मंगलवार, अगस्त 09, 2011

इतवार

ला पौन्से, ओग्यूस्त रोदें
La Pensée , Auguste Rodin
एवेन्यू गोबेलां के पेड़ो की कतारों के बीच से
मेरा हाथ पकड़ कर ले जाती है
एक संगमरमर की मूर्ती
आज इतवार है और सिनेमाघर खचाखच भरे हैं
पेड़ की टहनियों पर बैठे पंछी इंसानों को देखते हैं
और मूर्ती मुझे चूम लेती है
मगर कोई नहीं देखता 
सिवाय एक अंधे बच्चे के
जो ऊँगली से इशारा करता है
हमारी ओर.


-- याक प्रेवेर



याक प्रेवेर  ( Jacques Prévert )फ़्रांसिसी कवि व पटकथा लेखक थे. अत्यंत सरल भाषा में लिखी उनकी कविताओं ने उन्हें फ्रांस का विक्टर ह्यूगो के बाद का सबसे लोकप्रिय कवि बना दिया. उनकी कविताएँ अक्सर पेरिस के जीवन या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जीवन के बारे में हैं. उनकी अनेक कविताएँ  स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं व प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गयी  हैं. उनकी लिखी पटकथाओं व नाटकों को भी खूब सराहा गया है. उनकी यह कविता उनके सबसे प्रसिद्द कविता संग्रह 'पारोल' से है.

इस कविता का मूल फ्रेंच से हिंदी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़

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