रविवार, जुलाई 01, 2012

प्लास द्यु कारुज़ल

होर्स एंड कैरिज, विन्सेंट वान गोग
Horse and Carriage, Vincent Van Gogh
कारुज़ल चौक पर
गर्मियों के एक सुहावने दिन के अंत में
सड़क के पत्थरों पर
बह रहा था
एक घायल घोड़े का खून 
और घोड़ा खड़ा था वहाँ
गाड़ी से खुला हुआ
बिना हिले
तीन टांगों पर
और चौथी टांग
चोट-लगी और टूटी-हुई
लटक रही थी
साथ ही
 
खड़ा था गाड़ीवान भी 
बिना हिले
और
टूटी-हुई-घड़ी-सी बेकार
गाड़ी भी

बिना हिले
और घोड़ा चुप था
घोड़ा कराह नहीं रहा था
घोड़ा हिनहिना नहीं रहा था
वह बस वहाँ था
वह इंतज़ार कर रहा था
और वह इतना सुन्दर और उदास और सहज था
और समझदार
कि उसे देख कर
आँसू रोक पाना मुश्किल था

आह
खोये हुए बागों
भूले हुए झरनों
धूप में नहाये हरे-हरे मैदानों
आह दर्द
दुःख की रहस्यमय दीप्ति
खून और छिटकी-हुई रौशनी
आहत सुन्दरता 

संवेदना है तुमसे
संवेदना 



-- याक प्रेवेर 




याक प्रेवेर  ( Jacques Prévert )फ़्रांसिसी कवि व पटकथा लेखक थे. अत्यंत सरल भाषा में लिखी उनकी कविताओं ने उन्हें फ्रांस का, विक्टर ह्यूगो के बाद का, सबसे लोकप्रिय कवि बना दिया. उनकी कविताएँ अक्सर पेरिस के जीवन या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जीवन के बारे में हैं. उनकी अनेक कविताएँ  स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं व प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गयी  हैं. उनकी लिखी पटकथाओं व नाटकों को भी खूब सराहा गया है. उनकी यह कविता उनके सबसे प्रसिद्द कविता संग्रह 'पारोल' से है.
इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़