लुकिंग इनटू बेरिल पूल, चाइल्ड हासम Looking Into Beryl Pool, Childe Hassam |
सच में जानना चाहते हो तो बताता हूँ मैं :
याद है दो साल पहले का वह दिन जो तुमने गँवा दिया था
पत्थरों वाले तालाब पर जहाँ बैठ कर तुम किसी जौहरी की तरह
खेल रहे थे उन सभी पत्थरों से जो तुमने किनारे से चुराए थे ?
उन में से काफी तो कुछ नहीं बस स्याह थे
मगर कभी-कभी झलका देता था कोई एक वह रहस्यमय रंग
जो अपनी पथरीली नींद में कहीं उसने कैद कर रखा था.
कौन-सा पत्थर रखना हैं यह तुम्हें इसी तरह पता चला था.
तो जिन में कुछ सम्भावना दिखाई देती हैं मुझे
मैं दिन की वे नीरस-सी चीज़ें बटोरता हूँ
जो मृत हैं मगर फिर भी जिन में है कोई आश्चर्यजनक बात
जो मैं नहीं जानता, और मेरे पास मदद के लिए तालाब भी नहीं है--
तो मैं उन्हें देखता रहता हूँ देखता रहता हूँ जब तक
कोई एक चीज़ मेरे आँखों में आईना ना बना दे
फिर मैं उसे उजला करने के लिए आंसू से रंगता हूँ.
इसीलिए मैं देर रात तक जगता हूँ.
-- डान पेटरसन
इस कविता का मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़