लैंडस्केप अंडर अ स्टोर्मी स्काए, विन्सेंट वान गोग |
बदलते मौसम, धूप और अँधेरा,
बदलते हैं दुनिया को,
जो अपने उजियारों से सुख देती है,
अपने बादलों के संग उदासी ले आती है.
और मैं,
जिसने हमेशा अत्यंत कोमलता से
देखा है उसके अलग-अलग रूपों को,
नहीं जानता
कि आज मुझे उदास होना चाहिए
या ख़ुशी से आगे बढ़ जाना चाहिए,
जैसे कोई परीक्षा सफल हो गयी हो ;
मैं उदास हूँ,
और फिर भी यह दिन इतना सुन्दर है,
धूप और बारिश केवल मन ही में हैं.
लम्बी सर्दियों को बदल सकता हूँ,
वसंत कर सकता हूँ मैं,
जहाँ धूप में रास्ता
ज़री की किनारी-सा दमके
और मैं स्वयं का अभिवादन करूँ.
मेरी धुंध, मेरे अच्छे मौसम,
सब मेरे भीतर ही हैं,
जैसे मेरे भीतर ही है
वह परिपूर्ण प्यार
जिसके लिए मैंने इतना दुःख सहा,
और जिसके लिए अब नहीं रोता हूँ,
मेरी आँखें मेरे लिए काफी हों,
और मेरा मन.
-- उम्बेर्तो साबा
इस कविता का मूल इटालियन से अंग्रेजी में अनुवाद जोर्ज होचफील्ड व लेनर्ड नेथन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़