ग्रे लवर्ज़, मार्क शगाल Grey Lovers, Marc Chagall |
वह है तुम्हारे पास
या उसके होने का स्वांग करती हो तुम.
तुम मुझे देती हो. उतना ही बहुत होने दो.
मैं अपनी आयु कम नहीं कर सकता,
तो क्यों न कुछ भ्रम ही पाल लूँ?
देवों ने हमें जो दिया है वह कम है,
और जो कम दिया भी है वह झूठा है.
मगर वह कितना भी झूठा क्यों न हो,
अगर उन्होंने दिया है,
उनका देना तो सच्चा है.
मैं उसे स्वीकार करता हूँ,
और तुम्हारा विश्वास करने के लिए
मना लेता हूँ स्वयं को
-- फेर्नान्दो पेस्सोआ ( रिकार्दो रेइस)
फेर्नान्दो पेस्सोआ ( Fernando Pessoa )20 वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. यह कविता उन्होंने रिकार्दो रेइस ( Ricardo Reis )के झूठे नाम से लिखी थी. अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने 72 झूठे नामों या हेट्रोनिम् की आड़ से सृजन किया, जिन में से तीन प्रमुख थे. और हैरानी की बात तो यह है की इन सभी हेट्रोनिम् या झूठे नामों की अपनी अलग जीवनी, दर्शन, स्वभाव, रूप-रंग व लेखन शैली थी. पेस्सोआ के जीतेजी उनकी एक ही किताब प्रकाशित हुई. मगर उनकी मृत्यु के बाद, एक पुराने ट्रंक से उनके द्वारा लिखे 25000 से भी अधिक पन्ने मिले, जो उन्होंने अपने अलग-अलग नामों से लिखे थे. पुर्तगाल की नैशनल लाइब्रेरी में इनके सम्पादन का काम आज भी जारी है. यह कविता उनके संकलन 'ओड्ज़' से है.
इस कविता का मूल पोर्त्युगीज़ से अंग्रेजी में अनुवाद रिचर्ड ज़ेनिथ ने किया है.
इस कविता का हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़