गुरुवार, अप्रैल 21, 2011

एक कविता


टू वाईट बटरफ्लाइज, विन्सेंट वान गोग
Two White butterflies, Vincent Van Gogh
आधा साल बीत चुका है.
नीचे के कमरे में रेडियो बज रहा है, 
संगीत गूँज रहा है.
छुट्टियाँ शुरू हो गयी हैं.
आधे साल तक मैं सोचता रहा :
गर्मियों में लिखूंगा कविताएँ.
अब मैं यहाँ बैठा हूँ, और फिर 
वह सफ़ेद पतंगा याद आ गया.
कल रात वह पतंगा 
बीच के पेड़ के आस-पास उड़ रहा था 
और मुझे लगा था
उसके बारे में कविता लिखूं;
मुझे लगा था कि उस शाम,
उस पेड़, उस पतंगे के बारे में 
मैं जो भी लिखूंगा 
वह कविता होगी. 
शायद वह पतंगा सिर्फ एक संकेत था,
किसी ऊंची या गहरी बात का संकेत. 
जैसे कि एक-आध बार पहले भी मिला है.
एक इशारा : कि कोई भाग गया है 
पकड़ से छूट गया है 
बच के निकल गया है.
रात के अँधेरे में 
टहनियाँ हवा में झूलती हैं.
एक कविता.
आती है. चली जाती है 

-- यान काप्लिन्स्की

Author: Estonian Literary Magazine





यान काप्लिन्स्की (Jaan Kaplinski )एस्टोनिया के कवि, भाषाविद व दार्शनिक हैं. वे अपने स्वतंत्र विचारों व वैश्विक सरोकारों के लिए जाने जाते हैं. उनके कई कविता संग्रह व निबंध छप चुके हैं. उन्होंने कई भाषाओँ से अनुवाद किये हैं व उनके स्वयं के लेखन का भी अनेक भाषाओँ में अनुवाद हुआ है. यह कविता उनके संकलन ' ईवनिंग ब्रिंग्ज़ एवरीथिंग बैक ' से है.
इस कविता का मूल एस्टोनियन से अंग्रेजी में अनुवाद फियोना सैम्प्सन ने किया है.
इस कविता का हिन्दी में अनुवाद -- रीनू  तलवाड़

1 टिप्पणी:

  1. bahut khoob ahesas hi shabado me ban jata hai kavita.jo cheez hum ko choo latee hai oos ki tasveer aur ahesas hum mahsus karkae hai aur shabad ban jaate hai kavita kae.

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