व्हीट फील्ड इन रेन, विन्सेंट वान गोग Wheat Field In Rain, Vincent Van Gogh |
एक शहर जो इतना जर्जर हो गया था
उसके आकाश में
जब मैं अपना छाता खोलता हूँ
मैं पहुँच जाता हूँ उन गाँव के दिनों में
उस लड़की के पास
बारिश में झुकी हुई
धान रोपती हुई
जो अचानक ही औरत बन गयी थी
बारिश में खड़ी औरत
अभी भी तन कर खड़ी हुई
जिसने बार-बार कहा था
एक आदमी से
जिसका नाम वह नहीं जानती थी
" भाग क्यों रहे हो?
छाता क्यों लिया हुआ है?
लोह पुरुष को ही जंग लगता है बारिश में."
-- अली अब्दोलरेज़ेई
अली अब्दोलरेज़ेई ( Ali Abdolrezaei ) ईरान के कवि हैं. वैसे वे मेकैनिकल इंजीनियर हैं, मगर 17वर्ष की आयु से ही वे कवि के रूप में पहचाने जाने लगे और जल्द ही क्रान्ति के बाद के ईरान के प्रसिद्द कवियों में गिने जाने लगे. ईरान में रहते हुए उनके 7संकलन ही प्रकाशित हो पाए. कड़ी सेंसर -व्यवस्था ने उनका ईरान में रहकर लिखना, पढ़ाना व सभाओं में बोलना, सब बंद कर दिया. 2002 में उन्होंने ईरान छोड़ दिया और अनेक देशों में भटक कर अंततः लंदन में रहने लगे. उनकी लेखन शैली पारंपरिक फ़ारसी कविता से बहुत भिन्न है. उनकी कविताएँ अधिकतर वह व्यग्रता, अलगाव और कुछ खो जाने का दुःख दर्शाती हैं, जो की सभी विस्थापित ईरानियों को महसूस होता होगा. अब तक उनके 20 कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं व उनका अनेक भाषाओँ में अनुवाद भी हो चुका है.
इस कविता का मूल फ़ारसी से अंग्रेजी में अनुवाद अबोल फ्रुशान ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
एक सुन्दर कविता का एक कल्पनाशील अनुवाद | धन्यवाद रेणु |
जवाब देंहटाएंKya baat hai !
जवाब देंहटाएंSundar.
शुक्रिया बाबुषा. इतवार के दिन ब्लाग और कविताओं को आपका इंतज़ार रहेगा.
जवाब देंहटाएं:-)