लैंडस्केप विद वुमन वाकिंग, विन्सेंट वान गोग Landscape with Woman Walking, Vincent Van Gogh |
सिखाया आकाश की ओर आँखें उठाना, प्रार्थना करना,
और सांझ ढलने से बहुत पहले घूमना
ताकि थक जाएँ मेरी अनावश्यक चिंताएं.
जब घाटी में झाड़ियाँ सरसराती हैं
और झड़ते हैं रक्त कोल रसभरी के लाल-पीले गुच्छे
मैं रचती हूँ आनंद-भरी कविताएँ
जीवन के ह्रास के बारे में, ह्रास और सौंदर्य के बारे में.
मैं लौटती हूँ. रोएँदार बिल्ली
मेरा हाथ चाटती है, प्यार-से घुरघुराती है
और झील के पास आराघर के बुर्ज पर
आग की लपटें भड़कती हैं.
छत पर उतरते किसी सारस की पुकार ही केवल
तोडती है कभी-कभी मौन को.
अगर तुम अब मेरे द्वार पर दस्तक दो
तो शायद मैं सुन ही ना पाऊँ
-- आना आख्मतोवा
इस कविता का मूल रशियन से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड मक्केन ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद रीनू तलवाड़