रविवार, अप्रैल 28, 2013

विस्मृति

अ ग्लास ऑफ़ वाइन, पिएर ओग्यूस्त रेनोआ
A Glass of Wine, Pierre Auguste Renoir

केवल मदिरा ही नहीं, मैं उड़ेलता हूँ अपने पात्र में
विस्मृति भी, और मैं सुखी रहूँगा क्योंकि सुख
अनभिज्ञ होता है. स्मृति या पूर्वकल्पना भला 
किसके होंठों पर मुस्कान लाई हैं?

चलो अपनी सोच से हम पा लें, जीवजंतुओं
का जीवन नहीं, उनकी आत्मा, आश्रय लें
उस दुर्बोध भाग्य में
जो न आशा करता है, न स्मरण.

इस नश्वर हाथ से उठा अपने नश्वर मुख तक
ले जाता हूँ मैं क्षणिक मदिरा का यह भंगुर पात्र,
अपनी धुंधली दृष्टि से 
देखना बंद करने के लिए तैयार.


-- फेर्नान्दो पेस्सोआ ( रिकार्दो रेइस)



 फेर्नान्दो पेस्सोआ ( Fernando Pessoa )20 वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. यह कविता उन्होंने रिकार्दो रेइस ( Ricardo Reis )के झूठे नाम से लिखी थी. अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने 72 झूठे नामों या हेट्रोनिम् की आड़ से सृजन किया, जिन में से तीन प्रमुख थे. और हैरानी की बात तो यह है की इन सभी हेट्रोनिम् या झूठे नामों की अपनी अलग  जीवनी, दर्शन, स्वभाव, रूप-रंग व लेखन शैली थी. पेस्सोआ  के जीतेजी उनकी एक ही किताब प्रकाशित हुई. मगर उनकी मृत्यु के बाद, एक पुराने ट्रंक से उनके द्वारा लिखे 25000 से भी अधिक पन्ने  मिले, जो उन्होंने अपने अलग-अलग नामों से लिखे थे. पुर्तगाल की नैशनल लाइब्रेरी में इनके सम्पादन का काम आज भी जारी है. यह कविता उनके संकलन 'ओड्ज़' से है.

इस कविता का मूल पोर्त्युगीज़ से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

गुरुवार, अप्रैल 25, 2013

स्मृतियों का अपना कोई स्थान नहीं होता...

ब्रेतों लैंडस्केप ट्रीज़ एंड मूर, पिएर ओग्यूस्त रेनोआ
Breton Landscape Trees and Moor. Pierre Auguste Renoir

स्मृतियों का अपना कोई स्थान नहीं होता, न
ही होती है उनके बचाव के लिए किलाबंदी
और जब हमने उन्हें रहने दिया होता है
लम्बे समय के लिए
कोई, हमारे भीतर कहीं, व्याकुल होने लगता है
और खदेड़ने लगता है उन्हें
मगर कोई और, वह जो मरना नहीं
चाहता, प्रयास करता है
फिर से कुछ खोजने का, चाहे वह कोई गंध
ही क्यों न हो, या झाड़ियों की सरसराहट
या उँगलियों में उलझा
ख़ुशी का आभास 


-- क्लौद एस्तेबान



 क्लौद एस्तेबान (Claude Esteban) एक फ्रेंच कवि , निबंधकार व अनुवादक थे। वे फ्रेंच व स्पेनिश दोनों भाषाओं में सिद्धहस्त थे। पिछली सदी के दूसरे हिस्से के प्रमुख कवियों में से एक, वे अपने पीछे महत्वपूर्ण कृति छोड़ गए हैं। उन्होंने कला व कविता पर असंख्य निबंध लिखे व स्पैनिश भाषा के प्रमुख कवियों ओक्टावियो पास, बोर्खेस, लोर्का इत्यादि की कविताओं व लेखन का अनुवाद किया। आरम्भ में वे फ्रेंच कला व साहित्य की पत्रिकाओं में लेख लिखते रहे। 1968 में उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित हुआ --'ला सेजों देवास्ते '.इसके बाद उनके कई संकलन प्रकशित हुए, वे प्रसिद्द कलाकारों के लिए उनकी प्रदर्शनियों के कैटालोग के लिए प्रस्तावनाएँ लिखते रहे। स्पेनी कवि होर्खे गुइयें से उनकी अच्छी दोस्ती हो गई व उन्होंने उनके कृत्य का  फ्रेंच में खूब अनुवाद किया। 1984 में उन्हें अपनी गद्य कविताओं के लिए मालार्मे पुरूस्कार प्राप्त हुआ। कला में उन्हें गहरी रूचि रही और 1991 में उन्हें एडवर्ड हापपर के चित्रों से प्रेरित कविता संकलन '
सोलई दौन्ज़ युन पीएस वीद ' के लिए फ्रांस कल्चर प्राइज़ प्राप्त हुआ। उनके 13 कविता संकलन, कई निबंध व अनेक अनुवाद प्रकाशित हुए,. यह कविता उनके संकलन 'ल मौर आ दिसतौंस' से है. 

इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

मंगलवार, अप्रैल 23, 2013

पल

रॉन माउंटेन, टी सी स्टील
Roan Mountain, T C Steele

मैं हरी होती पहाड़ी की ढलान पर चढ़ती हूँ.
घास और घास में नन्हे-नन्हे फूल,
जैसे बच्चों के बनाये चित्र में होते हैं.
धुंध-भरा आकाश नीला होना शुरू हो गया है.
अन्य पहाड़ियों का दृश्य निःशब्दता में 
प्रकट होता है.

जैसे कि कभी कोई कैम्ब्रियन* या सिल्युरियन*युग 
था ही नहीं,
बड़ी चट्टानों से कर्कश स्वर में बोलते पत्थर,
औंधे पड़े वितल,
धधकती हुई रातें नहीं 
और अन्धकार के बादलों में दिन.

जैसे कि असाध्य ज्वरों में जलते,
बर्फीली सिहरन लिए  
मैदान यहाँ तक धक्का लगाते नहीं आये थे.

जैसे कि अपने क्षितिजों के किनारों को कतरते
समुद्र कहीं और ही खौले थे.

स्थानीय समय के अनुसार साढ़े नौ बजे हैं.
सब कुछ यथास्थान है और विनम्र एक्य में है. 
घाटी में छोटी नदी निभा रही है छोटी ही नदी की भूमिका.
एक पथ है एक पथ की भूमिका में हमेशा से सदा तक.
जंगल जंगल के ही भेस में है, अनंत जीवंत,
और उन सब के ऊपर उड़ते पंछी उड़ते ही पंछी हैं.

जहाँ तक दृष्टि जा सकती है वहां तक इस पल का साम्राज्य है.
ऐसा भौतिक पल जिसे ठहरे रहने का आमंत्रण है. 


-- वीस्वावा शिम्बोर्स्का



 वीस्वावा शिम्बोर्स्का ( Wislawa Szymborska ) पोलैंड की कवयित्री, निबंधकार व अनुवादक हैं. उनकी युवावस्था लगभग संघर्ष में ही बीती -- द्वितीय विश्व-युद्ध और उसके पोलैंड पर दुष्प्रभाव, कम पैसे होने की वजह से पढाई छोड़ देना, छुट-पुट नौकरियां, पोलैंड में साम्यवाद का लम्बा दौर. इस सब के बावजूद उनकी साहित्यिक व कलात्मक गतिविधियाँ जारी रही. उन्होंने अख़बारों व पत्रिकाओं में मूलतः साहित्य  के विषय पर खूब लिखा. उन्होंने बहुत प्रचुरता में नहीं लिखा. उनकी केवल २५० कविताएँ प्रकाशित हुईं. लेकिन उनका काम इतना सराहनीय था की पूरे विश्व में पहचानी जाने लगी. 1996 में उन्हें नोबेल पुरूस्कार से सम्मानित किया गया. उनकी कविताओं व निबंधों का अनेक भाषाओँ में अनुवाद किया गया है. 
इस कविता का मूल पोलिश से अंग्रेजी में अनुवाद स्तानिस्वाव बरंजाक व  क्लेर कावानाह ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

रविवार, अप्रैल 21, 2013

केवल तुम, केवल मैं

रेलरोड ट्रैक्स, आइसाक लेवितान
Railroad Tracks, Isaac Levitan

 प्रिय, कितना लम्बा रास्ता तय करना होता है,
पहुँचने के लिए एक चुम्बन तक,
कैसे गतिमान है अकेलापन, तुम्हारे साथ की ओर!
बारिश के संग लुढ़कते,
हम अकेले ही पीछा करते हैं पटरियों का.
ताल्ताल* में न सवेरा होता है न वसंत आता है.

लेकिन तुम और मैं, प्रिय, हम साथ हैं
कपड़ों से लेकर जड़ों तक:
साथ हैं पतझड़ में, पानी में, कूल्हों में, जबतक
हम एक साथ अकेले न हो सकें -- केवल तुम, केवल मैं.

सोचो कितना यत्न किया होगा, बोरोआ* नदी ने
इतने पत्थरों को अपने तिकोने मुहाने तक पहुंचाने के लिए;
सोचो कि तुम और मैं, जो रेलगाड़ियों व राष्ट्रों
से बंटे हैं,

हमें केवल एक-दूसरे को प्रेम करना था:
साथ लिए सभी भ्रांतियों को,
आदमियों और औरतों को,
और धरती को भी जो उगाती है गुलनारों को,
और फिर उन्हें खिलाती है.


-- पाब्लो नेरुदा



  पाब्लो नेरुदा ( Pablo Neruda ) को कौन नहीं जानता. वे चिली के कवि थे.कोलंबिया के महान उपन्यासकार गेब्रिअल गार्सिया मार्केज़ ने उन्हें ' 20 वीं सदी का, दुनिया की सभी भाषाओँ में से सबसे बेहतरीन कवि ' कहा है. 10वर्ष की आयु में उन्होंने कविताएँ लिखनी शुरू की. 19वर्ष की आयु में उनका पहला संकलन 'क्रेपेस्क्युलारियो ' प्रकाशित हुआ और उसके बाद उनकी प्रसिद्द प्रेम कविताएँ ' ट्वेंटी पोएम्ज़ ऑफ़ लव एंड अ सोंग ऑफ़ डेसपैर '. दोनों संकलन खूब सराहे गए और दूसरी भाषाओँ में अनूदित लिए गए. उनकी प्रेम कविताओं की तो सहस्रों प्रतियाँ आज तक बिक चुकी है. उनके पूरे लेखन काल में उनकी 50से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई और अनेक भाषाओँ में असंख्य अनुवाद हुए. 1971में उन्हें नोबेल प्राइज़ भी प्राप्त हुआ. उनके 100 लव सोंनेट्स में से यह दूसरा सोंनेट है.


इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद स्टीफन टैपस्काट ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़


*उत्तरी चिली में एक बंदरगाह
*अमेज़ोन नदी के उत्पत्ति क्षेत्र की एक नदी 

शुक्रवार, अप्रैल 19, 2013

जो पढ़ा है...

वाइट एंड ब्लैक, एल्ज़वर्थ केली
White and Black, Ellsworth Kelly
जो पढ़ा है उसके बारे में एक बार फिर सोचता हूँ:
कि अँधेरा और उजाला, अच्छा और बुरा,
सत्य और असत्य, दुनिया में ये सब मिला-जुला हैं.
निस्संदेह जो ऐसा सोचते हैं, उनके लिए
दुनिया बड़ी सक्रीय है: सब कुछ काला या सफ़ेद है,
दैवी है या शैतान का है.
मगर इस दो खेमों में विभाजित दुनिया में
आखिर क्या बचेगा
अगर सब कुछ पूर्ण रूप से विभाज्य हो जाएगा,
चूर-चूर हो कर बन जाएगा अणुओं का चक्रवात,
क्षेत्रों की तिलमिलाहट?
क्या हर अणु में होगा कुछ अँधेरा, कुछ उजाला,
क्या उनके सबसे छोटे हिस्सों में भी विपर्यय होगा,
स्वयं शून्य में भी, जो खंडित होते-होते
अस्तित्वहीनता के और पास और पास आता रहेगा?
जो अजब है, क्या वह भयंकर का स्थान ले लेगा?
क्या तब जीवित रहना और सरल होगा?


-- यान काप्लिन्स्की


यान काप्लिन्स्की ( Jaan Kaplinski )एस्टोनिया के कवि, भाषाविद व दार्शनिक हैं व यूरोप के प्रमुख कवियों में गिने जाते हैं. वे अपने स्वतंत्र विचारों व वैश्विक सरोकारों के लिए जाने जाते हैं. उनके कई कविता-संग्रह, कहानियां, लेख व निबंध प्रकाशित हो चुके हैं. उन्होंने कई भाषाओँ से कई भाषाओँ में अनुवाद किये है व उनके स्वयं के लेखन का भी कई भाषाओँ में अनुवाद हुआ है. यह कविता उनके संकलन 'ईवनिंग ब्रिनग्ज़ एवरीथिंग बैक ' से है.
इस कविता का मूल एस्टोनियन से अंग्रेजी में अनुवाद फियोना सैम्प्सन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

मंगलवार, अप्रैल 16, 2013

भीतर का आदमी

द शैडो, पाब्लो पिकासो
The Shadow, Pablo Picasso

वह देह नहीं है 
जो अजनबी है.
वह कोई और है.

हम दिखाते हैं
दुनिया को
वही बदसूरत चेहरा.
जब मैं खुजलाता हूँ
वह भी खुजलाता है.

कई औरतें हैं
जो दावा करती है
कि उन्होंने उसे थामा है.
एक कुत्ता
आता है मेरे पीछे-पीछे.
शायद वह उसका है. 

अगर मैं शांत होता हूँ,
वह होता है और भी शांत.
और मैं उसे भूल जाता हूँ.
फिर भी, जब मैं झुकता हूँ
बांधने के लिए अपने जूते का फीता,
वह खड़ा होता है. 

हम फेंकते हैं एक ही परछाई.
यह परछाई किसकी है?

मैं कहना चाहता हूँ:
"आरम्भ में भी वही था
और वही होगा अंत में भी,"
मगर पूरे यकीन से नहीं कह सकता.

जब मैं बैठता हूँ
रात को
बीच के मौन के पत्ते फेंटते हुए,
मैं कहता हूँ उससे:

"हालाँकि मेरा हर शब्द
तुम ही कहते हो,
तुम अजनबी हो.
अब वक्त है कि  तुम कुछ कहो"


-- चार्लज़ सिमिक 



 चार्लज़ सिमिक (Charles Simic ) एक सर्बियाई-अमरीकी कवि, निबंधकार, अनुवादक व दार्शनिक हैं। उनका जन्म युगोस्लाविया में हुआ और वे युद्ध-त्रस्त यूरोप में बड़े हुए। 1954 में,16 वर्ष की आयु में वे अपने परिवार के साथ अमरीका आ गए। 70 के दशक तक वे कवि के रूप में स्थापित हो गए। उनकी कविताएँ सूक्ष्म व बिम्बों से भरपूर होती हैं। वे पेरिस रिव्यू के सम्पादक रह चुके हैं व अमरीका के 15 वें पोएट लौरियेट भी। आजकल वे अमरीकी साहित्य व क्रिएटिव राइटिंग के प्रोफ़ेसर एमेरिटस हैं, व यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यू हेम्पशियर में पढ़ाते हैं। उन्हें अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं. उनकी कविताओं के 30 से अधिक संकलन, अनुवादों के 15 संकलन व गद्य के 8 संकलन प्रकाशित हो चुके है।
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़ 

रविवार, अप्रैल 14, 2013

जब हमें चाहिए होते हैं शब्द

डौन, मार्क शगाल
Dawn, Marc Chagall

इस आरंभिक पल से पहले,
एक पल और था, बारिश से सिक्त,
अपने पूर्ण आकार की गंध लिये.

हर दिन वह मुर्गा
जिसे हमने कभी नहीं देखा
करता है पहला अभिवादन
और अँधेरा, जिसने रात भर
रखा था अपनी ढीली जेब में,
अब हमें नीचे धर देता है.

और हम चलते हैं,
कमरों को जगाते हुए
बत्तियां जलाते हुए.
हम जाते हैं उस सांस में जो 
शब्दहीन है मगर है शब्दों की
सभी संभावनाओं से पूर्ण भी,
पूर्ण है उन संदेशों से जो अभी
न एकत्रित किये गए हैं 
न भेजे गए हैं.

सुबह मंडराती है
सबसे अच्छे मित्र से भी
अच्छी मित्र हो कर.

हम कह सकते हैं, अभी भी. 


-- नाओमी शिहाब नाए 



 नाओमी शिहाब नाए ( Naomi Shihab Nye )एक फिलिस्तीनी-अमरीकी कवयित्री, गीतकार व उपन्यासकार हैं. वे बचपन से ही कविताएँ लिखती आ रहीं हैं. फिलिस्तीनी पिता और अमरीकी माँ की बेटी, वे अपनी कविताओं में अलग-अलग संस्कृतियों की समानता-असमानता खोजती हैं. वे आम जीवन व सड़क पर चलते लोगों में कविता खोजती हैं. उनके 7 कविता संकलन और एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. अपने लेखन के लिए उन्हें अनेक अवार्ड व सम्मान प्राप्त हुए हैं. उन्होंने अनेक कविता संग्रहों का सम्पादन भी किया है. 


इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

बुधवार, अप्रैल 10, 2013

कविता आरम्भ करना

द डेन, रॉय लिचटेनष्टाइन
The Den, Roy Lichtenstein

तुम अकेले हो. फिर दस्तक होती है 
द्वार पर. वह एक शब्द है. तुम
अन्दर लाते हो उसे. कुछ समय तक
सब ठीक चलता है. मगर इस शब्द के 

रिश्तेदार भी हैं. जल्दी ही
वे आ धमकते हैं. उनमें से
कोई काम नहीं करता.
वे ज़मीन पर सोते हैं और चुरा लेते हैं
तुम्हारे टेनिस के जूते.

तुम्हीं ने शुरू किया था न ये सब. जो जैसा
था उसे वैसा छोड़ देने में तुम्हें ही चैन नहीं
पड़ता था. अब तुम्हारे कमरे का बुरा हाल है,
और रिमोट जाने कहाँ गायब हो गया है. 

शादीशुदा होना भी कुछ
ऐसा ही है. तुम्हें केवल अपनी
पत्नी ही नहीं मिलती, बल्कि
मिलता है उसके परिवार का पागलपन भी. 

अब देखो तो ज़रा कि क्या हुआ है?
तुम्हारी गाड़ी कहाँ है? तुम्हें
नहीं मिल पाएँगी चाबियाँ
अब एक हफ्ते तक.


-- रोबर्ट ब्लाए



 रोबर्ट ब्लाए ( Robert Bly ) अमरीकी कवि,लेखक व अनुवादक हैं. 36 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित हुआ, मगर उस से पहले साहित्य पढ़ते समय उन्हें फुलब्राईट स्कॉलरशिप मिला और वे नोर्वे जाकर वहां के कवियों की कविताओं का अनुवाद अंग्रेजी में करने लगे. वहीं पर वे दूसरी भाषाओँ के अच्छे कवियों से दो-चार हुए - नेरुदा, अंतोनियो मचादो, रूमी, हाफिज़, कबीर, मीराबाई इत्यादि. अमरीका में लोग इन कवियों को नहीं जानते थे. उनके अनेक कविता संग्रह प्रकाशित हुए और उन्होंने खूब अनुवाद भी किया है. अमरीका के वे लोकप्रिय कवि हैं और यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिनेसोटा में उनके लिखे 80,000 पन्नों की आर्काइव है, जो उनका लगभग पचास वर्षों का काम है. यह कविता उनके संकलन 'ईटिंग द हनी ऑफ़ वर्डज़ ' से है.


इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़

शनिवार, अप्रैल 06, 2013

इस अन्धकार को होने दो एक घंटागार

द बेल टावर, स्पीरोस पापालूकस
The Bell Tower,  Spyros Papaloukas

शांत मित्र जो इतनी दूर निकल आये हो
महसूस करो कैसे तुम्हारा श्वास लेना
तुम्हारे आस-पास और जगह बनाता है.
इस अन्धकार को होने दो घंटागार
और तुम घंटा हो जाओ. जब तुम बजते हो,

तुम पर जो प्रहार करता है वही तुम्हारी शक्ति बन जाता है.
आगे-पीछे चलो इस परिवर्तन में.
कैसी लगती है पीड़ा की यह तीव्रता?
अगर पेय कड़वा है, स्वयं को बदल मदिरा बन जाओ.

इस स्वयं-में-ना-समा-सकने-वाली रात में
बन जाओ अपनी इन्द्रियों के चौराहे पर घटता रहस्य,
वहाँ पाया जाने वाला अर्थ बन जाओ.

और अगर दुनिया ने छोड़ दिया है तुम्हें सुनना,
कहो मौन धरती से : मैं बहता हूँ.
बहते पानी को बोलो : मैं हूँ.


-- रायनर मरीया रिल्के




 रायनर मरीया रिल्के ( Rainer Maria Rilke ) जर्मन भाषा के सब से महत्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं. वे ऑस्ट्रिया के बोहीमिया से थे. उनका बचपन बेहद दुखद था, मगर यूनिवर्सिटी तक आते-आते उन्हें साफ़ हो गया था की वे साहित्य से ही जुड़ेंगे. तब तक उनका पहला कविता संकलन प्रकाशित भी हो चुका था. यूनिवर्सिटी की पढाई बीच में ही छोड़, उन्होंने रूस की एक लम्बी यात्रा का कार्यक्रम बनाया. यह यात्रा उनके साहित्यिक जीवन में मील का पत्थर साबित हुई. रूस में उनकी मुलाक़ात तोल्स्तॉय से हुई व उनके प्रभाव से रिल्के का लेखन और गहन होता गुया. फिर उन्होंने पेरिस में रहने का फैसला किया जहाँ वे मूर्तिकार रोदें के बहुत प्रभावित रहे.यूरोप के देशों में उनकी यात्रायें जारी रहीं मगर पेरिस उनके जीवन का भौगोलिक केंद्र बन गया. पहले विश्व युद्ध के समय उन्हें पेरिस छोड़ना पड़ा, और वे स्विटज़रलैंड में जा कर बस गए, जहाँ कुछ वर्षों बाद ल्यूकीमिया से उनका देहांत हो गया. कविताओं की जो धरोहर वे छोड़ गए हैं, वह अद्भुत है. यह कवितांश 'सोंनेट्स टू ओर्फ़ियस ' से है. 

इस कविता का जर्मन से अंग्रेजी में अनुवाद जोआना मेसी व अनीता बैरोज़  ने किया है. 
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़