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नियर सें यने, मार्क शगाल Near Saint Jeannet, Marc Chagall |
कहाँ से आती है ऐसी कोमलता?
ये बालों के घूँगर जो मैंने अपनी
ऊँगली पर लपेटे हैं, पहले नहीं हैं ये --
तुम्हारे होंठों से और गहरे रंग के
होंठों को भी चूमा है मैंने.
होंठों को भी चूमा है मैंने.
आकाश धुला हुआ और गहराता है
( कहाँ से आती है ऐसी कोमलता? )
मेरी आँखों को अन्य आँखों ने भी
जाना है और फिर दृष्टि हटा ली है.
मगर मैंने कभी ऐसे शब्द नहीं सुने
रात में
( कहाँ से आती है ऐसी कोमलता ? )
अपना सर तुम्हारी छाती पर टिकाए,
आराम.
आराम.
कहाँ से आती है यह कोमलता?
और मैं इसका करुँगी क्या?
अजनबी, युवा कवि, शहर में
भटकते, तुम और तुम्हारी पलकें --
किसी और से कितनी लम्बी हैं.
-- मारीना स्व्ताएवा
इस कविता का मूल रशियन से अंग्रेजी में अनुवाद इल्या कामिन्सकी व यौं वालोंतीन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़