ला पौन्से, ओग्यूस्त रोदें La Pensée , Auguste Rodin |
मेरा हाथ पकड़ कर ले जाती है
एक संगमरमर की मूर्ती
आज इतवार है और सिनेमाघर खचाखच भरे हैं
पेड़ की टहनियों पर बैठे पंछी इंसानों को देखते हैं
और मूर्ती मुझे चूम लेती है
मगर कोई नहीं देखता
सिवाय एक अंधे बच्चे के
जो ऊँगली से इशारा करता है
एक संगमरमर की मूर्ती
आज इतवार है और सिनेमाघर खचाखच भरे हैं
पेड़ की टहनियों पर बैठे पंछी इंसानों को देखते हैं
और मूर्ती मुझे चूम लेती है
मगर कोई नहीं देखता
सिवाय एक अंधे बच्चे के
जो ऊँगली से इशारा करता है
हमारी ओर.
-- याक प्रेवेर
याक प्रेवेर ( Jacques Prévert )फ़्रांसिसी कवि व पटकथा लेखक थे. अत्यंत सरल भाषा में लिखी उनकी कविताओं ने उन्हें फ्रांस का विक्टर ह्यूगो के बाद का सबसे लोकप्रिय कवि बना दिया. उनकी कविताएँ अक्सर पेरिस के जीवन या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जीवन के बारे में हैं. उनकी अनेक कविताएँ स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं व प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गयी हैं. उनकी लिखी पटकथाओं व नाटकों को भी खूब सराहा गया है. उनकी यह कविता उनके सबसे प्रसिद्द कविता संग्रह 'पारोल' से है.
इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू तलवाड़
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