गुरुवार, जून 16, 2011

और क्या वह जादुई दुनिया...

द स्टारी नाईट , विन्सेंट वान गोग 

और क्या वह जादुई दुनिया
तुम्हारे साथ ही ख़त्म हो जाएगी?
जहाँ जीवन की सबसे निर्मल सांसों पर,
पहले प्यार की रोशन छाया पर,
तुम्हारे मन में जो उतर कर बस गयी,
उस आवाज़ पर, 
तुमने सपनों में जो पकड़ना चाहा था,
उस हाथ पर,

और उन सब चीज़ों पर 
जो तुम्हें प्यारी थी, 
जिन्होंने छुआ था तुम्हारी आत्मा को, 
आकाश की गहराईयों को,
जहाँ इन सब पर 
स्मृति का पहरा है, 
क्या वह जादुई दुनिया
तुम्हारे साथ ही ख़त्म हो जाएगी?

तुम्हारे साथ ही ख़त्म हो जाएगा क्या, 
वह पुराना जीवन जो तुमने ठीक कर के 
फिर से नया-सा किया है?
तुम्हारी आत्मा के कल-पुर्जों ने क्या
इतना श्रम किया था 
बस हवा और मिटटी होने के लिए? 


-- अंतोनियो मचादो


  अंतोनियो मचादो 20 वीं सदी के आरम्भ के स्पेनिश कवि थे. युवावस्था में पेरिस में बिताया समय व फ्रांस के सैम्बोलीस्त कवियों से मिलना-जुलना, उनके कवि होने का सबसे बड़ा कारण बना. 20 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संकलन 'सोलेदाद' छप चुका था. उनकी कविताओं में जहाँ एक तरफ अंतर्दृष्टि व अन्तरावलोकन दिखाई देता है, वहीँ दूसरी तरफ स्पेन के लोगों का जीवन व मानसिकता झलकती है. उनके कई कविता संकलन प्रकाशित हुए व अनेक कविताओं का दूसरी भाषाओँ में अनुवाद भी हुआ.
इस कविता का मूल स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद  ए. एस क्लाइन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़