रविवार, अक्तूबर 07, 2012

मेरे घर

स्टिल लाइफ विद पेप्पर्ज़ ऑन अ व्हाइट लैकर्ड टेबल,
फीलिक्स वालोतों
Still Life with Peppers on a White Lacquered Table,
Felix Vallottan
कभी तो आओगी तुम मेरे घर
हालाँकि यह घर मेरा नहीं है  
नहीं जानता किसका है
मैं तो यूँ ही घुस आया था एक दिन
यहाँ कोई नहीं था
सिर्फ थी कुछ लाल मिर्चें
सफ़ेद दीवार पर लटकी हुईं
बहुत दिनों से रह रहा हूँ इस घर में
और कभी कोई नहीं आया
मगर हर रोज़ हर दिन
मैंने तुम्हारा इंतज़ार किया है

कभी तो आओगी तुम मेरे घर
मैं और कुछ भी सोचता हूँ
मगर कुछ और नहीं सोच पाता
सिवा इसके
और जब तुम 
रखोगी कदम मेरे घर में  
धीरे से तुम उतार दोगी
जो भी तुमने पहना होगा
और तुम खड़ी रहोगी वैसे ही
बिना कुछ पहने
और तुम्हारे होंठ वैसे लाल होंगे
जैसी लाल मिर्चें
सफ़ेद दीवार पर लटकी हुईं
और फिर तुम लेट जाओगी
और मैं भी लेट जाऊँगा
तुम्हारे पास
और बस
तुम आओगी मेरे घर
यह घर जो मेरा नहीं है



-- याक प्रेवेर




 याक प्रेवेर  ( Jacques Prévert )फ़्रांसिसी कवि व पटकथा लेखक थे. अत्यंत सरल भाषा में लिखी उनकी कविताओं ने उन्हें फ्रांस का, विक्टर ह्यूगो के बाद का, सबसे लोकप्रिय कवि बना दिया. उनकी कविताएँ अक्सर पेरिस के जीवन या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जीवन के बारे में हैं. उनकी अनेक कविताएँ  स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं व प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गयी  हैं. उनकी लिखी पटकथाओं व नाटकों को भी खूब सराहा गया है. उनकी यह कविता उनके सबसे प्रसिद्द कविता संग्रह 'पारोल' से है. 
इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़