी तुम
हवा की तरह सुन्दर चपलता से न हिलती,
अगर तुम एक कहरुवा रंग का सप्ताह न होती,

न वह पीला पल 
जब पतझड़ बेलों से निकल ऊपर चढ़ आता है,
अगर तुम वह रोटी न होती जो महका चाँद 
बेलता है, अपना आटा पूरे आकाश पर छितराते हुए, 

ओह, मेरी प्यारी, तो मैं तुम्हें ऐसे प्यार नहीं कर सकता था.
मगर जब मैं तुम्हें थामता हूँ मैं उस सब को थामता हूँ जो है --
रेत, समय, बारिश का पेड़,

सब कुछ जीवित है ताकि मैं जीवित रह सकूँ :
बिना यहाँ से हटे मैं सब कुछ देख सकता हूँ :
मैं तुम्हारे जीवन में वह सब देख सकता हूँ जो जीता है.


-- पाब्लो नेरुदा 



पाब्लो नेरुदा ( Pablo Neruda ) को कौन नहीं जानता. वे चिली के कवि थे.कोलंबिया के महान उपन्यासकार गेब्रिअल गार्सिया मार्केज़ ने उन्हें ' 20 वीं सदी का, दुनिया की सभी भाषाओँ में से सबसे बेहतरीन कवि ' कहा है. 10वर्ष की आयु में उन्होंने कविताएँ लिखनी शुरू की. 19वर्ष की आयु में उनका पहला संकलन 'क्रेपेस्क्युलारियो ' प्रकाशित हुआ और उसके बाद उनकी प्रसिद्द प्रेम कविताएँ ' ट्वेंटी पोएम्ज़ ऑफ़ लव एंड अ सोंग ऑफ़ डेसपैर '. दोनों संकलन खूब सराहे गए और दूसरी भाषाओँ में अनूदित लिए गए. उनकी प्रेम कविताओं की तो सहस्रों प्रतियाँ आज तक बिक चुकी है. उनके पूरे लेखन काल में उनकी 50से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई और अनेक भाषाओँ में असंख्य अनुवाद हुए. 1971में उन्हें नोबेल प्राइज़ भी प्राप्त हुआ. यह कविता उनके संकलन '100 लव सोनेट्स ' से है. यह आठवां सोनेट है .
इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद स्टीफन टैपस्कोट ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

रविवार, अगस्त 21, 2011

पंद्रह त्रिक

अंडर द लेमन ट्रीज़, क्लौद मोने
Under The Lemon Trees, Claude Monet

धुंध में लटके नींबू नन्हीं लालटेनों से लगते हैं. दो 
घोड़े लाए गए, एक धूसर एक चितकबरा. तुम धूसर 
वाला ले लो, चितकबरा तो मेरे प्राण लेकर रहेगा.
                        --
खिड़की के शीशे पर एक कीड़ा, एक जल चुकी
तीली बेडरूम के दरवाज़े के पास: 
क्या यह कुछ है, या कुछ भी नहीं?
                        --
टूटे स्तम्भों के बीच पत्थर के देवदूत
चूमते हैं एक दूसरे को
न जाने कब के मरे हुए लोगों की कब्रों पर.
                        --
एक गाँव से गुज़रती एक रेलगाड़ी 
एक शनिवार की देर रात. गहरा नीला धुआं.
एक अकेला यात्री.
                        --
देखो -- नए उगे चाँद ने 
अपनी आस्तीन में
चुपके से रख लिया है एक चाक़ू.
                        --
आवारा कुत्ते. धूल-सने पेड़. एक टूटा 
छज्जा. रात की ओर खुलता एक दरवाज़ा.
मैंने सीढ़ियों पर कदम रख दिया है.
                        --
वह अपना गुलदस्ता बिस्तर पर छोड़ देती है.
वह अपने बालों में कंघी करती है.
वह अपने वस्त्र उतार, खिड़की के पास चली जाती है.
                        --
हर रात, जैसे ही तुम आँखें बंद करते हो, वह अनामित 
नग्न खड़ा होता है तुम्हारे बिस्तर के पास. वह तुम्हें 
टकटकी लगा कर देखता है और बता देता है सबकुछ.
                        --
रात की हवा पर पत्ते हौले-से रखते हैं कदम;
अपनी नींद में मैं उन्हें सुनता हूँ
और जड़ों तक करता हूँ उनका पीछा.
                        --
रात को रेलवे स्टेशन: सुनसान, अँधेरा, वीरान.
स्टेशन-मास्टर बीड़ी जलाता है.
वह अपनी ज़िप खोलकर नीचे पटरी पर मूतता है.
                        --
एक बंद मकान. सीढियां.
एक सोन-मछली तैरती है
मलिन आईने में.
                        --
मैंने अपनी सिगरेट की ठूंठ उछाल कर 
खिडकी से बाहर पानी की टंकी में फ़ेंक दी.
क्या वह अभी भी जल रही है या वह कोई टूटा तारा है?
                        --
तुम्हारी नींद -- एक शांत झील.
एक हिरन पीने को झुकता है. मैं झुकता हूँ
पीने को.
                        --
खिड़कियाँ बंद. घर खाली 
बिस्तर पर तुम्हारे बदन की 
चिकनी नग्न अनुपस्थिति को छोड़कर.
                        --
वे तारों जड़ी रातें...गीली घास पर
सेबों का गिरना सुना जा सकता था.
हम सेब पड़े रहने देते थे, पर आवाज़ बटोर लेते थे.



--- ज्यानिस रीत्ज़ोज़ 


 ज्यानिस रीत्ज़ोज़ ( Yannis Ritsos ) एक युनानी कवि और वामपंथी ऐक्टिविस्ट थे. टी बी और दुखद पारिवारिक समस्याओं से त्रस्त, अपने वामपंथी विचारों के लिए उत्पीड़ित, उन्होंने ने कई वर्ष सैनटोरीअमों, जेलों व निर्वासन में बिताये मगर पूरा समय वे लिखते रहे और अनेक कविताएँ, गीत, नाटक लिख डाले, कई अनुवाद भी कर डाले. अपने दुखों के बावजूद, समय के साथ उनके अन्दर ऐसा बदलाव आया कि वे अत्यंत मानवीय हो गए और उनके लेखन में उम्मीद, करुणा और जीवन के प्रति प्रेम झलकने लगा. उनकी 117किताबे प्रकाशित हुई जिनमे कविताओं के साथ-साथ नाटक व निबंध-संकलन भी थे.इस कविता का मूल ग्रीक से अंग्रेजी में अनुवाद डेविड हार्सेंट ने किया है.

इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

शुक्रवार, अगस्त 19, 2011

कितनी बड़ी है यह उदासी

लाइंग काओ, विन्सेंट वान गोग
Lying Cow, Vincent Van Gogh

कितनी बड़ी है यह उदासी और 
यह कड़वाहट जो झोंक देती है 
हमारी नन्ही ज़िंदगियों को 
एक कोलाहल में !
ऐसा कितनी बार होता है 
कि दुर्भाग्य 
क्रूरता से हमें कुचल डालता है!
सुखी है वह जानवर, स्वयं से अनामित, 
जो हरे-हरे खेतों में चरता है,
और ऐसे प्रवेश करता है मृत्यु में 
जैसे कि वह उसका घर हो;
या वह विद्वान जो, अध्ययन में डूबा,
अपने निरर्थक सन्यासी जीवन को 
उठा लेता है हमारे जीवन से बहुत ऊपर,
धुंए की तरह, 
जो अपने विघटित होते हाथों को 
उठा देता है एक ऐसे स्वर्ग की ओर
जिसका अस्तित्व ही नहीं है.


-- फेर्नान्दो पेस्सोआ ( रिकार्दो रेइस)



 फेर्नान्दो पेस्सोआ ( Fernando Pessoa )20 वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. यह कविता उन्होंने रिकार्दो रेइस ( Ricardo Reis )के झूठे नाम से लिखी थी. अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने 72 झूठे नामों या हेट्रोनिम् की आड़ से सृजन किया, जिन में से तीन प्रमुख थे. और हैरानी की बात तो यह है की इन सभी हेट्रोनिम् या झूठे नामों की अपनी अलग  जीवनी, दर्शन, स्वभाव, रूप-रंग व लेखन शैली थी. पेस्सोआ  के जीतेजी उनकी एक ही किताब प्रकाशित हुई. मगर उनकी मृत्यु के बाद, एक पुराने ट्रंक से उनके द्वारा लिखे 25000 से भी अधिक पन्ने  मिले, जो उन्होंने अपने अलग-अलग नामों से लिखे थे. पुर्तगाल की नैशनल लाइब्रेरी में इनके सम्पादन का काम आज भी जारी है. यह कविता उनके संकलन 'ओड्ज़' से है.
इस कविता का मूल पोर्त्युगीज़ से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.

इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

बुधवार, अगस्त 17, 2011

किताबें और प्यार

फ्रेंच नोवेल्ज़, विन्सेंट वान गोग
French Novels, Vincent Van Gogh

वे किताबें 
जिन से कमरे ने खुद को भरा हुआ है 
हवा से तरंगित वीणा की तरह 
झंकृत होती हैं 
जब संतरे के पेड़ों से आई हवा
वहां से होकर बहती है 
और जो अक्षर पन्ने में जड़ा हुआ है 
वहीं रोक लेता है खुद को 
उस कपडे से बने सफ़ेद कागज़ पर 
और इस भड़कीले पतझड़ में 
दूर कहीं युद्ध गरजता है
जो प्रेमिका को प्रेमी के संग 
मार डालता है किसी पुराने किनारे पर.


-- यौं फोलें 



 
यौं फोलें ( Jean Follain ) फ्रांस के कवि, लेखक व मजिस्ट्रेट थे और फ्रेंच के महत्वपूर्ण कवि माने जाते हैं. बहुत समय तक वे दोहरी ज़िन्दगी जीते रहे, एक ओर सरकारी अफसर और दूसरी ओर कवि जो साहित्यिक गोष्ठियों में जाता था, पत्रिकाओं में लेख लिखता था. फिर उन्होंने एक दिन नौकरी छोड़ दी और अनेक देशों का भ्रमण किया. ऐसा लगता था मानो वे नौकरी में गवाएँ साल वापिस अर्जित करना चाहते थे. उनके अनेक कविता व गद्य संकलन प्रकाशित हुए व उनका दूसरी भाषाओँ में अनुवाद भी हुआ. उनकी कविताएँ छोटी, रहस्यमय और लगभग चीनी-जापानी बौद्ध कविताओं-सी लगती है.
इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

सोमवार, अगस्त 15, 2011

एक खाली घर में

फार्महाउसिज़ अमंग ट्रीज़, विन्सेंट वान गोग
Farmhouses Among Trees, Vincent Van Gogh
कोई किसी को पुकार रहा था;
अब वह चुप हो गया हैं. शीशे के बाहर
गुलाब की बेल काँपती है.
जैसे कि हौले-हौले हवा चल रही हो,
मगर नहीं चल रही :
मुझे कुछ सुनाई नहीं देता. 
पल बीतते जाते हैं,
या लगता है कि बीत रहे हैं, और सूरज,
भोज के पेड़ से ऊपर चढ़ा हुआ 
थोड़ी देर टिकता है 
अपनी गोलाकार उतराई से पहले.

दोपहर है. एकांत में रहना
एक बात है, मगर अकेले होना, बोलना 
और किसी का उस बोले को ना सुनना, 
एक ही शब्द को दोबारा बोलना, 
या कोई और, जब तक कि 
मौन का वहां होना अलग-से ना पहचाना जा पाए 
या सोचा जा पाए 
कि आखिर वह मौन वहां है किस लिए...

कोई भी नए सिरे से शुरू नहीं कर सकता 
एकदम सही शब्द ढूँढकर क्रमशः जानवरों, 
पंछियों और पौधों के नाम रखना.
बाड़े के पार कम घना जंगल जगह दे देता है;
रोशनी प्रवेश करती है; रात का बाज़,
उल्लू, नेवला भाग चुके हैं.
भय के पूर्ण अभाव को जानने के लिए 
जो वहां नहीं है उससे नहीं डरना

ही ध्येय बन जाता है, वह सहज प्रवृत्ति 
की अंतिम पाशविक कम्पन. 
हम आगे बढ़ जाते हैं 
या आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं, 
तथ्यों के बीच, स्वयं को व स्वयं के कृत्यों को 
ऐसे नाम देते हुए जैसे कि वे यथार्थ हों.
सूखे पत्ते टहनियों से लिपटे रहते हैं,
जड़ें सहने के लिए कस कर पकडे रहती हैं,
पर कोई आवाज़ आकाश के भ्रम पर
सवाल नहीं उठाती .


-- फिलिप लेवीन 


फिलिप लेवीन ( Philip Levine ) अमरीकी कवि हैं व हाल ही मैं वे अमरीका के पोएट लौरीएट नियुक्त किये गए हैं. उनके माता-पिता रूसी-यहूदी थे व उन्होंने अपने जैसे असंख्य लोगों की तरह अमरीका में शरण ली थी. वे डीट्रॉयट के कार-कारखानों और मजदूरों के माहौल में बड़े हुए व आम आदमी के हाल का, जो एक नाउम्मीद-सी नौकरी सिर्फ अपने परिवार को भुखमरी से बचाए रखने के लिए करता है, उन पर गहरा असर हुआ व उन्होंने तय किया की वे उन लोगों की आवाज़ बनेंगे. अपनी पढाई पूरी कर उन्होंने कई अमरीकी युनिवर्सिटियों में पढ़ाया है. उनके अनेक कविता संकलन व एक निबंध संग्रह भी प्रकाशित हुआ है. उन्होंने अनुवाद भी किए हैं. उन्हें पुलित्ज़र प्राइज़ सहित अन्य कई सम्मान प्राप्त हुए हैं.
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

शनिवार, अगस्त 13, 2011

नाम

द स्ट्रौलर, क्लौद मोने
The Stroller, Claude Monet

ऐसा कब हो गया कि तुम्हारा नाम
एक व्यक्तिवाचक संज्ञा से बदल कर 
बन गया एक मन्त्र?

उसके तीन स्वर 
मोतियों की तरह 
मेरी साँसों के धागे में पिरोए हुए.

उसके व्यंजन 
एक चुम्बन की तरह 
हौले से मेरे होंठों को छूते हुए.

मुझे प्यार है तुम्हारे नाम से.
उसे बार बार बोलती हूँ मैं 
इस गर्मियों की बारिश में.

उसे छुपे हुए देखती हूँ मैं
वर्णमाला में,
एक चाह की तरह.

प्रार्थना की तरह 
रात में उसे करती हूँ मैं 
जब तक हल्के न हो जाएँ उसके अक्षर.

मैं सुनती हूँ तुम्हारे नाम की लय को 
मिलते हुए, मिलते हुए
मिलते हुए हर चीज़ की लय से.


-- कैरल एन डफ्फी


  कैरल एन डफ्फी ( Carol Ann Duffy )स्कॉट्लैंड की कवयित्री व नाटककार हैं. वे मैनचेस्टर मेट्रोपोलिटन युनिवेर्सिटी में समकालीन कविता की प्रोफ़ेसर हैं. 2009 में वे ब्रिटेन की पोएट लॉरीअट नियुक्त की गईं. वे पहली महिला व पहली स्कॉटिश पोएट लॉरीअट हैं. उनके स्वयं के कई कविता संकलन छ्प चुके हैं. उन्होंने कई कविता संकलनों को सम्पादित भी किया है. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक सम्मान व अवार्ड मिल चुके हैं. सरल भाषा में लिखी उनकी कविताएँ अत्यंत लोकप्रिय हैं व स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा भी हैं. यह कविता उनके 2005 में छपे संकलन ' रैप्चर ' से है, जिसे टी एस एलीअट प्राइज़ मिला था.

इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़  

गुरुवार, अगस्त 11, 2011

टेलीफोन पर बातचीत

द रेड स्क्विरल, आर्चिबाल्ड थोर्नबर्न
The Red Squirrel, Archibald Thornburn

प्यारी-सी, नन्ही-सी गिलहरी, क्या तुम मुझे सुन सकती हो, 
क्या तुम समझ पाती हो जब मैं तुम से बात करता हूँ,
क्या तुम महसूस कर सकती हो कि मैंने तुम्हें उठाया हुआ है 
और हम एक साथ आँगन पार कर रहे हैं
तुम्हे दफ़नाने के लिए उस गड्ढे में जहाँ मिट्टी नर्म व काली है,
क्या तुम सुन पा रही हो कीड़े-मकौडों को, हवा की साँसों को,
क्या तुम सोचती हो; अमरत्व क्या है?
अमरत्व का अर्थ क्या होता है? शायद किसी 
उड़ते विमान की क्षणिक छाया, मंद-मंद बारिश.
क्या तुम महसूस कर सकती हो
कि मैं तुम्हारे बारे में सोच रहा हूँ,
कि कैसे अब तुम नहीं हो,
कि बाकी सब के बीच अब तुम जीवित नहीं रही;
तुम अनूठी थी, जैसे हम सब अनूठे है.
उदाहरण के लिए, मैं मानता हूँ कि मैं एक पिता हूँ,
मानता हूँ कि मैं एक पुत्र हूँ.


-- रयून क्रिस्तियानसन 


रयून क्रिस्तियानसन (Rune Christiansen ) नार्वे  के कवि व उपन्यासकार हैं. 23 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता-संग्रह प्रकाशित हुआ ' वेअर द ट्रेन लीव्ज़ द सी '. तब से उन्होंने 9 कविता संकलन व ६बेहद सराहे गए उपन्यास लिखे हैं. उन्हें कई साहित्यिक पुरुस्कार व सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्होंने अन्य भाषाओं के प्रसिद्द कवियों जैसे एलें बोसके व युजीनियो मोंताले के साथ काम भी किया है.
इस कविता का मूल नार्वेजियन से अंग्रेजी में अनुवाद ऐग्नेज़ स्कॉट लैंगलैंड ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

मंगलवार, अगस्त 09, 2011

इतवार

ला पौन्से, ओग्यूस्त रोदें
La Pensée , Auguste Rodin
एवेन्यू गोबेलां के पेड़ो की कतारों के बीच से
मेरा हाथ पकड़ कर ले जाती है
एक संगमरमर की मूर्ती
आज इतवार है और सिनेमाघर खचाखच भरे हैं
पेड़ की टहनियों पर बैठे पंछी इंसानों को देखते हैं
और मूर्ती मुझे चूम लेती है
मगर कोई नहीं देखता 
सिवाय एक अंधे बच्चे के
जो ऊँगली से इशारा करता है
हमारी ओर.


-- याक प्रेवेर



याक प्रेवेर  ( Jacques Prévert )फ़्रांसिसी कवि व पटकथा लेखक थे. अत्यंत सरल भाषा में लिखी उनकी कविताओं ने उन्हें फ्रांस का विक्टर ह्यूगो के बाद का सबसे लोकप्रिय कवि बना दिया. उनकी कविताएँ अक्सर पेरिस के जीवन या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जीवन के बारे में हैं. उनकी अनेक कविताएँ  स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं व प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गयी  हैं. उनकी लिखी पटकथाओं व नाटकों को भी खूब सराहा गया है. उनकी यह कविता उनके सबसे प्रसिद्द कविता संग्रह 'पारोल' से है.

इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़

रविवार, अगस्त 07, 2011

ईश्वर से प्रश्न

द कैथीड्रल, ओग्यूस्त रोदें
The Cathedral, Auguste Rodin 

हे ईश्वर :
जब हम प्यार करते हैं हम पर क्या विजय पा लेता है?
हमारे भीतर गहरे कहीं क्या होने लगता है?
हमारे अन्दर क्या टूट जाता है?
ऐसा कैसे है कि जब प्यार करते हैं 
लौट जाते हैं हम एक बार फिर बचपन में ?
ऐसा कैसे होता है कि पानी की एक बूँद 
बन जाती है सागर 
ताड़ के पेड़ और ऊंचे हो जाते है 
समुद्र का पानी और मीठा 
सूरज एक कीमती हीरों-जड़ा कंगन कैसे बन जाता है
जब हम प्यार करते हैं?

हे ईश्वर :
जब अचानक प्यार घटित होता है 
वह क्या है जो हम अपने में से जाने देते हैं?
वह क्या है जो हम में पैदा हो जाता है?
क्यों हम नन्हे स्कूली बच्चों-से 
सरल और मासूम हो जाते हैं?
और ऐसा क्यों होता है 
कि जब हमारी प्रियतमा हँसती है 
दुनिया करती है हम पर मोगरे की बारिश 
ऐसा क्यों होता है 
कि जब वह हमारे काँधे पर सर रख कर रोती है 
दुनिया एक दुःख भरा पंछी बन जाती है?

हे ईश्वर :
उसे क्या कहते हैं, उस प्यार को
जिसने सदियों-सदियों आदमियों को मार डाला है, 
किलों को जीता है 
शक्तिशाली को नीचा दिखाया है 
निरीह और सीधे-सादे लोगों को पिघलाया है?
ऐसा कैसे होता है कि हमारी प्रेमिका के बाल 
सोने का बिछौना बन जाते हैं
और उसके होंठ मदिरा और अंगूर?
ऐसा कैसे है कि हम आग में से गुज़रते हैं
और आंच का आनंद उठाते हैं?
हम बंदी कैसे बन जाते हैं जबकि हमने प्यार 
विजयी राजा होने के बाद किया होता है?
उस प्यार को हम क्या कहते हैं 
जो चाक़ू की तरह हमारे अन्दर घुस जाता है ?
क्या वह एक सरदर्द है?
क्या वह पागलपन है?
ऐसा कैसे होता है कि बस एक ही पल में 
दुनिया एक हरी-भरी वादी...
एक मधुर-सी जगह बन जाती है
जब हम प्यार करते हैं?

हे ईश्वर :
हमारी बुद्धि को क्या हो जाता है? 
हमें क्या हो जाता है?
ललक का एक पल बरसों लम्बा कैसे हो जाता है 
और माया प्यार में यथार्थ कैसे बन जाती है?
कैसे साल के सप्ताह एक-दूसरे से जुड़े नहीं रह पाते?
ऐसा कैसे होता है कि प्यार मौसमों के भेद मिटा देता है?
तो सर्दियों में गर्मियाँ हो जाती हैं 
और जब हम प्यार करते हैं 
आकाश के बागीचों में गुलाब खिलने लगते हैं ?

हे ईश्वर :
हम प्यार के सामने समर्पण कैसे करें,
कैसे सौंप दे उसको अपने अंतर्मन की चाबी
उसके सामने दिए जलाएँ, सुगंध ले जाएँ 
ऐसा कैसे होता है कि क्षमा मांगते हुए,
हम उसके पैरों में गिर जाते हैं 
ऐसा कैसे होता है कि
हम चाहते हैं उसकी रियासत में दाखिल होना
वह हमें जो भी करे 
वह जो भी करे उसके आगे समर्पित होना.

हे ईश्वर :
अगर तुम सच्चे ईश्वर हो 
तो हमें हमेशा प्रेमी रहने देना.


-- निज़ार क़ब्बानी 


 निज़ार क़ब्बानी ( Nizar Qabbani )सिरिया से हैं व अरबी भाषा के कवियों में उनका विशिष्ट स्थान है. उनकी सीधी सहज कविताएँ अधिकतर प्यार के बारे में हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या वे क्रन्तिकारी हैं, तो उन्होंने कहा -- अरबी दुनिया में प्यार नज़रबंद है, मैं उसे आज़ाद करना चाहता हूँ. उन्होंने 16 की उम्र से कविताएँ लिखनी शुरू कर दी थीं, और उनके 50 से अधिक कविता-संग्रह छप चुके हैं. उनकी कविताओं को कई प्रसिद्ध अरबी गायकों ने गया है, जिन में मिस्र की बेहतरीन गायिका उम्म कुल्थुम भी हैं, जिनके गीत सुनने के लिए लोग उमड़ पड़ते थे. 
इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद लेना जाय्युसी और डब्ल्यू एस मर्विन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

शुक्रवार, अगस्त 05, 2011

संवेदना

व्हीट फील्ड विद साएप्रस, विन्सेंट वान गोग
Wheat Field With Cypress, Vincent Van Gogh


गर्मियों के नीली शामों में, 
पगडंडियों से मैं गुजरूँगा,
उगते गेहूं का गुदगुदाया, 
कटी घास पर चलता, सपनों में खोया, 
मैं पैरों के नीचे से उठती 
ठंडक महसूस करूँगा, और खुले सर पर 
ठंडी हवाओं को बहने दूंगा.

मैं बोलूँगा नहीं, कुछ सोचूंगा भी नहीं :
मगर एक अनंत प्यार उमड़ेगा 
मेरी आत्मा में,
और मैं निकल जाऊँगा दूर, बहुत दूर, 
एक बंजारे की तरह, 
प्रकृति के साथ भी वैसे ही मग्न 
जैसे किसी औरत के साथ होता हूँ.


-- आरथ्यूर रिम्बो 




Arthur Rimbaud, E. Carjat, 1872 - Wikimedia Commons  आरथ्यूर रिम्बो ( Arthur Rimbaud ) 19 वीं शताब्दी के अंत के फ्रांसीसी कवि थे. उनका सारा लेखन 21 वर्ष की आयु से पहले ही हो गया था. विक्टर ह्यूगो उन्हें 'इन्फंट शेक्सपियर' कहा करते थे. वे बहुत अच्छे विद्यार्थी थे मगर उनका बचपन दुखों से भरा था. 16 वर्ष की आयु में वे घर से भाग कर पेरिस आ गए, जहाँ उनकी मुलाकात उम्र में बड़े व स्थापित कवि पॉल वर्लेन से हुई. अपने 17 वें जन्मदिन से पहले ही उनकी लम्बी कविता 'द ड्रंकन बोट' प्रकाशित हुई, जो उनकी स्वयं की आद्यात्मिक भटकन और खोज का रूपक थी. उसी वर्ष उनकी किताब 'ए सीज़न इन हेल' भी प्रकाशित हुई जिसकी खूब आलोचना हुई. दुखी हो कर रिम्बो ने अपना लिख हुआ सब जला दिया. अब तक वे अपने प्रेमी वर्लेन से भी उकता चुके थे जिन्होंने उन्हें अपने पास रोके रखने के लिय उन पर गोली तक चला दी थी. 19वर्ष की आयु में पूरे यूरोप में भटकने के बाद, वे अफ्रीका चले गए जहाँ वे कोई कारोबार करते रहे. कुछ वर्ष बाद उन्हें मृत समझ वर्लेन ने उनका कविता-संकलन 'इल्यूमिनेशंज़' प्रकाशित करवाया, जिसने साहित्य जगत में सनसनी मचा दी. रिम्बो अब प्रतिष्ठित कवियों में गिने जाने लगे थे मगर अपने यश में उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं रही थी. 37 वर्ष की आयु में उनका कैन्सर से देहांत हो गया.

इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

बुधवार, अगस्त 03, 2011

बारिश

व्हीट फील्ड इन रेन, विन्सेंट वान गोग
Wheat Field In Rain, Vincent Van Gogh

एक शहर जो इतना जर्जर हो गया था
उसके आकाश में 
जब मैं अपना छाता खोलता हूँ
मैं पहुँच जाता हूँ उन गाँव के दिनों में 
उस लड़की के पास    
बारिश में झुकी हुई
धान रोपती हुई 
जो अचानक ही औरत बन गयी थी 
बारिश में खड़ी औरत   
अभी भी तन कर खड़ी हुई 

जिसने बार-बार कहा था   
एक आदमी से 
जिसका नाम वह नहीं जानती थी 
" भाग क्यों रहे हो?
      छाता क्यों लिया हुआ है?
लोह पुरुष को ही जंग लगता है बारिश में."


-- अली अब्दोलरेज़ेई


अली अब्दोलरेज़ेई ( Ali Abdolrezaei ) ईरान के कवि हैं. वैसे वे मेकैनिकल इंजीनियर  हैं, मगर 17वर्ष की आयु से ही वे कवि के रूप में पहचाने जाने लगे और जल्द ही क्रान्ति के बाद के ईरान के प्रसिद्द कवियों में गिने जाने लगे. ईरान में रहते हुए उनके 7संकलन ही प्रकाशित हो पाए. कड़ी सेंसर -व्यवस्था ने उनका ईरान में रहकर लिखना, पढ़ाना व सभाओं में बोलना, सब बंद कर दिया. 2002 में उन्होंने ईरान छोड़ दिया और अनेक देशों में भटक कर अंततः लंदन में  रहने लगे. उनकी लेखन शैली पारंपरिक फ़ारसी कविता से बहुत भिन्न है. उनकी कविताएँ अधिकतर वह व्यग्रता, अलगाव और कुछ खो जाने का दुःख दर्शाती हैं, जो की सभी विस्थापित ईरानियों को महसूस होता होगा. अब तक उनके 20 कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं व उनका अनेक भाषाओँ में अनुवाद भी हो चुका है. 
इस कविता का मूल फ़ारसी से अंग्रेजी में अनुवाद अबोल फ्रुशान ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

सोमवार, अगस्त 01, 2011

शाम के झुटपुटे में...

लैंडस्केप एट सनसेट, विन्सेंट वान गोग
Landscape At Sunset, Vincent Van Gogh 

शाम के झुटपुटे में ही आँखें सचमुच देखने लगती हैं.
इस से पहले कि रात उन्हें बुझा दे, फूलों के रंग 
चमकीले और सुन्दर होने लगते हैं: 
कारनेशन, पीले गुलाब, मैदानी फूल और बटरकप.
हवा थम गयी है और आकाश 
-- वह फीकी, लगभग अदृश्य पृष्ठभूमि 
हमारे सब कार्यकलापों की, आने-जाने की --
अचानक ही यहाँ है, 
पेड़ों के शिखरों और बिजली के खम्बों के ठीक ऊपर,
पत्तियों में से और घर के ऊपर से 
अपनी पूरी गहराई और नीलेपन में झिलमिलाता हुआ.
उपभवन के पीछे, सांझ का तारा शुक्र दिखाई देता है;
और कुँए की जगत की दाहिनी ओर बृहस्पति :
कभी दोनों देवता थे, अब दो तारे हैं.


-- यान काप्लिन्स्की


Author: Estonian Literary Magazine





यान काप्लिन्स्की ( Jaan Kaplinski )एस्टोनिया के कवि, भाषाविद व दार्शनिक हैं व यूरोप के प्रमुख कवियों में गिने जाते हैं. वे अपने स्वतंत्र विचारों व वैश्विक सरोकारों के लिए जाने जाते हैं. उनके कई कविता-संग्रह, कहानियां, लेख व निबंध प्रकाशित हो चुके हैं. उन्होंने कई भाषाओँ से कई भाषाओँ में अनुवाद किये है व उनके स्वयं के लेखन का भी कई भाषाओँ में अनुवाद हुआ है. यह कविता उनके संकलन 'ईवनिंग ब्रिनग्ज़ एवरीथिंग बैक ' से है.
इस कविता का मूल एस्टोनियन से अंग्रेजी में अनुवाद फियोना सैम्प्सन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़